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अधर में सिटी वाई फाई योजना, जानिए क्या है वजह

राजधानी वासियों को फ्री वाई फाई कनेक्टिविटी देने के लिए ट्रांसफार्मिग रांची इनटू सिटी वाई फाई योजना शुरू की गयी थी. लेकिन 2016 से शुरू हुई कवायद आज अधर में है. आखिर क्या है इसकी वजह, जानिए ईटीवी भारत की इस खास रिपोर्ट से.

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सिटी वाई फाई
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Published : May 1, 2022, 4:03 PM IST

Updated : May 1, 2022, 4:24 PM IST

रांचीः राजधानी सहित राज्य के सभी प्रमुख शहरों में मुफ्त वाई फाई सुविधा देने के लिए राज्य सरकार ने वृहद कार्य योजना बनाई थी. जिसके तहत शहर के प्रमुख स्थलों पर हाई स्पीड इंटरनेट सुविधा दिया जाना था. सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने इसका नाम ट्रांसफार्मिग रांची इनटू सिटी वाई फाई योजना दिया. मगर हकीकत यह है कि यह योजना धरातल पर आने से पहले ही विभागीय उलझनों में फंसकर दम तोड़ दिया है.

विभाग द्वारा इसको लेकर 2016 से ही कवायद की जा रही है. हास्यास्पद बात यह है कि विभाग ने 2017-18 के वार्षिक कार्य योजना में इसे शामिल करते हुए 2 करोड़ का विभागीय बजट में प्रावधान भी किया था. कार्य का जिम्मा बीएसएनएल को दिया गया और इसपर लाखों रुपये खर्च भी हो गए मगर रिजल्ट ढाक के तीन पात साबित हुए. विभागीय अधिकारियों की हालत ऐसी है कि इस संबंध में बोलने से परहेज कर रहे हैं. जैप आईटी के माध्यम से प्रारंभ में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट इतना उलझता चला गया कि सरकार बदलते ही इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

विभाग पर सवाल, नगर निगम ने भी मोड़ा मुंहः बेंगलुरु, इंदौर जैसे देश के अन्य शहर की तरह राजधानी रांची को भी हाईटेक बनाने का सपना अभी भी अधर में है. ऐसे में चैंबर ऑफ कॉमर्स ने सरकार के उदासीन रवैया पर सवाल खड़ा करते हुए इस पर पहल करने की मांग की है. चैंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष दीनदयाल वर्णवाल के अनुसार डिजिटल युग में वाई फाई कनेक्टिविटी आवश्यक आवश्यकता की वस्तु बन गई है.

यह वर्तमान समय की मांग है जिसे सबने कोरोना के समय में महसूस किया है. आज अगर राज्य के शहरों में उपलब्ध रहता तो बच्चों को ऑनलाइन पढाई में असुविधा नहीं होती. इधर इसको लेकर सियासी दलों ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. हालांकि खास बात यह है कि सिटी वाई फाई पर सत्तापक्ष और विपक्ष के नेता एकमत दिख रहे हैं. रांची विधायक सीपी सिंह ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि यह सरकार डिजिटल युग में नहीं बल्कि पुराने लालटेन युग में जनता को रखना चाहती है. इस वजह से यह योजना धरातल पर नहीं उतर पाई.

वहीं सरकार की सहयोगी दल कांग्रेस ने पिछली सरकार के द्वारा शुरू की गई विभिन्न योजना पर तंज कसते हुए कहा है कि ऐसी योजना राज्य में चलाई गई जो सिर्फ और सिर्फ अखबारों में सुर्खियां बटोरी. कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने हालांकि रघुवर सरकार की इस योजना की सराहना करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी बीएसएनएल के अधिकारी और आईटी विभाग से मिलकर जल्द पूरा करने का आग्रह करेगा.

राजधानी को सुंदर और हाईटेक बनाने की बात करनेवाली रांची नगर निगम ने सिटी वाई फाई योजना से पल्ला झाड़ लिया है. मेयर आशा लकड़ा ने कहा है कि इस संदर्भ में सरकार को सोचना चाहिए नगर निगम का कार्य यह नहीं है. बहरहाल शहर को फ्री वाई फाई जोन बनाने की योजना फिलहाल अधर में लटकी हुई है. राज्य सरकार और बीएसएनएल के बीच कम्यूनिकेशन गैप की वजह से यह अहम प्रोजेक्ट इंप्लीमेंट नहीं हो पा रहा है.

ये थी योजनाः राज्य सरकार की योजना थी कि दिसंबर 2016 तक रांची शहर के कई जगहों पर वाई फाई स्पॉट लगाकर लोगों को इस सुविधा का लाभ दिया जाए. इसके तहत हर हर 500 मीटर की दूरी पर हॉट स्पॉट बनना था ताकि सभी जोन में शहरवासियों को हर दिन आधे घंटे फ्री वाई-फाई सर्विस दी जा सके. इसमें एक जीबी तक डेटा तक की फ्री डाउनलोडिंग का भी प्लान था. बाद में आईटी डिपार्टमेंट झारखंड की ओर से शहर में वाई फाई से इंटरनेट कनेक्टिविटी देने के लिए नई योजना बनाई जिसका नाम ट्रांसफार्मिग रांची इन टू सिटी वाई-फाई दिया गया.

इस योजना के तहत शहर के लगभग सभी लोकेशन में वाई-फाई उपकरण लगाए जाने थे ताकि हॉट स्पॉट से इंटरनेट कनेक्टिविटी दी जा सके. ट्रांसफार्मिग रांची इन टू सिटी वाई फाई प्लान के तहत पहले चरण में बूटी मोड़ से पिस्का मोड़ और कांके रोड से बिरसा चौक तक मुफ्त में वाई फाई सुविधा उपलब्ध कराया जाना था. इसके तहत शहरवासियों को हर दिन आधे घंटे तक फ्री वाई फाई सेवा का इस्तेमाल करने की सुविधा देने की बात कही गई थी.

रांचीः राजधानी सहित राज्य के सभी प्रमुख शहरों में मुफ्त वाई फाई सुविधा देने के लिए राज्य सरकार ने वृहद कार्य योजना बनाई थी. जिसके तहत शहर के प्रमुख स्थलों पर हाई स्पीड इंटरनेट सुविधा दिया जाना था. सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने इसका नाम ट्रांसफार्मिग रांची इनटू सिटी वाई फाई योजना दिया. मगर हकीकत यह है कि यह योजना धरातल पर आने से पहले ही विभागीय उलझनों में फंसकर दम तोड़ दिया है.

विभाग द्वारा इसको लेकर 2016 से ही कवायद की जा रही है. हास्यास्पद बात यह है कि विभाग ने 2017-18 के वार्षिक कार्य योजना में इसे शामिल करते हुए 2 करोड़ का विभागीय बजट में प्रावधान भी किया था. कार्य का जिम्मा बीएसएनएल को दिया गया और इसपर लाखों रुपये खर्च भी हो गए मगर रिजल्ट ढाक के तीन पात साबित हुए. विभागीय अधिकारियों की हालत ऐसी है कि इस संबंध में बोलने से परहेज कर रहे हैं. जैप आईटी के माध्यम से प्रारंभ में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट इतना उलझता चला गया कि सरकार बदलते ही इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

विभाग पर सवाल, नगर निगम ने भी मोड़ा मुंहः बेंगलुरु, इंदौर जैसे देश के अन्य शहर की तरह राजधानी रांची को भी हाईटेक बनाने का सपना अभी भी अधर में है. ऐसे में चैंबर ऑफ कॉमर्स ने सरकार के उदासीन रवैया पर सवाल खड़ा करते हुए इस पर पहल करने की मांग की है. चैंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष दीनदयाल वर्णवाल के अनुसार डिजिटल युग में वाई फाई कनेक्टिविटी आवश्यक आवश्यकता की वस्तु बन गई है.

यह वर्तमान समय की मांग है जिसे सबने कोरोना के समय में महसूस किया है. आज अगर राज्य के शहरों में उपलब्ध रहता तो बच्चों को ऑनलाइन पढाई में असुविधा नहीं होती. इधर इसको लेकर सियासी दलों ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. हालांकि खास बात यह है कि सिटी वाई फाई पर सत्तापक्ष और विपक्ष के नेता एकमत दिख रहे हैं. रांची विधायक सीपी सिंह ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि यह सरकार डिजिटल युग में नहीं बल्कि पुराने लालटेन युग में जनता को रखना चाहती है. इस वजह से यह योजना धरातल पर नहीं उतर पाई.

वहीं सरकार की सहयोगी दल कांग्रेस ने पिछली सरकार के द्वारा शुरू की गई विभिन्न योजना पर तंज कसते हुए कहा है कि ऐसी योजना राज्य में चलाई गई जो सिर्फ और सिर्फ अखबारों में सुर्खियां बटोरी. कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने हालांकि रघुवर सरकार की इस योजना की सराहना करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी बीएसएनएल के अधिकारी और आईटी विभाग से मिलकर जल्द पूरा करने का आग्रह करेगा.

राजधानी को सुंदर और हाईटेक बनाने की बात करनेवाली रांची नगर निगम ने सिटी वाई फाई योजना से पल्ला झाड़ लिया है. मेयर आशा लकड़ा ने कहा है कि इस संदर्भ में सरकार को सोचना चाहिए नगर निगम का कार्य यह नहीं है. बहरहाल शहर को फ्री वाई फाई जोन बनाने की योजना फिलहाल अधर में लटकी हुई है. राज्य सरकार और बीएसएनएल के बीच कम्यूनिकेशन गैप की वजह से यह अहम प्रोजेक्ट इंप्लीमेंट नहीं हो पा रहा है.

ये थी योजनाः राज्य सरकार की योजना थी कि दिसंबर 2016 तक रांची शहर के कई जगहों पर वाई फाई स्पॉट लगाकर लोगों को इस सुविधा का लाभ दिया जाए. इसके तहत हर हर 500 मीटर की दूरी पर हॉट स्पॉट बनना था ताकि सभी जोन में शहरवासियों को हर दिन आधे घंटे फ्री वाई-फाई सर्विस दी जा सके. इसमें एक जीबी तक डेटा तक की फ्री डाउनलोडिंग का भी प्लान था. बाद में आईटी डिपार्टमेंट झारखंड की ओर से शहर में वाई फाई से इंटरनेट कनेक्टिविटी देने के लिए नई योजना बनाई जिसका नाम ट्रांसफार्मिग रांची इन टू सिटी वाई-फाई दिया गया.

इस योजना के तहत शहर के लगभग सभी लोकेशन में वाई-फाई उपकरण लगाए जाने थे ताकि हॉट स्पॉट से इंटरनेट कनेक्टिविटी दी जा सके. ट्रांसफार्मिग रांची इन टू सिटी वाई फाई प्लान के तहत पहले चरण में बूटी मोड़ से पिस्का मोड़ और कांके रोड से बिरसा चौक तक मुफ्त में वाई फाई सुविधा उपलब्ध कराया जाना था. इसके तहत शहरवासियों को हर दिन आधे घंटे तक फ्री वाई फाई सेवा का इस्तेमाल करने की सुविधा देने की बात कही गई थी.

Last Updated : May 1, 2022, 4:24 PM IST
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