झारखंडः राज्य में सीएनटी और एसपीटी कानून की वजह से सबसे ज्यादा जमीन विवाद के मामले सामने आते हैं. वहीं, दूसरी तरफ जमीन का दायरा सीमित होने से रियल एस्टेट का कारोबार तेजी से फैला. रियल एस्टेट का कारोबार बढ़ा, तो बिल्डर्स की मनमानी शुरू हो गई और ग्राहक परेशान होने लगे. बिल्डर्स की मनमानी रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 1 मई 2016 को रियल स्टेट रेगुलेटरी एक्ट(रेरा) लागू किया, तो इसी कानून को झारखंड में 19 नवंबर 2018 से लागू किया गया है.
यह भी पढ़ेंःधार्मिक स्थल तोड़े जाने पर बिल्डर के खिलाफ फूटा लोगों का गुस्सा, प्रशासन ने कराया शांत
झारखंड में रेरा लागू होने के बाद से अब तक दर्ज 223 मामलों में 86 का निष्पादन हो चूका है. इसके साथ ही 22 मामले पुनर्विचार के लिए आए, जिसमें 10 मामले निष्पादित किया जा चुका है. झारेरा के एडजुकेटिंग ऑफिसर आरके चौधरी की मानें तो बिल्डर्स और ग्राहकों के बीच विवादों को सुलझाने में झारखंड भू-संपदा नियामक प्राधिकार यानी रेरा प्रभावी भूमिका निभा रहा है. फ्लैट खरीदारों का विश्वास रेरा पर बढ़ा है, जिससे पीड़ित ग्राहक फरियाद लेकर आने लगे हैं. उन्होंने कहा कि बिल्डर्स और ग्राहक के बीच हुए एग्रीमेंट के अनुसार फ्लैट उपलब्ध कराना है. अगर बिल्डर तय सीमा के भीतर फ्लैट नहीं देता है, तो बिल्डर्स से जुर्माना वसूलने का प्रावधान किया गया है.
बिल्डर्स पर लगाम लगाने में जुटा रेरा
झारखंड में बिल्डर्स की मनमानी पर लगाम लगाने में रेरा इन दिनों लगा हुआ है. झारेरा प्रावधान के अनुरूप काम नहीं करने वाले कई बिल्डर्स का निबंधन रद्द करने के साथ साथ भारी जुर्माना भी लगा चुका है. इतना ही नहीं, बिल्डर्स पर अंकुश लगाने के लिए प्रत्येक प्रोजेक्ट का एकांउट खोलना है और संबंधित प्रोजेक्ट के पैसे उसी एकाउंट से खर्च करने का प्रावधान किया गया हैं. इसके साथ ही प्रोजेक्ट की वास्तविक स्थिति की जानकारी रेरा को अपडेट करते रहना है. बिल्डर्स को परेशानी नहीं हो. इसके लिए ऑनलाइन व्यवस्था की गई है, जिसपर रजिस्ट्रेशन से लेकर प्रोजेक्ट अपडेट की जानकारी उपलब्ध कराने की सुविधा दी गई है.
झारेरा में सदस्यों की कमी
झारेरा में एक अध्यक्ष और दो सदस्य के पद सृजित हैं. लेकिन, वर्तमान में सिर्फ अध्यक्ष के रूप में सीमा सिन्हा कार्यरत हैं और सदस्य के दोनों पद खाली हैं. रेरा अध्यक्ष सीमा सिन्हा कहती हैं कि सदस्यों के दोनों पद के साथ साथ कर्मियों की कमी है. इसको लेकर सरकार को पत्र लिखा गया है. उन्होंने कहा कि रेरा गठित होने के बाद ग्राहकों की समस्या दूर करने के लिए गठित मध्यस्थता केंद्र सार्थक भूमिका निभा रही है.
बिल्डर्स भी कर रहे हैं रेरा की सराहना
विवादों को सुलझाने में रेरा की भूमिका का सराहना बिल्डर्स भी कर रहे हैं.आम तौर पर ग्राहकों की छोटी-मोटी शिकायतें दूर नहीं होने पर विवाद बढ़ता चला जाता था. रियल एस्टेट से जुड़े अभिलाष साहु कहते हैं कि रेरा के आने के बाद ग्राहकों में बिल्डर्स के प्रति विश्वास बढ़ा है. कानून के जानकार कहते हैं कि जमीन और फ्लैट विवाद का प्रमुख कारण ऑनलाइन व्यवस्था नहीं होना है. जमीन और फ्लैट की सारे दस्तावेज सरकारी वेबसाइट पर अपलोड होने से बिल्डर की मनमानी अपने आप रुक जायेगा.
अब तक कुछ प्रमुख विवाद जिसमें रेरा ने दिये महत्वपूर्ण फैसला
- वाद संख्या 51/2019ः किरण सिन्हा बनाम नित्य नव निर्माण इंफ्रास्ट्रक्चर कंस्ट्रक्शन प्रा.लि. एवं अन्य-बिल्डर पर जुर्माना
- वाद संख्या 01/2018ः सुरेंद्र कुमार उपाध्याय एवं अन्य बनाम अनन्या कंस्ट्रक्शन-बिल्डर पर जुर्माना. ग्राहक को सूद के साथ राशि भुगतान का आदेश
- वाद संख्या 45/2018ः कविता शर्मा बनाम पवन कुमार अग्रवाल, निदेशक प्रणीत प्रमोटर प्रा.लि. रामगढ़ पर जुर्माना