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रांची में प्रख्यात साहित्यकार डॉ भुवनेश्वर अनुज का निधन, शोक में साहित्य जगत

झारखंड के प्रख्यात साहित्यकार डॉ भुवनेश्वर अनुज का हार्ट अटैक से निधन हो गया. उनके निधन से झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा परिवार मर्माहत है. उन्होंने झारखंड आंदोलन में अहम योगदान दिया था.

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प्रख्यात साहित्यकार का निधन
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Published : Apr 3, 2021, 2:35 AM IST

रांची: झारखंड के प्रख्यात साहित्यकार, पत्रकार और झारखंड आंदोलनकारी डॉ भुवनेश्वर अनुज का शुक्रवार को हार्ट अटैक से निधन हो गया. डॉ अनुज के निधन से झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा परिवार मर्माहत है. भुवनेश्वर अनुज का जन्म 3 अप्रैल 1935 को गुमला जिला के सिसई थाना अंतर्गत छारदा ग्राम के एक किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने हिंदी में एमए, पीएचडी किया था. उन्हें पत्रकारिता, शैक्षिक, सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों में विशेष रूचि थी. उनकी राष्ट्रीय स्तर की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में विभिन्न विषयों पर रचनाएं प्रकाशित की गई थी, साथ ही उनकी रचनाएं आकाशवाणी से भी प्रसारित की जाती रही है.


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कई उपलब्धि इनके नाम
झारखंड झरोखा से उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है. झारखंड आंदोलन को गतिमान बनाने के लिए उनकी अमूल्य रचना भी प्रकाशित हुई है. बौद्धिक स्तर से उन्होंने झारखंड आंदोलन को गति देने का काम किया था. उन्होंने अपने गांव छरदा में उच्च विद्यालय की स्थापना भी की थी, साथ ही उन्होंने रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत बैजनाथ जालान महाविद्यालय सिसई, गुमला, संजय गांधी मेमोरियल महाविद्यालय पंडरा, रांची, बसिया महाविद्यालय बसिया, लापुंग इंटर महाविद्यालय की स्थापना की और संस्थापक सचिव भी रहे.

रांची: झारखंड के प्रख्यात साहित्यकार, पत्रकार और झारखंड आंदोलनकारी डॉ भुवनेश्वर अनुज का शुक्रवार को हार्ट अटैक से निधन हो गया. डॉ अनुज के निधन से झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा परिवार मर्माहत है. भुवनेश्वर अनुज का जन्म 3 अप्रैल 1935 को गुमला जिला के सिसई थाना अंतर्गत छारदा ग्राम के एक किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने हिंदी में एमए, पीएचडी किया था. उन्हें पत्रकारिता, शैक्षिक, सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों में विशेष रूचि थी. उनकी राष्ट्रीय स्तर की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में विभिन्न विषयों पर रचनाएं प्रकाशित की गई थी, साथ ही उनकी रचनाएं आकाशवाणी से भी प्रसारित की जाती रही है.


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कई उपलब्धि इनके नाम
झारखंड झरोखा से उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है. झारखंड आंदोलन को गतिमान बनाने के लिए उनकी अमूल्य रचना भी प्रकाशित हुई है. बौद्धिक स्तर से उन्होंने झारखंड आंदोलन को गति देने का काम किया था. उन्होंने अपने गांव छरदा में उच्च विद्यालय की स्थापना भी की थी, साथ ही उन्होंने रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत बैजनाथ जालान महाविद्यालय सिसई, गुमला, संजय गांधी मेमोरियल महाविद्यालय पंडरा, रांची, बसिया महाविद्यालय बसिया, लापुंग इंटर महाविद्यालय की स्थापना की और संस्थापक सचिव भी रहे.

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