रांची: पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. झारखंड के बहुचर्चित बड़कागांव गोलीकांड पर मंगलवार को अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की कोर्ट फैसला सुनाएगी. पिछली सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की और से बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था.
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पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और पूर्व विधायक निर्मला देवी ने स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर साल 2015 में एनटीपीसी के खिलाफ कफन सत्याग्रह किया था. उस दौरान प्रशासन से आंदोलनकारियों की झड़प हुई थी, जिसमें कई लोगों की मौत हुई थी. इस मामले में प्रशासन ने 2 दर्जन से अधिक मामले दर्ज कराया था. जिसमें से 11 मामलो में योगेंद्र साव बरी हो चुके हैं.
बड़कागांव में कफन सत्याग्रह: साल 2015 बड़कागांव में कफन सत्याग्रह आन्दोलन चल रहा था. पुलिस प्रशासन लगातार उसे खत्म कराने की कोशिश कर रही थी. इसके लिए कई दौर की बातचीत हुई, लेकिन प्रशासन को सफलता नहीं मिली. आन्दोलनकारियों ने खनन कार्य में लगी मशीनों को रोक दिया. जिसके बड़कागांव इलाके की विधायक निर्मला देवी को गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस पर गुस्साए ग्रामीणों ने पथराव शुरू कर दिया. इसी बीच गांव वाले निर्मला देवी को पुलिस हिरासत से छुड़ाकर ले गए. पुलिस ने भीड़ पर लाठीचार्ज कर दिया. बाद में पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी. जिसमे कई गांव वालों की मौत भी हुई.