रांची: फरार अपराधियों को पनाह (People giving shelter to criminal) देने वाले रांची पुलिस के रडार पर हैं. पनाह देने वाले चाहे अपराधियों के रिश्तेदार हों या फिर उनके दोस्त, जानकारी मिलते ही पुलिस अब उन पर भी कार्रवाई करेगी. इसके लिए बकायदा रांची पुलिस शातिर अपराधियों के करीबियों का डाटा (Criminal Relative Data in Ranchi) तैयार कर रही है.
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सभी थाना प्रभारियों को दिया गया निर्देश: आपराधिक वारदातों को अंजाम देने के बाद अक्सर यह देखा जाता है कि अपराधियों के रिश्तेदार या फिर उनके करीबी दोस्त उन्हें शहर या फिर शहर के बाहर कोई सुरक्षित ठिकाना उपलब्ध करवाते हैं. यहां तक कि फरार अपराधियों के रिश्तेदार पुलिस के मूवमेंट पर भी नजर रखते हैं, ताकि समय रहते अपने वांटेड रिश्तेदार को फरार होने में मदद कर सकें. हाल के दिनों में रांची पुलिस ने कई ऐसे अपराधियों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने अपने करीबियों के यहां ठिकाना बनाया हुआ था. लगातार आ रहे मामलों को देखते हुए रांची पुलिस कप्तान किशोर कौशल ने सभी थाना प्रभारियों को यह निर्देश दिया है कि वह वांटेड अपराधियों के रिश्तेदारों पर भी नजर रखें.
कानून में है सजा का प्रावधान: रांची एसएसपी किशोर कौशल के अनुसार अपराधियों को पनाह देने वालों के खिलाफ भी कानून में सजा का प्रावधान है. बीते दिनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें शातिर अपराधियों की गिरफ्तारी उनके करीबियों के घर से हुई है. इसमें उनके रिश्तेदार भी शामिल हैं. एसएसपी के अनुसार यह जानते हुए कि उनका दोस्त या रिश्तेदार एक शातिर अपराधी है, उसे अपने घर में पनाह देना गैर कानूनी है. ऐसे में वैसे सभी लोगों को रांची पुलिस की चेतावनी है कि वह किसी भी हाल में अपने वैसे रिश्तेदार जो वांटेड अपराधी हैं, उन्हें पनाह ना दें.
टारगेट में कुख्यात अपराधी के रिश्तेदार: दरअसल, हाल में ही रांची पुलिस ने कुख्यात गैंगस्टर लव कुश शर्मा (Gangster of Ranchi) के शूटर सोनू शर्मा को चतरा से गिरफ्तार किया था. सोनू शर्मा अपने एक रिश्तेदार के यहां पनाह लिए हुए था. गिरफ्तारी के बाद सोनू शर्मा के मोबाइल से कई ऐसी तस्वीरें मिली है, जिससे यह पता चलता है कि वह लगातार अपने नजदीकी लोगों के यहां ठिकाना बनाए हुए था. ऐसे ही दूसरे कई ऐसे अपराधियों की गिरफ्तारी हुई है जो अपने रिश्तेदारों के यहां पनाह लिए हुए थे. पुलिस के अनुसार अब रांची पुलिस दो तरह का डाटा बना रही है. एक डाटा में वैसे लोगों के नाम शामिल किए जा रहे हैं, जिनके यहां से कभी न कभी उनके अपराधी रिश्तेदार पकड़े गए हैं. वहीं दूसरा डाटा ऐसे लोगों का तैयार किया जा रहा है जो आदतन अपराधियों को अपने यहां पनाह देते हैं.