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रांची यूनिवर्सिटी की सरस्वती पूजा है खास, पूजन स्थल के प्रति छात्रों को विशेष लगाव

छात्रों के लिए सरस्वती पूजी हमेशा से ही खास रहा है. बसंत पंचमी पर सभी स्कूल और कॉलोजों में मां सरस्वती की आराधनी भी की जाती है. सभी विद्यालय-महाविद्यालय अपने-अपने स्तर पर पूजा को खास तरीके से ही मनाते हैं. रांची यूनिवर्सिटी के यूजी-पीजी छात्रावास में 22 सालों से लगातार सरस्वती पूजा होती आ रही है. यहां पूजा के पारंपरिक तौर तरीके इसे बेहद खास बनाते हैं.

basant panchmi 2023
रांची यूनिवर्सिटी का पूजा स्थल
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Published : Jan 26, 2023, 6:28 PM IST

Updated : Jan 26, 2023, 8:00 PM IST

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रांची: वैसे तो सरस्वती पूजा के अवसर पर सभी विद्यालय और कॉलेजों में विद्या की देवी की आराधना होती है, लेकिन रांची विश्वविद्यालय के यूजी-पीजी छात्रावास में बसंत पंचमी खास तरीके से मनाया जाता है. पूजा के दौरान आज भी यहां पारंपरिक तौर तरीके देखने को मिलेते हैं. विधि विधान के साथ पूजा करने के लिए यहां के विद्यार्थी कई दिनों पहले से तैयारी में जुट जाते हैं.

ये भी पढ़ें: गणतंत्र दिवस को लेकर अलर्ट पर पुलिस, सरस्वती पूजा के दौरान डीजे पर रहेगी नजर

राज्य गठन के बाद यानी करीब 22 वर्षों से यहां मां सरस्वती की पूजा होती चली आ रही है. इस पूजा समिति का संचालन छात्र जीवन में कभी सुदेश महतो किया करते थे, इसके अलावा यहां से 100 से अधिक ऐसे विद्यार्थी पढ़कर निकले जो आज प्रशासनिक सेवा से लेकर विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत हैं. इस वजह से इस पूजा स्थल के प्रति पूर्ववर्ती विद्यार्थियों के साथ-साथ वर्तमान में पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं के मन में विशेष आस्था है.

प्रसाद वितरण के साथ एक दूसरे को लगाते हैं गुलाल: प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी या सरस्वती पूजा का पर्व माघ शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है. इस दिन लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं. यह धारणा आज भी रांची विश्वविद्यालय कैंपस में देखने को मिलता है. पूजा स्थल को रंग बिरंगी फूलों से सजाकर मां सरस्वती की पूजा की जाती है. इस वर्ष भी बड़े ही आकर्षक ढंग से पूजा स्थल को सजाकर विद्या की देवी की पूजा की गई. प्रसाद वितरण के बाद लोगों ने एक दूसरे को गुलाल लगाकर बसंत पंचमी की बधाई दी.

बसंत पंचमी पर होता है भोलेनाथ का तिलकोत्सव: मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही बाबा भोलेनाथ का तिलकोत्सव होता है. इसके पश्चात होली की शुरुआत हो जाती है. देवी सरस्वती की पूजा में जुटे डॉ सुभाष साहू का मानना है कि यह हॉस्टल भले ही सिर्फ लड़कों के लिए है, लेकिन बसंत पंचमी के दिन यहां मां सरस्वती के दर्शन के लिए लड़कियां भी आती हैं. यहां के पूजा को लेकर लोगों में काफी आस्था है, जिस वजह से यहां बहुत भीड़ होती है.

छात्र क्या कहते हैं: छात्र राकेश कुमार महतो कहते हैं कि यहां की सरस्वती पूजा बेहद ही खास होती है, जिस वजह से विद्यार्थियों की भीड़ लगी रहती है. छात्र संजीत कहते हैं कि सरस्वती पूजा को लेकर तैयारी बहुत पहले से ही शुरू हो जाती है. 15 दिन पहले से पूर्ववर्ती छात्र के साथ वर्तमान में पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को आमंत्रण भेजा जाने लगता है. गौरतलब है कि बसंत पंचमी माघ महीने का एक खास त्यौहार है. बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना करने की मान्यता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को कला और ज्ञान की देवी सरस्वती का जन्म हुआ था. इस कारण से हर वर्ष बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है. इस दिन विद्यारंभ और विवाह करना बहुत ही शुभ माना जाता है.

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रांची: वैसे तो सरस्वती पूजा के अवसर पर सभी विद्यालय और कॉलेजों में विद्या की देवी की आराधना होती है, लेकिन रांची विश्वविद्यालय के यूजी-पीजी छात्रावास में बसंत पंचमी खास तरीके से मनाया जाता है. पूजा के दौरान आज भी यहां पारंपरिक तौर तरीके देखने को मिलेते हैं. विधि विधान के साथ पूजा करने के लिए यहां के विद्यार्थी कई दिनों पहले से तैयारी में जुट जाते हैं.

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राज्य गठन के बाद यानी करीब 22 वर्षों से यहां मां सरस्वती की पूजा होती चली आ रही है. इस पूजा समिति का संचालन छात्र जीवन में कभी सुदेश महतो किया करते थे, इसके अलावा यहां से 100 से अधिक ऐसे विद्यार्थी पढ़कर निकले जो आज प्रशासनिक सेवा से लेकर विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत हैं. इस वजह से इस पूजा स्थल के प्रति पूर्ववर्ती विद्यार्थियों के साथ-साथ वर्तमान में पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं के मन में विशेष आस्था है.

प्रसाद वितरण के साथ एक दूसरे को लगाते हैं गुलाल: प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी या सरस्वती पूजा का पर्व माघ शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है. इस दिन लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं. यह धारणा आज भी रांची विश्वविद्यालय कैंपस में देखने को मिलता है. पूजा स्थल को रंग बिरंगी फूलों से सजाकर मां सरस्वती की पूजा की जाती है. इस वर्ष भी बड़े ही आकर्षक ढंग से पूजा स्थल को सजाकर विद्या की देवी की पूजा की गई. प्रसाद वितरण के बाद लोगों ने एक दूसरे को गुलाल लगाकर बसंत पंचमी की बधाई दी.

बसंत पंचमी पर होता है भोलेनाथ का तिलकोत्सव: मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही बाबा भोलेनाथ का तिलकोत्सव होता है. इसके पश्चात होली की शुरुआत हो जाती है. देवी सरस्वती की पूजा में जुटे डॉ सुभाष साहू का मानना है कि यह हॉस्टल भले ही सिर्फ लड़कों के लिए है, लेकिन बसंत पंचमी के दिन यहां मां सरस्वती के दर्शन के लिए लड़कियां भी आती हैं. यहां के पूजा को लेकर लोगों में काफी आस्था है, जिस वजह से यहां बहुत भीड़ होती है.

छात्र क्या कहते हैं: छात्र राकेश कुमार महतो कहते हैं कि यहां की सरस्वती पूजा बेहद ही खास होती है, जिस वजह से विद्यार्थियों की भीड़ लगी रहती है. छात्र संजीत कहते हैं कि सरस्वती पूजा को लेकर तैयारी बहुत पहले से ही शुरू हो जाती है. 15 दिन पहले से पूर्ववर्ती छात्र के साथ वर्तमान में पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को आमंत्रण भेजा जाने लगता है. गौरतलब है कि बसंत पंचमी माघ महीने का एक खास त्यौहार है. बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना करने की मान्यता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को कला और ज्ञान की देवी सरस्वती का जन्म हुआ था. इस कारण से हर वर्ष बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है. इस दिन विद्यारंभ और विवाह करना बहुत ही शुभ माना जाता है.

Last Updated : Jan 26, 2023, 8:00 PM IST
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