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मास्टर साहब हों तो ऐसे, कोरोना को दी चुनौती, गरीब बच्चों के लिए अपनी कार को बना दिया चलता-फिरता स्कूल - Unique School in Ranchi

रांची में शिक्षक राजेश कुमार ने अपनी कार को ही स्कूल बना दिया. राज्य में कोरोना के कारण सभी स्कूलें बंद हैं. इसलिए वो गांव-गांव में जाकर बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. राजेश रांची के ही तेतरी मध्य विद्यालय में कार्यरत हैं.

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Published : Jan 19, 2022, 3:57 PM IST

Updated : Jan 19, 2022, 4:26 PM IST

रांची: बेशक, कोरोना की तीसरी लहर की वजह से झारखंड के तमाम स्कूल बंद हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि मुसीबत के इस दौर में भी रांची में एक स्कूल चल रहा है. कभी कटहल के पेड़ के नीचे तो कभी बरगद के पेड़ के नीचे. कभी इस गांव में तो कभी उस गांव में. इसका संचालन करने वाले मास्टर साहब का नाम है राजेश कुमार. नामकुम प्रखंड के तेतरी राजकीय मध्य विद्यालय में गणित के शिक्षक हैं.

ये भी पढ़ें- मंदिर की लाउडस्पीकर से निकली वर्णमाला की वाणी, जानिए पूरी खबर

रांची में चलती फिरती स्कूल: कोरोना ने स्कूलों में ताला लगा दिया तो इन्होंने रांची में चलती फिरती स्कूल खोल दी. मास्टर साहब अपनी कार में ब्लैक बोर्ड, दरी, मास्क और सेनेटाइजर लेकर चलते हैं. फोन के जरिए स्कूल के दो-एक बच्चों को सूचना दे देते हैं कि आज किस इलाके में पढ़ाई होगी. फिर क्या सुबह नौ बजते ही अपनी चलती-फिरती स्कूल लिए पहुंच जाते हैं. जिन बच्चों के पास मास्क नहीं होता, उन्हें मास्क देते हैं. हैंड सेनेटाइज करवाते हैं. दरी बिछवाते हैं और कार की डिक्की में ब्लैक बोर्ड टिकाकर पढ़ाना शुरू कर देते हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

कार में स्कूल: राजेश मास्टर जी ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब पढ़ाई ठप हुई तो उन्होंने अपने बेटे के साथ मिलकर सब्जेक्ट के हिसाब से वीडियो बनाना शुरू किया. जिन अभिभावकों के पास स्मार्टफोन थे, उन्हें वीडियो भेजने लगे. लेकिन उनकी पहुंच बहुत कम बच्चों तक हो पाई. डाउट का समाधान नहीं होने पर बच्चों का इंटरेस्ट कम होता गया. इसी बीच कोरोना की तीसरी लहर की वजह से दोबारा स्कूलों के बंद होने पर उन्होंने अपनी कार को ही स्कूल बना दिया. इनकी पाठशाला में छठी से 8वीं तक के बच्चे अभिभावकों से अनुमति लेकर पहुंचते हैं. इनके इस नेक काम में तेतरी राजकीय मध्य विद्यालय के सुरेंद्र महतो सर के अलावा अन्य शिक्षक भी मदद करते हैं.

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बच्चों को पढ़ाते राजेश कुमार

ये भी पढ़ें- नामकुम सरकारी स्कूल का सराहनीय कदम, बच्चों को लाउडस्पीकर के माध्यम से दी जा रही शिक्षा

सरकारी स्कूल के गरीब बच्चों को तेतरी गांव में जाकर पढ़ाने के लिए राजेश मास्टर जी को हर दिन करीब 70 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. वह रांची के काठीटांड में रहते हैं. राजेश सर का मानना है कि मुसीबत के इस दौर में अगर उनके जैसे लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे तो सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चे लक्ष्य से भटकने लगेंगे. क्योंकि प्राइवेट स्कूलों की तरह इन्हें ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा दिलाना संभव नहीं है. ऊपर से गरीबी की वजह से बाल मजदूरी का खतरा बना रहता है.

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चलता-फिरता स्कूल

उन्होंने कहा कि वह गणित के हर चैप्टर को तबतक पढ़ाते रहते हैं, जबतक हर बच्चा अच्छी तरीके से समझ न जाए. तेतरी मध्य विद्यालय में कक्षा से एक से आठवीं तक करीब साढ़े चार सौ छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. राजेश मास्टर जी के चलते-फिरते स्कूल की बदौलत 6ठी से 8वीं तक के बच्चों की पढ़ाई में निरंतरता बनी हुई है. ईटीवी भारत की टीम ने कटहल पेड़ के नीचे चौपाल पर बैठे बच्चों से बात की. किसी ने कहा कि पुलिस बनना है तो किसी ने कहा शिक्षक. यह बदलाव की बयार है. राजेश मास्टर जी की जितनी भी तारीफ की जाए कम है. लेकिन इतने भर से काम नहीं चलेगा. हर सरकारी स्कूल से एक मास्टर जी को सामने आना पड़ेगा.

रांची: बेशक, कोरोना की तीसरी लहर की वजह से झारखंड के तमाम स्कूल बंद हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि मुसीबत के इस दौर में भी रांची में एक स्कूल चल रहा है. कभी कटहल के पेड़ के नीचे तो कभी बरगद के पेड़ के नीचे. कभी इस गांव में तो कभी उस गांव में. इसका संचालन करने वाले मास्टर साहब का नाम है राजेश कुमार. नामकुम प्रखंड के तेतरी राजकीय मध्य विद्यालय में गणित के शिक्षक हैं.

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रांची में चलती फिरती स्कूल: कोरोना ने स्कूलों में ताला लगा दिया तो इन्होंने रांची में चलती फिरती स्कूल खोल दी. मास्टर साहब अपनी कार में ब्लैक बोर्ड, दरी, मास्क और सेनेटाइजर लेकर चलते हैं. फोन के जरिए स्कूल के दो-एक बच्चों को सूचना दे देते हैं कि आज किस इलाके में पढ़ाई होगी. फिर क्या सुबह नौ बजते ही अपनी चलती-फिरती स्कूल लिए पहुंच जाते हैं. जिन बच्चों के पास मास्क नहीं होता, उन्हें मास्क देते हैं. हैंड सेनेटाइज करवाते हैं. दरी बिछवाते हैं और कार की डिक्की में ब्लैक बोर्ड टिकाकर पढ़ाना शुरू कर देते हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

कार में स्कूल: राजेश मास्टर जी ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब पढ़ाई ठप हुई तो उन्होंने अपने बेटे के साथ मिलकर सब्जेक्ट के हिसाब से वीडियो बनाना शुरू किया. जिन अभिभावकों के पास स्मार्टफोन थे, उन्हें वीडियो भेजने लगे. लेकिन उनकी पहुंच बहुत कम बच्चों तक हो पाई. डाउट का समाधान नहीं होने पर बच्चों का इंटरेस्ट कम होता गया. इसी बीच कोरोना की तीसरी लहर की वजह से दोबारा स्कूलों के बंद होने पर उन्होंने अपनी कार को ही स्कूल बना दिया. इनकी पाठशाला में छठी से 8वीं तक के बच्चे अभिभावकों से अनुमति लेकर पहुंचते हैं. इनके इस नेक काम में तेतरी राजकीय मध्य विद्यालय के सुरेंद्र महतो सर के अलावा अन्य शिक्षक भी मदद करते हैं.

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बच्चों को पढ़ाते राजेश कुमार

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सरकारी स्कूल के गरीब बच्चों को तेतरी गांव में जाकर पढ़ाने के लिए राजेश मास्टर जी को हर दिन करीब 70 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. वह रांची के काठीटांड में रहते हैं. राजेश सर का मानना है कि मुसीबत के इस दौर में अगर उनके जैसे लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे तो सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चे लक्ष्य से भटकने लगेंगे. क्योंकि प्राइवेट स्कूलों की तरह इन्हें ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा दिलाना संभव नहीं है. ऊपर से गरीबी की वजह से बाल मजदूरी का खतरा बना रहता है.

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चलता-फिरता स्कूल

उन्होंने कहा कि वह गणित के हर चैप्टर को तबतक पढ़ाते रहते हैं, जबतक हर बच्चा अच्छी तरीके से समझ न जाए. तेतरी मध्य विद्यालय में कक्षा से एक से आठवीं तक करीब साढ़े चार सौ छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. राजेश मास्टर जी के चलते-फिरते स्कूल की बदौलत 6ठी से 8वीं तक के बच्चों की पढ़ाई में निरंतरता बनी हुई है. ईटीवी भारत की टीम ने कटहल पेड़ के नीचे चौपाल पर बैठे बच्चों से बात की. किसी ने कहा कि पुलिस बनना है तो किसी ने कहा शिक्षक. यह बदलाव की बयार है. राजेश मास्टर जी की जितनी भी तारीफ की जाए कम है. लेकिन इतने भर से काम नहीं चलेगा. हर सरकारी स्कूल से एक मास्टर जी को सामने आना पड़ेगा.

Last Updated : Jan 19, 2022, 4:26 PM IST
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