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आय से अधिक संपत्ति मामले में जेई राम विनोद सिन्हा के परिजनों को राहत, हाई कोर्ट ने निचली अदालत के वारंट को किया निरस्त - Hearing on petition of JE Ram Vinod Sinha in High Court

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश अनिल कुमार चौधरी की अदालत में आय से अधिक संपत्ति मामले में आरोपी जूनियर इंजीनियर राम विनोद सिन्हा के परिजनों के ओर से दायर सीआरएमपी याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद वारंट को निरस्त कर दिया है.

Relief for JE Ram Vinod Sinha from High Court in disproportionate assets case
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Aug 11, 2020, 9:35 PM IST

रांची: आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपी जूनियर इंजीनियर राम विनोद सिन्हा के परिजनों के ओर से दायर सीआरएमपी याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद निचली अदालत के जारी वारंट इशू करने के तरीके को गलत करार देते हुए जारी वारंट को निरस्त कर दिया है.

जानकारी देते अधिवक्ता
झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश अनिल कुमार चौधरी की अदालत में आय से अधिक संपत्ति मामले में आरोपी जूनियर इंजीनियर राम विनोद सिन्हा के परिजनों के ओर से दायर सीआरएमपी याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और एसीबी की अधिवक्ता टिएन वर्मा ने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. याचिकाकर्ता की ओर से सुनवाई के दौरान अदालत में बताया गया कि निचली अदालत के ओर से जारी किए गए वारंट में सीआरपीसी की धारा 73 में दिए गए शर्तों का बिना अनुपालन किए ही वारंट जारी कर दी गई, जो कि गलत है.

वहीं, एसीबी की अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि राम विनोद सिन्हा के परिजनों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं. वारंट इशू के दौरान प्रक्रिया पूर्ण नहीं की गई थी, लेकिन 82 इशू करने के दौरान सभी प्रक्रियाएं को पूरी कर ली गई. अदालत ने याचिकाकर्ता के आग्रह को स्वीकार करते हुए कहा कि जब वारंट इशू के समय ही प्रक्रियाएं पूरी नहीं की गई, तो उसके बाद सभी प्रक्रिया पूरी किए जाना उचित नहीं है. उन्होंने निचली अदालत के द्वारा जारी वारंट को निरस्त कर दिया और एसीबी को विधि पूर्वक कार्रवाई करने की छूट दी.

इसे भी पढ़ें:- झारखंड हाई कोर्ट में प्रोफेसर प्रोन्नति मामले में सुनवाई, अदालत ने विश्वविद्यालय को शीघ्र निर्णय लेने का दिया आदेश


बता दें कि जूनियर इंजीनियर राम विनोद सिन्हा आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में उनके पत्नी, बेटा और बेटी को भी एसीबी ने आरोपी बनाया है. निचली अदालत से उनके खिलाफ वारंट भी जारी कर दी गई. निचली अदालत से जारी वारंट को उनके तरफ से हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. उसी याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने निचली अदालत से जारी वारंट को खारिज कर दिया है.

रांची: आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपी जूनियर इंजीनियर राम विनोद सिन्हा के परिजनों के ओर से दायर सीआरएमपी याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद निचली अदालत के जारी वारंट इशू करने के तरीके को गलत करार देते हुए जारी वारंट को निरस्त कर दिया है.

जानकारी देते अधिवक्ता
झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश अनिल कुमार चौधरी की अदालत में आय से अधिक संपत्ति मामले में आरोपी जूनियर इंजीनियर राम विनोद सिन्हा के परिजनों के ओर से दायर सीआरएमपी याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और एसीबी की अधिवक्ता टिएन वर्मा ने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. याचिकाकर्ता की ओर से सुनवाई के दौरान अदालत में बताया गया कि निचली अदालत के ओर से जारी किए गए वारंट में सीआरपीसी की धारा 73 में दिए गए शर्तों का बिना अनुपालन किए ही वारंट जारी कर दी गई, जो कि गलत है.

वहीं, एसीबी की अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि राम विनोद सिन्हा के परिजनों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं. वारंट इशू के दौरान प्रक्रिया पूर्ण नहीं की गई थी, लेकिन 82 इशू करने के दौरान सभी प्रक्रियाएं को पूरी कर ली गई. अदालत ने याचिकाकर्ता के आग्रह को स्वीकार करते हुए कहा कि जब वारंट इशू के समय ही प्रक्रियाएं पूरी नहीं की गई, तो उसके बाद सभी प्रक्रिया पूरी किए जाना उचित नहीं है. उन्होंने निचली अदालत के द्वारा जारी वारंट को निरस्त कर दिया और एसीबी को विधि पूर्वक कार्रवाई करने की छूट दी.

इसे भी पढ़ें:- झारखंड हाई कोर्ट में प्रोफेसर प्रोन्नति मामले में सुनवाई, अदालत ने विश्वविद्यालय को शीघ्र निर्णय लेने का दिया आदेश


बता दें कि जूनियर इंजीनियर राम विनोद सिन्हा आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में उनके पत्नी, बेटा और बेटी को भी एसीबी ने आरोपी बनाया है. निचली अदालत से उनके खिलाफ वारंट भी जारी कर दी गई. निचली अदालत से जारी वारंट को उनके तरफ से हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. उसी याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने निचली अदालत से जारी वारंट को खारिज कर दिया है.

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