रांची: कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए अहम भूमिका निभाने वाला एंबुलेंस, स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. चिंता की बात ये है कि इन दिनों कोविड के मरीजों के लिए जो एंबुलेंस संचालित हैं, वो नाकाफी हैं. कोविड के मरीजों के लिए एडवांस सपोर्ट सिस्टम एम्बुलेंस और बेसिक स्पोर्ट सिस्टम दोनों ही तरह के एंबुलेंस इस्तेमाल में लाए जा रहे हैं.
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राज्य में 108 एंबुलेंस की बात करें, तो उसकी संख्या भी कम है. बता दें कि राज्य में लगभग 400 की संख्या में 108 एंबुलेंस का संचालन हो रहा है, जो कि कोरोना काल में बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए काफी कम है. ऐसे में जिस तरह से कोविड के मरीजों में इजाफा हो रहा है, उसके मुताबिक एंबुलेंस की संख्या बढ़नी चाहिए. सबसे ज्यादा परेशानी उन गरीब लोगों के लिए है, जो अस्पताल प्रबंधन पर एंबुलेंस के लिए निर्भर हैं.
पिछले दिनों एंबुलेंस के देर से आने पर राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी रजनीश सामध की मौत हो गई. रजनीश सामध के बहनोई बताते हैं कि कई बार फोन करने के बावजूद समय पर एंबुलेंस नहीं मिला और लाचार सिस्टम के चलते उन्होंने अपने परिवार के प्रिय सदस्य को खो दिया. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में एंबुलेंस सेवा की बात करें, तो वर्तमान में कोविड के मरीजों के लिए मात्र 6 एंबुलेंस का परिचालन हो रहा है. एंबुलेंस चालकों की भी कमी होने का मामला सामने आया है.
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निजी एंबुलेंस चालकों का कहना है कि वो लोग कोरोना के मरीजों को अस्पताल नहीं पहुंचा रहे हैं क्योंकि उनके पास सुरक्षा के लिए PPE किट या अन्य संसाधन मुहैया नहीं हो रहे हैं. ऐसे में वो सिर्फ आम मरीजों को ही एंबुलेंस की सेवा दे रहे हैं. इसके अलावा सरकारी एंबुलेंस के भरोसे ही कोरोना के मरीजों को ढोना निश्चित रूप से एक चुनौती बन गई है. अब देखना होगा कि राज्य सरकार इस चुनौती से कैसे निपटती है. एंबुलेंस सेवा को बढ़ाने के लिए सूबे के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार और स्वास्थ विभाग एंबुलेंस सेवा को लेकर संवेदनशील है और मरीजों को बेहतर एंबुलेंस सेवा देने के लिए काम कर रही है.