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खरीफ की फसल को लेकर किसान परेशान क्यों, जानिए वजह

राजधानी रांची में कृषि क्षेत्र (agricultural sector) से जुड़े किसान को इन दिनों पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से फसलों की ट्रांसपोर्टिंग में परेशानी आ रही है. इसके बावजूद दुकानदार (shopkeepers) इस उम्मीद के साथ दुकान खोल रहे हैं कि सामान बिक जाएगा.

ranchi farmers are facing problems in transporting kharif crop in lockdown
लॉकडाउन में खरीफ फसल की ट्रांसपोर्टिंग में किसानों को आ रही दिक्कत, जानिए क्या है वजह
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Published : Jun 15, 2021, 12:37 PM IST

Updated : Jun 15, 2021, 7:17 PM IST

रांची: वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से कृषि कार्य से जुड़े दुकानदारों की परेशानी बढ़ गई है. खरीफ की फसल की बुआई पर लॉकडाउन का प्रभाव तो नहीं है. लेकिन विक्रेताओं को ट्रांसपोर्टिंग में आ रही दिक्कत ने चिंता जरूर बढ़ा दी है.

इसे भी पढ़ें- BAU के कृषि वैज्ञानिकों का उलीहातू दौरा, बिरसा बीज आच्छादन कार्यक्रम की शुरुआत

किसानों पर लॉकडाउन और बेमौसम बारिश की दोहरी मार पड़ी है. धान बीज, खाद्य, कृषि उपकरण बेचने वाले दुकानदारों को अपना सामान बेचने में मुश्किल आ रही है. क्योंकि दुकानों में ना तो किसान पहुंच पा रहा और ना ही सामानों की बिक्री हो रही है. मौसम और बेवजह बारिश से फसल बर्बाद हो जाती है. इस बार लॉकडाउन (lockdown) की वजह से इन्हें तैयार फसल (crop) को भी बेचने के लिए बाजार नहीं मिल रहा है. इसके चलते किसानों को औने-पौने दामों में अपनी फसल बेचनी पड़ रही है.

देखें स्पेशल स्टोरी

रबी की फसल बेचकर किसान खरीफ फसल की तैयारी करते हैं. लेकिन रबी फसल में हुए नुकसान की वजह से खरीफ की नकदी फसल बोने में किसान रुचि नहीं दिखा रहे हैं. हालांकि किसानों को उम्मीद है कि खरीफ फसल की पैदावार अच्छी होगी. ऐसा इसलिए कि झारखंड में मुख्य रूप से खरीफ की फसल में धान की खेती ज्यादा की जाती है. ऐसे में मानसून समय पर ना आने से भी धान की खेती पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ेगा.

ranchi farmers are facing problems in transporting kharif crop in lockdown
खेत तैयार करते किसान


किसानों को उनके जिला में नहीं रहा बीज
सुदूरवर्ती इलाकों की अगर बात करें तो धान का बीज अब तक नहीं पहुंच पाया है. जिस कारण किसान रांची या आसपास के जिलों में आकर धान का बीज लेने को मजबूर हैं. किसानों का कहना है कि यास तूफान के चलते खेतों में लगी हरी सब्जी पूरी तरह से बर्बाद हो गई. थोक विक्रेता संगीत कुमार डालमिया की मानें तो पेट्रोल-डीजल की कीमत में वृद्धि के कारण ट्रांसपोर्टिंग में अधिक किराया लगता है. सामानों की बिक्री 50 फीसदी से भी कम हो गई है. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (Birsa Agricultural University) के मौसम वैज्ञानिक ए. बदूद की मानें तो इस बार मानसून में अच्छी बारिश होगी, जिससे धान की पैदावार (Paddy farming) अच्छी होने का अनुमान लगाया जा रहा है.

ranchi farmers are facing problems in transporting kharif crop in lockdown
धान का बीज लेते किसान

इसे भी पढ़ें- सरकार पर निशानाः साप्ताहिक लॉकडाउन लगाने का निर्णय हास्यास्पद: प्रदीप सिन्हा

झारखंड में धान की फसल का महत्व

झारखंड में 25 मई से 10 जून के बीच खरीफ फसल में धान, मक्का, अरहर की खेती होती है. जबकि पहाड़ी इलाकों में ज्वार की खेती (jwar farming) होती है. यहां कुल क्षेत्रफल का 80 फीसदी कृषि ग्रामीण क्षेत्रों में होती है. झारखंड में कृषि योग्य भूमि लगभग 28 से 30 लाख हेक्टेयर है, जिसमें 18 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है. इसलिए ये कहना बिल्कुल सही है कि झारखंड में धान की फसल को मुख्य माना जाता है.

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पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से फसल की ट्रांसपोर्टिंग में आ रही दिक्कत

रांची: वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से कृषि कार्य से जुड़े दुकानदारों की परेशानी बढ़ गई है. खरीफ की फसल की बुआई पर लॉकडाउन का प्रभाव तो नहीं है. लेकिन विक्रेताओं को ट्रांसपोर्टिंग में आ रही दिक्कत ने चिंता जरूर बढ़ा दी है.

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किसानों पर लॉकडाउन और बेमौसम बारिश की दोहरी मार पड़ी है. धान बीज, खाद्य, कृषि उपकरण बेचने वाले दुकानदारों को अपना सामान बेचने में मुश्किल आ रही है. क्योंकि दुकानों में ना तो किसान पहुंच पा रहा और ना ही सामानों की बिक्री हो रही है. मौसम और बेवजह बारिश से फसल बर्बाद हो जाती है. इस बार लॉकडाउन (lockdown) की वजह से इन्हें तैयार फसल (crop) को भी बेचने के लिए बाजार नहीं मिल रहा है. इसके चलते किसानों को औने-पौने दामों में अपनी फसल बेचनी पड़ रही है.

देखें स्पेशल स्टोरी

रबी की फसल बेचकर किसान खरीफ फसल की तैयारी करते हैं. लेकिन रबी फसल में हुए नुकसान की वजह से खरीफ की नकदी फसल बोने में किसान रुचि नहीं दिखा रहे हैं. हालांकि किसानों को उम्मीद है कि खरीफ फसल की पैदावार अच्छी होगी. ऐसा इसलिए कि झारखंड में मुख्य रूप से खरीफ की फसल में धान की खेती ज्यादा की जाती है. ऐसे में मानसून समय पर ना आने से भी धान की खेती पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ेगा.

ranchi farmers are facing problems in transporting kharif crop in lockdown
खेत तैयार करते किसान


किसानों को उनके जिला में नहीं रहा बीज
सुदूरवर्ती इलाकों की अगर बात करें तो धान का बीज अब तक नहीं पहुंच पाया है. जिस कारण किसान रांची या आसपास के जिलों में आकर धान का बीज लेने को मजबूर हैं. किसानों का कहना है कि यास तूफान के चलते खेतों में लगी हरी सब्जी पूरी तरह से बर्बाद हो गई. थोक विक्रेता संगीत कुमार डालमिया की मानें तो पेट्रोल-डीजल की कीमत में वृद्धि के कारण ट्रांसपोर्टिंग में अधिक किराया लगता है. सामानों की बिक्री 50 फीसदी से भी कम हो गई है. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (Birsa Agricultural University) के मौसम वैज्ञानिक ए. बदूद की मानें तो इस बार मानसून में अच्छी बारिश होगी, जिससे धान की पैदावार (Paddy farming) अच्छी होने का अनुमान लगाया जा रहा है.

ranchi farmers are facing problems in transporting kharif crop in lockdown
धान का बीज लेते किसान

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झारखंड में धान की फसल का महत्व

झारखंड में 25 मई से 10 जून के बीच खरीफ फसल में धान, मक्का, अरहर की खेती होती है. जबकि पहाड़ी इलाकों में ज्वार की खेती (jwar farming) होती है. यहां कुल क्षेत्रफल का 80 फीसदी कृषि ग्रामीण क्षेत्रों में होती है. झारखंड में कृषि योग्य भूमि लगभग 28 से 30 लाख हेक्टेयर है, जिसमें 18 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है. इसलिए ये कहना बिल्कुल सही है कि झारखंड में धान की फसल को मुख्य माना जाता है.

ranchi farmers are facing problems in transporting kharif crop in lockdown
पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से फसल की ट्रांसपोर्टिंग में आ रही दिक्कत
Last Updated : Jun 15, 2021, 7:17 PM IST
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