रांची/धनबाद: भारत में ऊर्जा का एक प्रमुख श्रोत कोयला है. देश का थर्मल पावर सिस्टम इसी कोयले पर टिका है. बिजली की बढ़ती मांग ने कोयले की खपत भी बढ़ा दी है. इसकी वजह से तेजी से कोयले का उत्खनन करना पड़ रहा है. लेकिन खदानों से कोयला निकालना बेहद जोखिम भरा काम होता है. कई बार खदान में अलग-अलग तरह की गैस के रिसाव से आग लगने और ब्लास्ट होने की संभावना बनी रहती है.
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कोयला खदानों में हादसा न हो इसके लिए कई स्तर पर रिसर्च किए जा रहे हैं. इस कड़ी में धनबाद स्थित आईआईटी, आईएसएम के एसोसिएट प्रोफेसर देवी प्रसाद मिश्रा ने अलग-अलग कोयला खदानों के कोयले पर एक रिसर्च किया है. उनके रिसर्च पेपर का टाइटल है - " Physico-chemicalCharacteristicsof Pulverized Coal and their interrelations - a spontaneous combustion and explosion perspective". इस रिसर्च को पूरा करने में 21.45 लाख रुपए खर्च किए गये हैं. जिसे साइंस एंड इंजीनियरिंग बोर्ड ऑफ डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने वहन किया है.
प्रोफेसर देवी प्रसाद मिश्रा के इस रिसर्च में आईआईटी, चेन्नई के मेकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के फैकल्टी डॉ वी राघवन ने भी सहयोग किया है. रिसर्च में कोयले के अलग-अलग गुण का आंकलन किया गया है. इसकी वजह से खदान में आग लगने और धमाके की संभावना की जानकारी मिल सकती है. रिसर्च के दौरान सेल, एससीसीएल, बीसीसीएल, सीसीएल, ईसीएल, एनसीएल, एसईसीएल के खदानों के कोयला सैंपल लेकर उनकी ज्वलनशीलता और धमाके की क्षमता का आंकलन किया गया है.