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Ranchi: समुंद्र मंथन के चौदह रत्नों में से एक कल्पतरु पेड़! जीवनी शक्ति के साथ कीडनी-लीवर जैसे गंभीर बीमारियों में लाभदायक, जानिए इसके औषधीय गुण

कल्पतरु पेड़ वातावरण में जीवनी शक्ति का संचार करता है. यह कई गंभार बीमारियों को जड़ से खत्म करने में फायदेमंद है. अपने इसी गुण के कारण इसके संरक्षण की आवश्यकता समाज में बढ़ गई है.

Kalpataru Tree Benefit
कल्पतरु पेड़ के औषधीय लाभ
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Published : Apr 4, 2023, 7:44 PM IST

Updated : Apr 5, 2023, 2:55 PM IST

देखें स्पेशल रिपोर्ट

रांची: आपने पीपल, नीम, बरगद पेड़ों के बारे में सुना ही होगा. आज आपका परिचय एक ऐसे पेड़ से कराते है जो दुर्लभ है. नाम है कल्पतरु. जी हां इसकी चर्चा हमारे धर्म ग्रंथों में भी की जाती रही है. इतना ही नहीं समुंद्र मंथन के दौरन निकले चौदह रत्नों में से एक था कल्पतरु पेड़. यह वातावरण में जीवनी शक्ति तो उपलब्ध कराता ही है. साथ में यह कई बीमारियों को दूर करने में भी फायदेमंद है. अपने इन्हीं गुणों के कारण इसके संरक्षण की जरूरत महसूस होने लगी है. अफसोस कि पूरे रांची में इसके केवल तीन पेड़ ही शेष है. रांची के डोरंडा क्षेत्र और रिंग रोड में लगे हुए हैं.

ये भी पढ़ें: Jharkhand News: वापसी करने के प्रयास में गोली का शिकार हो रहे नक्सली, 15 महीनों में पुलिस ने मार गिराए 17 दुर्दांत

कल्पतरु पेड़ के ये हैं लाभ: कल्पतरु पेड़ लोगों को भरपुर ऑक्सीजन तो देता ही है. वातावरण को शुद्ध रखने में भी मदद करता है. इस पेड़ के चारों ओर दूर-दूर तक वायरस या कीटाणु नहीं भटकते. इस पेड़ को जहां लगाया जाता है, यह नुकसानदायक वायरस को नष्ट कर देता है. उस एरिया के आस-पास कीड़े-मकोड़े भी नहीं रहते. इसी कारण इस पेड़ की डिमांड बढ़ गई है. साथ ही इसको संरक्षित करना महत्वपूर्ण हो गया है.

कीडनी की बीमारी में फायदेमंद: कल्पतरु का पेड़ बड़े-बड़े बीमारियों को नष्ट करने में भी उपयोगी है. इसकी पत्तियां और छाल को आयुर्वेद के रूप में प्रयोग किया जाता है. यह कई गंभीर बीमारियों को जड़ मूल से खत्म करने में सहायक होता है. रांची के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ संजय ने बताया कि कल्पतरु का पेड़ पाइल्स, भगंदर, कीडनी, लीवर, फेफड़े जैसे खतरनाक बीमारियों को ठीक करने में सहायक है. इसके अलावा ये कफ, बाबासीर, पाचन, पेट से जुड़ी समस्या आदि में भी लाभदायक है. डॉ संजय ने कहा कि एलोपैथ में लीवर के लिए प्रत्यारोपण ही एक विकल्प हैं. कल्पतरु की मदद से लीवर और कीडनी की बीमारी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है.

संरक्षण के लिए हो रहे ये प्रयास: पेड़ के संरक्षण के लिए रांची वन विभाग लोगों में जागरूकता फैला रहा है. विभिन्न प्रकार के बोर्ड लगाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. फॉरेस्ट डिवीजन ने कई होर्डिंग लगा दी है जिसमें लिखा है- मैं कल्पतरु हूं, कृपया मेरी रक्षा करें. आम लोगों से कल्पतरु के संरक्षण के लिए आए दिन अपील की जाती रही है. कल्पतरु तीन पेड़ जो डोरंडा एरिया में बचे है उनमें फेंसिंग कर दिया गया है. ताकि जानवर या इंसान इसे नुकसान नहीं पहुंचा सके. रांची वन विभाग के श्रीकांत वर्मा ने बताया कि कल्पतरु बहुत ही दुर्लभ प्रजाति का पेड़ है. इसके औषधीय व पर्यावरणीय गुण को ध्यान में रखते हुए इसके संरक्षण की व्यवस्था की जा रही है.

ऐसे हो रहे है नए पौध के प्रयास: रांची वन विभाग के श्रीकांत वर्मा ने कहा कि कल्पतरु के नए पौधें उगाने के भी प्रयास किये जा रहे हैं. इसे लेकर रिर्सच नर्सरी में इसके 300 से 400 पौधे को उगाये जाने को लेकर जरूरी संसाधनों की व्यवस्था की गई है. उन्होंने बताया कि इस पेड़ को उगाने में काफी मेहनत लगती हैं. यदि 100 छोटे छोटे पेड़ लगाए जाते हैं, उनमें से मात्र 5 से 10 पेड़ सफल हो पाते हैं. अगर यह प्रयास सफल रहा तो पूरे झारखंड को इसका लाभ मिलेगा. वातावरण को शुद्ध और प्रदूषण मुक्त बनाने में मदद मिलेगी.

250 सौ साल होती कल्पतरु की आयु: वन विभाग के अधिकारी श्रीकांत वर्मा बताते हैं कि कल्पतरु की आयु दो से ढाई सौ साल होती है. यह पेड़ रांची के डोरंडा क्षेत्र और रिंग रोड में लगे है. श्रीकांत वर्मा बताते हैं कि यह पेड़ मूल रूप से अफ्रीकी देशों में पैदा होता है. कई सौ वर्ष पहले व्यापारियों ने रांची में कल्पतरु का पेड़ लगाया था. उस समय भारत के व्यापारी अफ्रीकी देश आया जाया करते थे.

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रांची: आपने पीपल, नीम, बरगद पेड़ों के बारे में सुना ही होगा. आज आपका परिचय एक ऐसे पेड़ से कराते है जो दुर्लभ है. नाम है कल्पतरु. जी हां इसकी चर्चा हमारे धर्म ग्रंथों में भी की जाती रही है. इतना ही नहीं समुंद्र मंथन के दौरन निकले चौदह रत्नों में से एक था कल्पतरु पेड़. यह वातावरण में जीवनी शक्ति तो उपलब्ध कराता ही है. साथ में यह कई बीमारियों को दूर करने में भी फायदेमंद है. अपने इन्हीं गुणों के कारण इसके संरक्षण की जरूरत महसूस होने लगी है. अफसोस कि पूरे रांची में इसके केवल तीन पेड़ ही शेष है. रांची के डोरंडा क्षेत्र और रिंग रोड में लगे हुए हैं.

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कल्पतरु पेड़ के ये हैं लाभ: कल्पतरु पेड़ लोगों को भरपुर ऑक्सीजन तो देता ही है. वातावरण को शुद्ध रखने में भी मदद करता है. इस पेड़ के चारों ओर दूर-दूर तक वायरस या कीटाणु नहीं भटकते. इस पेड़ को जहां लगाया जाता है, यह नुकसानदायक वायरस को नष्ट कर देता है. उस एरिया के आस-पास कीड़े-मकोड़े भी नहीं रहते. इसी कारण इस पेड़ की डिमांड बढ़ गई है. साथ ही इसको संरक्षित करना महत्वपूर्ण हो गया है.

कीडनी की बीमारी में फायदेमंद: कल्पतरु का पेड़ बड़े-बड़े बीमारियों को नष्ट करने में भी उपयोगी है. इसकी पत्तियां और छाल को आयुर्वेद के रूप में प्रयोग किया जाता है. यह कई गंभीर बीमारियों को जड़ मूल से खत्म करने में सहायक होता है. रांची के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ संजय ने बताया कि कल्पतरु का पेड़ पाइल्स, भगंदर, कीडनी, लीवर, फेफड़े जैसे खतरनाक बीमारियों को ठीक करने में सहायक है. इसके अलावा ये कफ, बाबासीर, पाचन, पेट से जुड़ी समस्या आदि में भी लाभदायक है. डॉ संजय ने कहा कि एलोपैथ में लीवर के लिए प्रत्यारोपण ही एक विकल्प हैं. कल्पतरु की मदद से लीवर और कीडनी की बीमारी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है.

संरक्षण के लिए हो रहे ये प्रयास: पेड़ के संरक्षण के लिए रांची वन विभाग लोगों में जागरूकता फैला रहा है. विभिन्न प्रकार के बोर्ड लगाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. फॉरेस्ट डिवीजन ने कई होर्डिंग लगा दी है जिसमें लिखा है- मैं कल्पतरु हूं, कृपया मेरी रक्षा करें. आम लोगों से कल्पतरु के संरक्षण के लिए आए दिन अपील की जाती रही है. कल्पतरु तीन पेड़ जो डोरंडा एरिया में बचे है उनमें फेंसिंग कर दिया गया है. ताकि जानवर या इंसान इसे नुकसान नहीं पहुंचा सके. रांची वन विभाग के श्रीकांत वर्मा ने बताया कि कल्पतरु बहुत ही दुर्लभ प्रजाति का पेड़ है. इसके औषधीय व पर्यावरणीय गुण को ध्यान में रखते हुए इसके संरक्षण की व्यवस्था की जा रही है.

ऐसे हो रहे है नए पौध के प्रयास: रांची वन विभाग के श्रीकांत वर्मा ने कहा कि कल्पतरु के नए पौधें उगाने के भी प्रयास किये जा रहे हैं. इसे लेकर रिर्सच नर्सरी में इसके 300 से 400 पौधे को उगाये जाने को लेकर जरूरी संसाधनों की व्यवस्था की गई है. उन्होंने बताया कि इस पेड़ को उगाने में काफी मेहनत लगती हैं. यदि 100 छोटे छोटे पेड़ लगाए जाते हैं, उनमें से मात्र 5 से 10 पेड़ सफल हो पाते हैं. अगर यह प्रयास सफल रहा तो पूरे झारखंड को इसका लाभ मिलेगा. वातावरण को शुद्ध और प्रदूषण मुक्त बनाने में मदद मिलेगी.

250 सौ साल होती कल्पतरु की आयु: वन विभाग के अधिकारी श्रीकांत वर्मा बताते हैं कि कल्पतरु की आयु दो से ढाई सौ साल होती है. यह पेड़ रांची के डोरंडा क्षेत्र और रिंग रोड में लगे है. श्रीकांत वर्मा बताते हैं कि यह पेड़ मूल रूप से अफ्रीकी देशों में पैदा होता है. कई सौ वर्ष पहले व्यापारियों ने रांची में कल्पतरु का पेड़ लगाया था. उस समय भारत के व्यापारी अफ्रीकी देश आया जाया करते थे.

Last Updated : Apr 5, 2023, 2:55 PM IST
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