रांची: संयुक्त बिहार के समय 1960 में बना राजधानी रांची का आरआईटी भवन आरआरडीए की नोटिस की वजह से विवादों में है. भवन के जर्जर होने की वजह से 15 दिनों के अंदर आरआईटी भवन खाली करने का आदेश दिया गया है. आरआरडीए के इसी आदेश पर अब हंगामा मच गया है.
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आरआरडीए को नहीं हो रहा था फायदा
दरअसल आरआरडीए को इस बहुमंजिली इमारत से वर्षो से फूटी कौड़ी नहीं मिल रही है. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने भी इस बिल्डिंग की मरम्मती का आदेश दे रखा है. जिससे यहां के दुकानदार और ऑफिसकर्मी सुरक्षित रह सके. मगर मरम्मती के बजाय आरआरडीए ने बिल्डिंग तोड़ने का ही फैसला ले लिया. आरआरडीए के इस फैसले के खिलाफ दुकानदार और सामाजिक संगठन से जुड़े कर्मी ने जान दे देंगे जगह खाली नहीं करने की धमकी दी है.
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बिल्डिंग में 45 दुकान और गैर सरकारी संगठन दफ्तर
कचहरी चौक स्थित इस तीन मंजिली इमारत में दुकान के अलावे कई सरकारी दफ्तर हैं. इस बिल्डिंग के तीसरा और दूसरा तल्ला पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है.आरआइटी बिल्डिंग के पहला तल्ला में राष्ट्रीय बचत पदाधिकारी का कार्यालय, दूसरे फ्लोर में सीआइडी मुख्यालय की विशेष शाखा, दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल सांख्यिकी के उप निदेशक का कार्यालय सहित अन्य कार्यालय संचालित होते हैं. इसके अलावे तीन मंजिली इस इमारत में कई सामाजिक संगठन से लेकर करीब 45 दुकानें हैं.
आरआरडीए को नहीं मिल रहा किराया
संयुक्त बिहार के समय बने इस बिल्डिंग से आरआरडीए को हर महीने लाखों रुपये की राजस्व मिलती थी. मगर हाल के वर्षों में किरायादार और आरआरडीए के बीच जारी कानूनी विवाद के कारण आरआरडीए को इससे भी हाथ धोना पड़ा है. एसडीओ कोर्ट के फैसला आने के बाद आरआरडीए ने किराया वसूली की कारवाई तेज करते हुए सभी बकायेदारों को नोटिस भेजा मगर किरायेदार पुराने रेट पर रेंट देने की जिद पर अड़े हैं. जिसके कारण भाड़ा मद में आरआरडीए का करीब डेढ करोड़ बकाया हो चुका है. बहरहाल आरआईटी बिल्डिंग को लेकर रेंटर और आरआरडीए आमने सामने है.दोनों ओर से अपने अपने तर्क दिये जा रहे हैं.ऐसे में विवाद सुलझने के बजाय दिन प्रतिदिन उलझता जा रहा है.