रांची: एचईसी आज बेहद खराब स्थिति में है. एचईसी में काम करने वाले कर्मचारी प्रतिदिन यही सोचते हैं कि शायद उन्हें कई महीनों का बकाया वेतन का कुछ हिस्सा मिल जाएगा, लेकिन हरदिन उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है. इसी को देखते हुए अब सभी कर्मचारी प्रत्येक दिन एचईसी मुख्यालय के सामने एकत्रित होते हैं और अपने अपने हिसाब से धरना प्रदर्शन करते हैं. हालांकि अब उन्होंने सोशल मीडिया पर अपना आंदोलन तेज करने का मन बना लिया है (HEC workers will start agitation on social media).
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एचईसी कर्मियों का धरना प्रदर्शन लंबे समय से चल रहा है, लेकिन इनके प्रदर्शन का सरकार और प्रबंधन पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. सरकार और प्रबंधन की उदासीन रवैया को देखते हुए एचईसी के कर्मचारी अब डिजिटल तरीके से अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. एचईसी के कामगार या कर्मचारी ही नहीं बल्कि अब अधिकारी और इंजीनियर भी अपनी बातों को रखने के लिए सोशल साइट या ट्विटर का उपयोग करने लगे हैं.
एचईसी के कर्मचारी बताते हैं कि पिछले 13 महीनों से वेतन नहीं मिल पा रहा है, जिस वजह से उनके घर का खाना पीना भी मुश्किल हो गया है. राज्य सरकार और केंद्र की सरकार गूंगी और बहरी हो गई है. दोनों सरकार में से कोई भी एचईसी के जीर्णोद्धार और कल्याण के लिए ठोस कदम नहीं उठा रही है. एचईसी मजदूर यूनियन के नेता रमाशंकर बताते हैं कि जब सड़क पर धरना देने से सरकार के कान तक हमारी बात नही पहुंच रही है तो हमारे पास सिर्फ सोशल साइट ही एकमात्र माध्यम बचा है कि हम मजदूर अपनी बातों को केंद्र सरकार और राज्य सरकार के लोगों तक पहुंचा सकें.
मजदूर नेता रामाशंकर बताते हैं कि पिछले कुछ दिनों से लगातार सभी कर्मचारी और पदाधिकारी अपने हक के पैसे की मांग के लिए ट्विटर और इंस्टाग्राम पर भारी उद्योग मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को जानकारी दे रहे हैं ताकि एचईसी को लेकर सरकार कोई निर्णय ले. उन्होंने कहा कि अगर सरकार एचईसी को बंद करना चाहती है तो यह भी निर्णय ले. अन्यथा मजदूर अब भूखे मरने को मजबूर हैं. सरकार अगर कारखाने को बंद करने की घोषणा कर देती है तो यहां पर काम करने वाले सभी कर्मचारी अपने अपने हिसाब से दूसरे कार्य को देखेंगे. लेकिन सरकार ना तो इसे बंद करने की बात कहती है और ना ही जीर्णोद्धार को लेकर कुछ बता रही है. ऐसे में हम सभी कर्मचारी और एचईसी के पदाधिकारी असमंजस की स्थिति में है और आर्थिक संकट से जूझने को मजबूर हैं.