रांची: क्षेत्रफल की दृष्टि से देश में सबसे बड़ा झारखंड उच्च न्यायालय का उद्घाटन बुधवार को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया. इस कार्यक्रम में शामिल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जहां हायर ज्यूडिशियरी (उच्च न्यायालयों) में जनजातीय समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करने की बात कही, तो सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने निचली अदालतों में सुविधाओं की कमी और महिला शौचालय तक की अनुपलब्धता की बात कह कर एक बड़ी कमी की ओर इशारा कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने आदिवासियों की जमीन होने के बावजूद उसका कागज नहीं होने जैसी परेशानियों का जिक्र करते हुए कहा कि आदिवासियों की जमीन बची रहे इसके लिए उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय को सजग रहना होगा. राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और भारत के मुख्य न्यायाधीश की कही बातों पर कांग्रेस, झामुमो और बीजेपी ने नेतआों ने प्रतिक्रिया दी है.
कांग्रेस ने सीजेआई और सीएम दोनों के विचार को स्वागत योग्य बताया: झारखंड कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने ईटीवी भारत को फोन पर कहा कि मुख्यमंत्री ने वंचितों को न्याय दिलाने के संदर्भ में आदिवासी समुदाय को भी उच्च ज्यूडिशयरी में जगह देने की गुजारिश की है, यह सही भी है. कांग्रेस नेता ने कहा कि ना सिर्फ आदिवासी, बल्कि दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ों को भी ज्यूडिशयरी में जगह मिलना चाहिए. भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा महिला शौचालय और आदिवासियों की जमीन के कागजात के मुद्दे उठाने पर कांग्रेस नेता राकेश सिन्हा ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है. अगर झारखंड राज्य के क्षेत्र में निचली अदालतों में महिला शौचालय की सुविधा नहीं है तो निश्चित रूप से सरकार को इस दिशा में काम करने की जरूरत है और कांग्रेस भी इसके लिए मुख्यमंत्री से आग्रह करेगी. कांग्रेस नेता ने कहा कि आदिवासियों की जमीन को बचाना सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए .
हायर ज्यूडिशियरी में एससी-एसटी का प्रतिनिधित्व का झामुमो ने समर्थन कियाः झारखंड उच्च न्यायालय के नए भवन के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा कही गई बात का समर्थन करते हुए जेएमएम के केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि यह एक तथ्य है कि अपर ज्यूडिशयरी में एससी-एसटी, ओबीसी की संख्या काफी कम है. इन वर्गों से आने वाले लोगों को भी न्यायिक सेवा में अवसर मिलना चाहिए. यह सभी संविधानिक संस्थाओं का दायित्व भी होना चाहिए. सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा निचली अदालतों में महिला शौचालय नहीं होने का जिक्र करना एक बेहद दुखद स्थिति की ओर इशारा करता है और निश्चित रूप से झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार इस कमी को दूर करेगी. उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश ने आदिवासियों की जमीन को लेकर जो चिंता जाहिर की है, वह बिल्कुल सही है. हम सभी का यह दायित्व आदिवासियों की जमीन की रक्षा करना है.
भाजपा ने उच्च न्यायालय के उद्घाटन समारोह मंच का राजनीतिक इस्तेमाल का लगाया आरोप: भाजपा ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय भवन के उद्घाटन समारोह जैसे कार्यक्रम में भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने न्यायिक सेवा में आदिवासियों को जगह देने की मांग कर इस मंच का भी राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने ईटीवी भारत से फोन पर कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को यह याद रखना चाहिए कि जस्टिस रत्नाकर भेंगरा जैसे कई विद्वान जज हुए हैं. न्यायिक सेवा में योग्यता के आधार पर मौका मिलता है, यह बात भी हेमंत सोरेन को याद रखना चाहिए. वहीं निचली अदालतों में महिला शौचालय नहीं संबंधित सीजीआई के बयान पर भाजपा नेता ने कहा कि अगर राज्य के किसी भी निचली अदालत भवन में महिला शौचालय नहीं है तो पूरी गंभीरता से और तत्काल महिला शौचालय बनाया जाना चाहिए. भाजपा नेता ने कहा कि जहां तक आदिवासियों के जमीन के कागजात नहीं होने की बात है निश्चित रूप से इस मुद्दे पर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को ज्यादा सजग रहने की जरूरत है. क्योंकि झारखंड जैसे प्रदेश में अधिकारियों और कुछेक राजनीतिज्ञों की मिलीभगत से जिन जमीनों के कागजात आदिवासियों के नाम से हैं, उन कागजातों में हेराफेरी करके भी जनजातीय समाज की जमीन लूटी जा रही है. इस पर हेमंत सोरेन को भी संज्ञान लेना चाहिए.