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108 एंबुलेंस के साथ रिम्स प्रबंधन का सौतेला व्यवहार! घंटों इंतजार के बाद भी नहीं मिलता स्ट्रेचर और व्हीलचेयर

रांची में 108 एंबुलेंस के साथ रिम्स प्रबंधन का सौतेला व्यवहार किया जाता है. अस्पताल में मरीज पहुंचने के बाद घंटों इंतजार और मशक्कते बाद परिजनों को स्ट्रेचर और व्हीलचेयर मुहैया कराई जाती है. जिसकी वजह से एंबुलेंस चालक परेशान हो जाते और दूसरे मरीजों तक समय पर नहीं पहुंच पाते हैं.

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Published : May 20, 2022, 1:41 PM IST

RIMS management misbehaved with 108 ambulance in Ranchi
108 एंबुलेंस

रांची: मुसीबत कभी पूछकर नहीं आती, हादसे अचानक होते हैं, ऐसी स्थिति में सबसे पहले एंबुलेंस की आवश्यकता पड़ती है. अगर उसी एंबुलेंस को घंटों तक कहीं रोक दिया जाए तो निश्चित रूप से जरूरतमंद मरीजों तक एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंच पाएगी. इसी तरह की स्थिति झारखंड के 108 एंबुलेंस के साथ बनी हुई है. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में जैसे ही 108 एंबुलेंस से कोई मरीज पहुंचता है तो उस एंबुलेंस के मरीज को रिम्स की तरफ से एंबुलेंस से उतारने के लिए मरीज को स्ट्रेचर और व्हीलचेयर नहीं दी जाती है.


108 एंबुलेंस के साथ रिम्स प्रबंधन का सौतेला व्यवहार हर किसी को परेशानी में डाल देता है. एंबुलेंस चालकों ने बताया कि कई बार घंटों तक मरीज एंबुलेंस में पड़े रहते हैं. लेकिन रिम्स की तरफ से ना तो स्ट्रेचर दिया जाता है और ना ही व्हीलचेयर मुहैया कराई जाती है. एंबुलेंस कर्मचारियों ने अपनी परेशानी साझा करते हुए बताया कि जब भी वह मरीज को लेकर रिम्स अस्पताल पहुंचते हैं तो उनके टेक्नीशियन और ड्राइवर ही मरीज का इमरजेंसी में इलाज कराते हैं. उसके बाद उस मरीज को वार्ड तक पहुंचाते हैं. जिस वजह से कई बार एंबुलेंस घंटों तक एक मरीज के लिए ही रुकी रह जाती है. जबकि नियमपूर्वक मरीज को तुरंत एंबुलेंस से निकालकर एंबुलेंस चालक को अस्पताल से निकल जाना होता है.

देखें पूरी खबर

वहीं चालक अंबर कुमार ने बताया कि अगर वो इसका विरोध करते हैं या फिर रिम्स के कर्मचारियों से स्ट्रेचर या व्हीलचेयर की मांग करते हैं तो उनके गार्ड मारपीट या फिर गाली गलौज पर उतर जाते हैं. इन सारी समस्या को लेकर 108 एंबुलेंस के स्टेट हेड मिल्टन सिंह बताते हैं कि राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में इस तरह की समस्या आए दिन देखने को मिलती है. कई बार 108 एंबुलेंस कर्मचारी और एंबुलेंस चालक उन्हें फोन कर जानकारी देते हैं कि घंटों तक एंबुलेंस को रिम्स में रोककर रखा गया है और मरीज एंबुलेंस में ही पड़े हुए हैं.

एंबुलेंस चालकों की समस्या को देखते हुए 108 एंबुलेंस अपने कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) के तहत रिम्स प्रबंधन को कुछ स्ट्रेचर और व्हीलचेयर मुहैया कराएगी ताकि जो भी मरीज अस्पताल पहुंचे उन्हें तुरंत ही एंबुलेंस से उतारा जा सके. रिम्स कर्मचारियों के इस सौतेले व्यवहार को लेकर जनसंपर्क अधिकारी डॉ डीके सिन्हा ने कहा कि मरीज को एंबुलेंस में घंटों तक रोकना कहीं से भी उचित नहीं है. अगर इस तरह की लापरवाही बरती जा रही है तो संबंधित लोगों पर निश्चित रूप से नियम संगत कार्रवाई की जाएगी.

रांची: मुसीबत कभी पूछकर नहीं आती, हादसे अचानक होते हैं, ऐसी स्थिति में सबसे पहले एंबुलेंस की आवश्यकता पड़ती है. अगर उसी एंबुलेंस को घंटों तक कहीं रोक दिया जाए तो निश्चित रूप से जरूरतमंद मरीजों तक एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंच पाएगी. इसी तरह की स्थिति झारखंड के 108 एंबुलेंस के साथ बनी हुई है. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में जैसे ही 108 एंबुलेंस से कोई मरीज पहुंचता है तो उस एंबुलेंस के मरीज को रिम्स की तरफ से एंबुलेंस से उतारने के लिए मरीज को स्ट्रेचर और व्हीलचेयर नहीं दी जाती है.


108 एंबुलेंस के साथ रिम्स प्रबंधन का सौतेला व्यवहार हर किसी को परेशानी में डाल देता है. एंबुलेंस चालकों ने बताया कि कई बार घंटों तक मरीज एंबुलेंस में पड़े रहते हैं. लेकिन रिम्स की तरफ से ना तो स्ट्रेचर दिया जाता है और ना ही व्हीलचेयर मुहैया कराई जाती है. एंबुलेंस कर्मचारियों ने अपनी परेशानी साझा करते हुए बताया कि जब भी वह मरीज को लेकर रिम्स अस्पताल पहुंचते हैं तो उनके टेक्नीशियन और ड्राइवर ही मरीज का इमरजेंसी में इलाज कराते हैं. उसके बाद उस मरीज को वार्ड तक पहुंचाते हैं. जिस वजह से कई बार एंबुलेंस घंटों तक एक मरीज के लिए ही रुकी रह जाती है. जबकि नियमपूर्वक मरीज को तुरंत एंबुलेंस से निकालकर एंबुलेंस चालक को अस्पताल से निकल जाना होता है.

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वहीं चालक अंबर कुमार ने बताया कि अगर वो इसका विरोध करते हैं या फिर रिम्स के कर्मचारियों से स्ट्रेचर या व्हीलचेयर की मांग करते हैं तो उनके गार्ड मारपीट या फिर गाली गलौज पर उतर जाते हैं. इन सारी समस्या को लेकर 108 एंबुलेंस के स्टेट हेड मिल्टन सिंह बताते हैं कि राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में इस तरह की समस्या आए दिन देखने को मिलती है. कई बार 108 एंबुलेंस कर्मचारी और एंबुलेंस चालक उन्हें फोन कर जानकारी देते हैं कि घंटों तक एंबुलेंस को रिम्स में रोककर रखा गया है और मरीज एंबुलेंस में ही पड़े हुए हैं.

एंबुलेंस चालकों की समस्या को देखते हुए 108 एंबुलेंस अपने कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) के तहत रिम्स प्रबंधन को कुछ स्ट्रेचर और व्हीलचेयर मुहैया कराएगी ताकि जो भी मरीज अस्पताल पहुंचे उन्हें तुरंत ही एंबुलेंस से उतारा जा सके. रिम्स कर्मचारियों के इस सौतेले व्यवहार को लेकर जनसंपर्क अधिकारी डॉ डीके सिन्हा ने कहा कि मरीज को एंबुलेंस में घंटों तक रोकना कहीं से भी उचित नहीं है. अगर इस तरह की लापरवाही बरती जा रही है तो संबंधित लोगों पर निश्चित रूप से नियम संगत कार्रवाई की जाएगी.

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