रांचीः रघुवर दास सरकार से नाराज चल रहे मंत्री सरयू राय ने शुक्रवार को गवर्नर द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की. लगभग आधे घंटे तक चली इस मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि मुलाकात का एजेंडा पार्टी से जुड़ा नहीं था.
उन्होंने कहा कि कैबिनेट और राज्य सरकार के नियुक्त किये गए महाधिवक्ता कैबिनेट के ही मंत्री के खिलाफ बार काउंसिल के अध्यक्ष होने के नाते निंदा प्रस्ताव पास करते है और सरकार इसकी जानकारी होने के बाद उस महाधिवक्ता से इस के बारे में कोई जानकारी तक नहीं लेती है. ऐसे में मंत्रीपरिषद में रहना लज्जा जनक बात है.
लोकसभा चुनाव की तैयारियों के संबंध में बताते हुए कहा कि पार्टी के दिशा-निर्देश के आधार पर झारखंड के लोकसभा चुनाव के प्रभारी मंगल पांडे से भी उनकी बात होगी. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में मंत्रिपरिषद के साथ रहना उनके लिए उचित नहीं है लेकिन जब राष्ट्रीय स्तर से दिशा-निर्देश आया है तो राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने कुछ कदम उठाए हैं तो पार्टी के अनुशासन को मानते हुए उन्हें भरोसा करना होगा.
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प्रशासनिक पदाधिकारियों के कार्यप्रणाली पर उठाया सवाल
वही उन्होंने कहा कि जो व्यवस्था है उसके लिए भारतीय प्रशासनिक पदाधिकारियों को किसी मंत्री या मुख्यमंत्री की बातों की रक्षा करने के लिए नियुक्त नहीं किया जाता. उन्हें संवैधानिक प्रावधानों के आधार पर काम करना चाहिए. इस संदर्भ में उन्होंने सात आठ अलग-अलग बिंदुओं के साथ गवर्नर तक अपनी बात रखी है. अब गवर्नर को तय करना है कि वह अपने संवैधानिक दायरे में रहकर क्या कदम उठाती हैं. उन्होंने कहा कि 100 के आसपास उनके पास ऐसी जानकारियां हैं जिसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ सकते हैं। उन्होंने कहा कि गवर्नर को सारे बिंदुओं से अवगत करा दिया गया है.