रांची: गर्मी का मौसम आते ही आम लोग तो जल संकट से परेशान रहते ही हैं. लेकिन वैसे लोग भी जल संकट से परेशान हैं जो शारीरिक रूप से बीमार हैं और अस्पताल में अपना इलाज करा रहे हैं. कुछ ऐसे ही तस्वीर राजधानी के रिम्स अस्पताल में देखने को मिल रही है. जहां लोग बीमार होने के बावजूद बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं, इलाज से ज्यादा उनका खर्च पानी खरीदकर पीने में हो रहा है.
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ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में वाटर फिल्टर खराब पड़े हुए हैं. अगर कोई वाटर फिल्टर सही भी है तो उसमें पानी अच्छे तरीके से लोगों को नहीं मिल पा रहा है. रिम्स के पहले, दूसरे और तीसरे तल्ले पर वाटर फिल्टर लगाए गए हैं ताकि मरीजों को गर्मी के मौसम में पानी मुहैया हो सके. लेकिन ये सभी वाटर फिल्टर गर्मी आते ही बेदम होते नजर आ रहे हैं.
रिम्स में भर्ती मरीज के तीमारदारों ने बताया कि पीने के पानी के लिए लगाए गए वाटर फिल्टर खराब पड़े हुए हैं. जिस वजह से उनको दुकानों से पानी खरीदना पड़ रहा है. लातेहार के ग्रामीण क्षेत्र से अपने भाई का इलाज कराने पहुंचीं एक महिला ने बताया कि पिछले तीन दिनों से वह अपने मरीज का इलाज करा रही हैं. लेकिन उन्हें अस्पताल में पानी नसीब नहीं हो रहा है. अपनी परेशानी साझा करते हुए महिला ने बताया कि रिम्स में ज्यादातर वैसे मरीज आते हैं जो बेहद गरीब हैं. लेकिन उसके बावजूद परिजनों को अपने मरीज के लिए 200 से 300 रुपए तक प्रतिदिन पानी के लिए खर्च करना पड़ रहा है.
ईटीवी भारत की टीम ने एक मरीज के परिजन से बात की तो उसने भी बताया कि इस अस्पताल में दवा से ज्यादा महंगा पानी पड़ रहा है. परिजनों ने बताया कि एक मरीज के साथ अगर दो से तीन परिजन हैं तो प्रतिदिन 8 से 10 बोतल पानी खरीदना पड़ता है, जिसकी कीमत 100 रुपये से ज्यादा होती है. वहीं हमने जब पानी की समस्या को लेकर रिम्स अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी डॉ राजीव रंजन से बात की. उन्होंने बताया कि कई बार यह भी देखा जाता है कि बाहर के लोग रिम्स के वाटर फिल्टर से पानी अधिक मात्रा में ले जाते हैं, जिस कारण वाटर फिल्टर की क्षमता कम हो जाती है और जरूरतमंद मरीजों को पानी नहीं मिल पाता है.
जिस प्रकार से रिम्स में पेयजल की समस्या से यहां आने वाले गरीब मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में जरूरी है कि रिम्स प्रबंधन मरीजों की परेशानी के समाधान के लिए खराब पड़े वाटर फिल्टर्स को दुरुस्त कराए ताकि दूरदराज एवं ग्रामीण क्षेत्रों से आए मरीजों को पानी मुहैया हो सके.