रांची: राजधानी के कांके में संचालित राष्ट्रीय स्तरीय मनोचिकित्सा संस्थान रांची इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो सेक्रेटरी एंड एलायड साइंसेज (रिनपास) में बिहार के मानसिक रोगियों की भर्ती 30 अगस्त से बंद कर दी गई है. इसके पीछे की वजह है बिहार सरकार पर रिनपास की बकाया राशि. हालांकि रिनपास में केवल मरीजों की भर्ती ही बंद की गई है, उन्हें दवा अभी भी मिल रही है.
क्या कहते हैं रिनपास के निदेशक
बिहार के मरीजों की रिनपास में भर्ती बंद होने के मुद्दे पर निदेशक सुभाष सोरेन का कहना है कि रिनपास का बिहार सरकार पर तकरीबन 76 करोड़ रुपए का बकाया है. वे कहते हैं कि यहां पर इलाज के लिए आने वाले मानसिक रोगियों में बिहार के रोगियों की संख्या तकरीबन 50 प्रतिशत रहती है. वहीं एक रोगी को भर्ती करने के बाद प्रतिदिन के हिसाब से उससे 900 रुपए खर्चे के रूप में उससे वहन किए जाते हैं. ऐसे में धीरे-धीरे बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग पर रिनपास का बकाया राशि 76 करोड़ हो गया है.
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बिहार सरकार को लिखी गई चिट्ठी
रिनपास और झारखंड सरकार ने संस्थान के बकाया राशि को लेकर बिहार के स्वास्थ्य विभाग को पत्र भी भेजा. इसके जवाब में बिहार के स्वास्थ्य सचिव के अपर सचिव डॉ राजीव कुमार ने कहा कि क्योंकि बिहार के आरा स्थित कोईलवर में 180 बेड का मानसिक आरोग्यशाला कार्यरत है. लिहाजा रिनपास प्रबंधक अब बिहार के वैसे मरीजों को अपने यहां एडमिट ना करे, जिसके चिकित्सा खर्चे का भुगतान बिहार सरकार को करना पड़े. रिनपास को भेजे गए पत्र में यह भी कहा गया है कि पूर्वानुमति लेने वाले मरीजों का ही इलाज किया जाए.
क्यों बंद की गई रिनपास में बिहार के मरीजों की भर्ती
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए रिनपास के निदेशक सुभाष सोरेन ने कहा कि बिहार के स्वास्थ्य विभाग से आए जवाबी पत्र के आलोक में बिहार के मरीजों की भर्ती पर 30 अगस्त से रोक लगाई गई है. हालांकि उन्होंने कहा कि अभी भी ओपीडी में तमाम दूसरे राज्य के मरीजों को देखा जा रहा है. वहीं मरीजों को दवाई भी उपलब्ध कराई जा रही है.