रांची: यातायात नियमों का पालन हादसों में लोगों की जान बचा सकता है. इसके बावजूद लोग हेलमेट लगाने पर गंभीर नहीं हैं. एक आंकड़े के मुताबिक राजधानी में चार महीने यानी 121 दिन में 231 सड़क हादसों में 171 लोगों ने जान गंवाई, जबकि 106 लोग घायल हुए. यानी तकरीबन रोज किसी न किसी की सड़क हादसे में मौत हुई है. इनमें सबसे ज्यादा मौत दोपहिया वाहनों चालकों की हुई. पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक इनमें से अधिकांश ने हेलमेट नहीं पहना था. आंकड़ों से यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि हर दूसरे हादसे में किसी न किसी की जान जा रही है.
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121 दिन में 171 लोगों की मौतः रोड सेफ्टी डिपार्टमेंट के आकड़ों के मुताबिक साल 2021 के दिसंबर में 75 सड़क हादसे हुए, जिसमें 52 लोग की मौत हुई और 36 घायल हुए. जनवरी 2022 में 61 सड़क हादसे हुए, इसमें 51 लोगों की मौत हुई जबकि 25 घायल हुए, फरवरी 2022 में 46 सड़क हादसे हुए, जिसमें 32 लोगों की मौत हुई और 17 घायल हुए. मार्च 2022 में 49 सड़क हादसे हुए, जिसमें 36 लोगों की मौत हुई और 23 घायल हुए. इस तरह चार माह (121 दिन) में 231 सड़क हादसों में 171 लोगों ने जान गंवाईं. यानी हर रोज हादसे में किसी न किसी की जान जा रही है और हर दूसरे हादसे में मौत हो रही है.
लोग बिना मानक के हेलमेट लेकर समझते हैं, अब चालान नहीं कटेगा. लेकिन वे भूल जाते हैं कि चालान पुलिस काटती है, लेकिन जान उनकी खुद की है. राजधानी में वर्षों से सड़क सुरक्षा को लेकर काम कर रहे राइज अप संस्था के संचालक ऋषभ आनंद का कहना है कि हेलमेट कभी भी फुटपाथ से न खरीदें. रोड साइड पर जो भी हेलमेट बिकते हैं वह सबस्टैंडर्ड हेलमेट होते हैं. ये हेलमेट बेहद कमजोर होते हैं. हेलमेट बेहतर है या नहीं इसको जांचने के लिए एक एप भी है. ऋषभ के अनुसार एक बेहतर हेलमेट बाजार में 800 से लेकर 1000 तक में मिल जाता है और अपने सिर की हिफाजत के लिए हमें इतना खर्च करना ही चाहिए.
बाइक लाखों की पर हेलमेट में कंजूसीः राजधानी रांची की सड़कों पर एक लाख रुपये से लेकर 15 लाख रुपये तक के बाइक नजर आ जाएगी, लेकिन यही लोग हेलमेट खरीदने में कंजूसी दिखाते नजर आते हैं. रांची के सहजानंद चौक, जगरनाथपुर थाना के सामने, डोरंडा, कर्बला चौक, सुजाता चौक के पास अक्सर फुटपाथ और ठेला पर हेलमेट की दुकान सजी रहती हैं. यहां नामी कंपनियों के डिब्बे में सब स्टैंडर्ड हेलमेट बेचे जाते हैं. जिस कंपनी के ओरिजनल हेलमेट का दाम दो हजार रुपया है, वह मात्र 200 से 500 रुपये में फुटपाथ पर मिल जाता है.
क्यों जरूरी है बेहतर हेलमेटः इंसान के शरीर का एक मात्र अंग ब्रेन है जो खोपड़ी के अंदर सुरक्षित रहता है. हादसों में कमजोर हेलमेट टूट जाता है और चोट सीधे ब्रेन को लगती है, जिससे उसकी कई कोशिकाएं स्थाई रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिसको रिपेयर करना संभव नहीं है. दिमाग में चोट लगने की वजह से खून का थक्का जम जाता है और यह धीरे-धीरे इंसान को मौत की आगोश में ले जाता है. यह सही है कि दुर्घटना कभी बताकर नहीं आती, जब दुर्घटना होनी होती है तो उसे रोकना भी मुश्किल होता है. लेकिन अगर हम स्वयं जागरूक हैं तो दुर्घटना होने के बाद उससे होने वाले नुकसान को काफी कम कर सकते हैं. मजबूत हेलमेट पहने के बाद रोड से सिर टकराता भी है तो बड़ा नुकसान नहीं होता है, यह बात अब बच्चे बच्चे तक जानते हैं लेकिन इसके बावजूद राजधानी रांची का युवा वर्ग अपनी जिंदगी से खेल रहा है ,हेलमेट से हादसे तो रुक नहीं सकते हैं मगर इन हादसों की वजह से जान जाने का खतरा कम हो सकता है.
परिवहन विभाग का आदेशः बिना मानक के हेलमेट को लेकर परिवहन विभाग ने पिछले साल ही आदेश जारी किया था,परिवहन विभाग ने कहा था कि राजधानी रांची में वैसे दुकानदारों पर कार्रवाई होगी जो निम्न स्तर के हेलमेट बेचते हैं. रांची पुलिस के साथ-साथ जिला प्रशासन की टीम भी ऐसे विक्रेताओं पर कार्रवाई करेगी. हालांकि अभी भी राजधानी के कई स्थानों पर दोयम दर्जे के हेलमेट धड़ल्ले से बिक रहे हैं. इसे लेकर एक बार फिर से बड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है. सड़क सुरक्षा डिपार्टमेंट की तरफ से इसे लेकर अवेयरनेस कैंपेन भी चलाया जा रहा है ताकि लोग जागरूक हो सकें.