रांची: राजधानी में आदिवासी संगठनों ने शनिवार (8 अप्रैल) को बंद बुलाया था. बंद के आह्वान की घोषणा आदिवासी संगठनों ने पहले ही कर दी थी. जिसे लेकर जिला प्रशासन मुस्तैद था. शनिवार की सुबह से ही विभिन्न चौक चौराहों पर पुलिस फोर्स की तैनाती कर दी गई थी. बावजूद भी प्रदर्शनकारी हुड़दंग मचाने से बाज नहीं आए. राजधानी के कई चौक चौराहों पर प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर रोड जाम किया.
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अपमान करने वाले पर हो कार्रवाई: लोगों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए जिला प्रशासन की टीम ने कई लोगों को हिरासत में लिया. कई जगहों पर पुलिस की टीम ने लोगों को समझा बुझाकर जाम को हटाने का काम किया. प्रदर्शन कर रहे अभिषेक मुंडा पाहन ने कहा कि आदिवासी संगठन और आदिवासी समाज से जुड़े लोगों की मांग बहुत सरल है. जिन लोगों ने भी झंडा जलाने का काम किया है और आदिवासी धर्म का अपमान किया है, उनकी तुरंत गिरफ्तारी हो. और उस पर कार्रवाई की जाए.
लोगों को परेशान करने की मंशा नहीं: उन्होंने कहा कि आदिवासी संगठनों की कोई मंशा नहीं है कि वह सड़क जाम कर लोगों को परेशान करें. लेकिन प्रशासन ने जिस तरह से लापरवाही कर रहा है इस कारण आदिवासी संगठन को सड़क पर उतरना पड़ा है. प्रदर्शन को लेकर जिला प्रशासन की तरफ से टाउन सीओ अमित कुमार ने बताया कि जिला प्रशासन की टीम सरकारी और निजी संपत्ति को बचाने के लिए मुस्तैद है. कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम करने की कोशिश की. लेकिन मौके पर पुलिस पहुंची और प्रदर्शनकारियों को हटाने का काम किया.
क्या है मामला: गौरतलब है कि सरहुल के दिन लोअर करमटोली स्थित आदिवासी जमीन पर लगे झंडे को असामाजिक तत्वों ने जलाने और उसे क्षति पहुंचाने का काम किया था. इसी को लेकर आदिवासी समाज के विभिन्न संगठनों ने 8 अप्रैल को रांची बंद का आह्वान किया था. जिसका असर आज राजधानी के विभिन्न चौक चौराहों पर देखने को मिल रहा है.