रांची: राजधानी में रामनवमी की धूम है. इसका एहसास गली मुहल्लों में महावीरी पताका के साथ लगे बड़े-बड़े होर्डिंग्स (Hoardings) सहज ही करावा रहे हैं. इन होर्डिंग्स में भगवान राम की तस्वीर के साथ नेताओं ने भी अपनी तस्वीरें लगा रखीं हैं. इसे लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं में अलग-अलग मत हैं. सामाजिक कार्यकर्ताओं की नजर में खुद की तस्वीर भगवान के साथ लगाने को गलत बताया. वहीं राजनीतिक दल के लोग इसे सही ठहरा रहे हैं.
राजनेताओं के होर्डिंग्स से पटी राजधानी: मेनरोड अलबर्ट एक्का चौक हो या हरमू रोड सभी जगह भाजपा, झामुमो, कांग्रेस जैसे दलों के नेताओं का बैनर लगा हुआ है. रामनवमी पर होर्डिंग्स के जरिए हो रही राजनीति में हर दल के नेता अपनी अधिक से अधिक होर्डिंग्स लगाकर ताकत का एहसास कराने में जुटे हैं. होर्डिंग्स के जरिए राम को अपना मानने वाले सियासतदानों का कहना है की राम हर किसी के हैं. उनका जन्मोत्सव भारत के हर लोगों के लिए खास है. इस अवसर पर होर्डिंग्स के माध्यम से बधाई देना कोई अनुचित नहीं है.
लालू ने की थी चेहरा चमकाने की शुरुआत: सामाजिक कार्यकर्ता सत्यप्रकाश मिश्रा कहते हैं कि राजनीति करने वाले मौके की तलाश में हमेशा लगे रहते हैं. चाहे पर्व हो या त्योहार या अन्य कोई खास अवसर वे खुद के चेहरे चमकाने को लेकर कोई मौक नहीं छोड़ते. ऐसे मौके पर होर्डिंग्स लगाकर चेहरा चमकाने की शुरुआत कभी लालू प्रसाद ने की थी. अब सभी राजनेता इस पर अमल करने लगे हैं. जिस रामनवमी पर भगवान राम और बजरंगबली की तश्वीर लगनी चाहिए, उसमें खुद का चेहरा चमकाना कैसी भक्ति है?
क्या कहते हैं राजनीति से जुड़े लोग: भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक का मानना है कि राम सबके हैं. और वे मर्यादा पुरुषोत्तम हैं. इसलिए उनके आदर्श को हर किसी को मानना चाहिए. इधर कांग्रेस नेता राजीव रंजन का मानना है की रामनवमी, होली, दीपावली जैसे पर्व त्योहार पर हमेशा से लोग शुभकामनाएं होर्डिंग्स लगाते रहे हैं. ये सामाजिक एकता का संदेश देने का भी माध्यम है.