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रघुवर सरकार से नाराज मंत्री ने कहा- लज्जा जनक है मंत्रिपरिषद में बने रहना, पार्टी के निर्देश का कर रहा हूं पालन - झारखंड न्यूज

नाराज चल रहे  मंत्री सरयू राय ने शुक्रवार को गवर्नर द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की.इस मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि मुलाकात का एजेंडा पार्टी से जुड़ा नहीं था.

रघुवर सरकार से नाराज मंत्री ने कहा- लज्जा जनक है मंत्रिपरिषद में बने रहना
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Published : Mar 1, 2019, 3:54 PM IST

रांचीः रघुवर दास सरकार से नाराज चल रहे मंत्री सरयू राय ने शुक्रवार को गवर्नर द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की. लगभग आधे घंटे तक चली इस मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि मुलाकात का एजेंडा पार्टी से जुड़ा नहीं था.
उन्होंने कहा कि कैबिनेट और राज्य सरकार के नियुक्त किये गए महाधिवक्ता कैबिनेट के ही मंत्री के खिलाफ बार काउंसिल के अध्यक्ष होने के नाते निंदा प्रस्ताव पास करते है और सरकार इसकी जानकारी होने के बाद उस महाधिवक्ता से इस के बारे में कोई जानकारी तक नहीं लेती है. ऐसे में मंत्रीपरिषद में रहना लज्जा जनक बात है.

रघुवर सरकार से नाराज मंत्री ने कहा- लज्जा जनक है मंत्रिपरिषद में बने रहना

लोकसभा चुनाव की तैयारियों के संबंध में बताते हुए कहा कि पार्टी के दिशा-निर्देश के आधार पर झारखंड के लोकसभा चुनाव के प्रभारी मंगल पांडे से भी उनकी बात होगी. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में मंत्रिपरिषद के साथ रहना उनके लिए उचित नहीं है लेकिन जब राष्ट्रीय स्तर से दिशा-निर्देश आया है तो राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने कुछ कदम उठाए हैं तो पार्टी के अनुशासन को मानते हुए उन्हें भरोसा करना होगा.

ये भी पढ़ें-इस ट्रेन में आप देख सकेंगे जमशेदपुर की जीवनी, शहर के 100 साल होने पर टाटा की पहल

प्रशासनिक पदाधिकारियों के कार्यप्रणाली पर उठाया सवाल

वही उन्होंने कहा कि जो व्यवस्था है उसके लिए भारतीय प्रशासनिक पदाधिकारियों को किसी मंत्री या मुख्यमंत्री की बातों की रक्षा करने के लिए नियुक्त नहीं किया जाता. उन्हें संवैधानिक प्रावधानों के आधार पर काम करना चाहिए. इस संदर्भ में उन्होंने सात आठ अलग-अलग बिंदुओं के साथ गवर्नर तक अपनी बात रखी है. अब गवर्नर को तय करना है कि वह अपने संवैधानिक दायरे में रहकर क्या कदम उठाती हैं. उन्होंने कहा कि 100 के आसपास उनके पास ऐसी जानकारियां हैं जिसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ सकते हैं। उन्होंने कहा कि गवर्नर को सारे बिंदुओं से अवगत करा दिया गया है.

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रांचीः रघुवर दास सरकार से नाराज चल रहे मंत्री सरयू राय ने शुक्रवार को गवर्नर द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की. लगभग आधे घंटे तक चली इस मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि मुलाकात का एजेंडा पार्टी से जुड़ा नहीं था.
उन्होंने कहा कि कैबिनेट और राज्य सरकार के नियुक्त किये गए महाधिवक्ता कैबिनेट के ही मंत्री के खिलाफ बार काउंसिल के अध्यक्ष होने के नाते निंदा प्रस्ताव पास करते है और सरकार इसकी जानकारी होने के बाद उस महाधिवक्ता से इस के बारे में कोई जानकारी तक नहीं लेती है. ऐसे में मंत्रीपरिषद में रहना लज्जा जनक बात है.

रघुवर सरकार से नाराज मंत्री ने कहा- लज्जा जनक है मंत्रिपरिषद में बने रहना

लोकसभा चुनाव की तैयारियों के संबंध में बताते हुए कहा कि पार्टी के दिशा-निर्देश के आधार पर झारखंड के लोकसभा चुनाव के प्रभारी मंगल पांडे से भी उनकी बात होगी. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में मंत्रिपरिषद के साथ रहना उनके लिए उचित नहीं है लेकिन जब राष्ट्रीय स्तर से दिशा-निर्देश आया है तो राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने कुछ कदम उठाए हैं तो पार्टी के अनुशासन को मानते हुए उन्हें भरोसा करना होगा.

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प्रशासनिक पदाधिकारियों के कार्यप्रणाली पर उठाया सवाल

वही उन्होंने कहा कि जो व्यवस्था है उसके लिए भारतीय प्रशासनिक पदाधिकारियों को किसी मंत्री या मुख्यमंत्री की बातों की रक्षा करने के लिए नियुक्त नहीं किया जाता. उन्हें संवैधानिक प्रावधानों के आधार पर काम करना चाहिए. इस संदर्भ में उन्होंने सात आठ अलग-अलग बिंदुओं के साथ गवर्नर तक अपनी बात रखी है. अब गवर्नर को तय करना है कि वह अपने संवैधानिक दायरे में रहकर क्या कदम उठाती हैं. उन्होंने कहा कि 100 के आसपास उनके पास ऐसी जानकारियां हैं जिसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ सकते हैं। उन्होंने कहा कि गवर्नर को सारे बिंदुओं से अवगत करा दिया गया है.

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Intro:रांची। प्रदेश की रघुवर दास सरकार से नाराज चल रहे उनके मंत्री सरयू राय ने शुक्रवार को गवर्नर द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। लगभग आधे घंटे तक चली इस मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कल गवर्नर से मिलने का समय लिया था। मुलाकात का एजेंडा कुछ और था, लेकिन बाद में परिवर्तन हो गया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश दूसरे मामले पर गवर्नर से अपनी बात रखी है।
उन्होंने साफ कहा की जिस तरह से कैबिनेट और राज्य सरकार द्वारा नियुक्त महाधिवक्ता कैबिनेट के ही मंत्री के खिलाफ बार काउंसिल के अध्यक्ष होने के नाते निंदा प्रस्ताव पास करता है और सरकार इसकी जानकारी होने के बाद उस महाधिवक्ता से इस संदर्भ में कोई जानकारी तक नहीं लेती है ऐसे में उस मंत्रीपरिषद में रहना लज्जा जनक बात है।


Body:उन्होंने साफ कहा कि इस संदर्भ में राष्ट्रीय अध्यक्ष से बात हुई और राष्ट्रीय मंत्री से भी बात हुई है। अब पार्टी के दिशा-निर्देश के आधार पर झारखंड के लोकसभा चुनाव के प्रभारी मंगल पांडे से भी उनकी बात होगी। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में मंत्रिपरिषद के साथ रहना उनके लिए उचित नहीं है लेकिन जब राष्ट्रीय स्तर से दिशा-निर्देश आया है। राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने कुछ कदम उठाए हैं तो पार्टी के अनुशासन को मानते हुए उन्हें भरोसा करना होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि गवर्नर से मुलाकात के दौरान उन्होंने साफ तौर पर कहा कि राज्य में तैनात प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जो रूल ऑफ लॉ की कसम खा कर के ज्वाइन करते हैं उनकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठ रहा है।


Conclusion:उन्होंने कहा कि जो व्यवस्था है उसके लिए भारतीय प्रशासनिक पदाधिकारियों को किसी मंत्री या मुख्यमंत्री की बातों की रक्षा करने के लिए उनकी नियुक्ति नहीं होती है। उन्हें संवैधानिक प्रावधानों के आधार पर काम करना चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने सात आठ अलग-अलग बिंदुओं के साथ गवर्नर तक अपनी बात रखी है। अब गवर्नर को तय करना है कि वह अपने संवैधानिक दायरे में रहकर क्या कदम उठाती हैं। उन्होंने कहा कि 100 के आसपास उनके पास ऐसी जानकारियां हैं जिसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ सकते हैं। उन्होंने कहा कि गवर्नर को सारे बिंदुओं से अवगत करा दिया गया है।
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