रांची: राजधानी के कोकर स्थित सैमफोर्ड अस्पताल में इलाज नहीं होने के कारण परिजनों ने हंगामा किया. परिजनों ने प्रबंधन पर इलाज करने से इनकार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि 2 लाख रुपये तक खर्च करवाने के बाद डॉक्टरों के द्वारा मरीज को बाहर निकाल दिया गया. बार-बार आग्रह करने के बावजूद डॉक्टरों ने इलाज नहीं किया. परिजन के हंगामा करने पर अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को धक्का देकर अस्पताल से बाहर निकाल दिया.
परिजन ने किया हंगामा
प्रबंधन का कहना है कि मरीज को एडमिट करने के समय में किसी तरह का आयुष्मान कार्ड नहीं दिया गया और जब मरीज की स्थिति बिगड़ने लगी और इलाज में पैसे लगने लगे तो परिजन ने हंगामा करना शुरू कर दिया. अस्पताल से निकालने के बाद मरीज की मौत भी हो गई है, जिसके बाद परिजन अब इलाज में खर्च हुए पैसे को वापस करने की मांग कर रहे हैं. मरीज के परिजन राजकुमार महतो ने बताया कि पिछले 8 दिनों से उनके मरीज का इलाज हो रहा था और इसके लिए उनलोगों ने 2 लाख रुपए भी जमा किए.
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गंभीर स्थिति में मरीज को निकाला दिया गया बाहर
परिजनों का आरोप है कि जब उनकी ओर से पैसे देने में असमर्थता जताई गई तो प्रबंधन ने मरीज का इलाज करने से साफ मना कर दिया, जबकि उनके पास आयुष्मान कार्ड भी था. मीडिया के लोगों ने जब परिजन से यह पूछा कि आपने आयुष्मान कार्ड पहले क्यों नहीं दिखाया तो परिजन का कहना था कि अस्पताल प्रबंधन ने बताया था कि कि इस बीमारी का इलाज आयुष्मान कार्ड से नहीं किया जा सकता है. जब पैसा देने में वे लोग असमर्थ हो गए तो अस्पताल प्रबंधन ने मरीज को गंभीर स्थिति में ही बाहर निकाल दिया और उसका ऑक्सीजन सिलेंडर भी हटा दिया, जिससे उसकी मौत हो गई.
कैमरे से भागते रहे अस्पताल प्रबंधन
जब ईटीवी भारत की टीम ने अस्पताल प्रबंधन से बात करने की कोशिश की तो पहले वह बात करने से मना कर दिया, लेकिन जब हमने बार-बार उनका पक्ष जानना चाहा तब उन्होंने कहा कि मरीज को भर्ती कराने के समय परिजन की ओर से कोई भी आयुष्मान कार्ड नहीं दिखाया गया था. जब पैसे लेने की बात हुई तो उसके बाद परिजनों ने आयुष्मान कार्ड दिखाया, जिससे साफ प्रतीत होता है कि आयुष्मान कार्ड इन्होंने बाद में बनवाया है.
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परिजनों के साथ अस्पताल प्रबंधन का गलत व्यवहार
मरीज को गंभीर स्थिति में अस्पताल से बाहर निकालने के बाद जब परिजन ने हंगामा शुरू किया तो अस्पताल प्रबंधन के कर्मचारी मयंक कुमार ने उन्हें अस्पताल से धक्का मार कर बाहर निकाल दिया, जो कि मानवता को सीधा शर्मसार करता है. मेडिकल प्रोटोकॉल के हिसाब से यह माना जाता है कि बीमार मरीज के परिजन का मानसिक संतुलन कहीं ना कहीं सही नहीं होता है. ऐसे में उसके साथ इस तरह का दुर्व्यवहार करना निश्चित रूप से मानवता ही नहीं, बल्कि चिकित्सा पेशे को भी तार-तार कर रहा है.
अस्पताल प्रबंधन की मनमानी
सैमफोर्ड अस्पताल आए दिन चर्चा का विषय बना रहता है. यहां मरीजों से इलाज के नाम पर अत्यधिक पैसे लेने की बात भी देखी जाती है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन इसको लेकर गंभीर नहीं है. जरूरत है ऐसे अस्पतालों पर जिला प्रशासन अपना रुख कड़ा करें, ताकि अस्पताल प्रबंधन की मनमानी पर रोक लग सके और राज्य के गरीब मरीजों का निजी अस्पतालों में इलाज हो सके.