रांचीः 12 नवंबर से 28 नवंबर तक उत्तरकाशी टनल में फंसे मजदूरों को घर लौटने की बेहद खुशी है. फिर भी उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि रोजगार के लिए दोबारा उन्हें किसी और शहर या राज्य का रूख करना होगा. इसको लेकर उन्होंने सरकार से रोजगार की मांग की है.
रांची के खीराबेड़ा गांव के रहने वाले अनिल बेदिया के परिवार वालों ने कहा कि वे गरीब हैंं, इसीलिए उन्हें मजदूरी करना मजबूरी होती है. अगर वह रोज नहीं कमाएंगे तो फिर शाम में क्या खाएंगे यह कहना मुश्किल है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान टनल हादसे में फंसे मजदूर राजेंद्र बेदिया ने कहा कि अगर झारखंड या राजधानी रांची में ही उन्हें रोजगार मिल जाए तो दूसरे राज्य जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.
राजेंद्र बेदिया ने कहा कि पलायन कर जो भी मजदूर बाहर के राज्यों या दूसरे देशों में जाते हैं उन्हें कई तरह के खतरनाक काम करने पड़ते हैं, जैसे सुरंग के अंदर काम करना या फिर ऊंची इमारतों पर जाकर काम करना पड़ता है. ऐसे काम मजदूरों के लिए काफी जोखिम भरे होते हैं. उनका कहना है कि सरकार को मजदूरों के बेहतर भविष्य और सुरक्षित जीवन के लिए योजनाओं को भी धरातल पर लाने की आवश्यकता है.
उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे मजदूरों के परिवार वालों ने कहा कि जिस तरह से दिन बीत रहे थे तो उन्होंने उम्मीद छोड़ दी थी कि उनके अपने वापस लौट कर आ जाएंगे. उनके घर आने की खुशी काफी है, इसके उन्होंने शासन प्रशासन के साथ साथ रेस्क्यू टीम को धन्यवाद दिया. मजदूर के परिजनों की भी गुहार है कि उन्हें जिला और प्रदेश में ही रोजगार मिले, जिससे उन्हें परदेस ना जाना पड़े.
बता दें कि उत्तरकाशी टनल हादसे में कुल 41 मजदूर 17 दिन तक फंसे थे, इसमें झारखंड के 15 मजदूर शामिल थे. इनमें राजधानी रांची के खीराबेड़ा गांव के तीन मजदूर टनल के अंदर फंसे थे और उनकी कुशलता के लिए पूरा राज्य कर प्रार्थना रहा था. इन तीन मजदूरों में राजेंद्र बेदिया, सुखराम बेदिया और अनिल बेदिया हैं, जो सुरक्षित रूप से अपने घर पहुंच चुके हैं.
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