रांची: गव्य विकास निदेशालय के निदेशक चंदन कुमार ने 32 रुपये लीटर दूध मामले में संज्ञान लिया है. विश्वसनीय सूत्रों को हवाले से ईटीवी भारत को यह जानकारी मिली है कि अब दूध पी रहे अधिकारियों की कुंडली खंगाली जा रही है. गव्य निदेशक ने दूध की बिक्री और इसके खरीददार की पूरी सूची उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं. प्रशिक्षण एवं प्रसार संस्थान के मुख्य अनुदेशक को इसकी जिम्मेदारी दी गई है.
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प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी खबर: ईटीवी भारत ने प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी, जिसमें अधिकारी महज 32 रुपये लीटर में दूध की खरीदारी कर रहे हैं. जबकि बाजार की कीमत की बात करें तो वर्तमान में इसकी कीमत 50 से 60 रुपये के बीच है. इस तरह से देखा जाए तो अधिकारी लगभग आधे दाम पर दूध की खरीदारी कर रहे थे. इसी खबर पर निदेशक चंदन कुमार ने कार्रवाई को आगे बढ़ाया है. अब यह देखना मामले में किस पर गाज गिरती है.
चार साल से नहीं बढ़ी कीमत: गव्य विकास निदेशालय के अधीन प्रशिक्षण एवं प्रसार संस्थान की तीन गौशाला रांची में है. मुख्यमंत्री आवास, राजभवन और धुर्वा में निदेशालय मुख्यालय में ये गौशालाएं हैं. इन तीनों गौशाला से हर दिन लगभग 120 से 135 लीटर दूध का उत्पादन होता है. जिसे गव्य निदेशालय महज 32 रुपये लीटर की दर से बेचता है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह दर करीब चार साल पुराना है. पिछले चार वर्षों में दूध के नए दर का पुनर्निर्धारण नहीं किया गया है.
कहां-कहां होती है दूध की खपत: गव्य विकास निदेशालय की तीन गौशालाएं हैं, जिसमें एक राजभवन, एक मुख्यमंत्री आवास में है. इसके अलावा धुर्वा स्थिति गव्य निदेशालय की गौशाला. राजभवन और मुख्यमंत्री आवास में मौजूद पशु के दूध की खपत वहीं हो जाती है. वहीं धुर्वा स्थिति गव्य निदेशालय की गौशाला की बात करें तो यहां का दूध अधिकारियों में वितरित होता है. इन्हीं अधिकारियों पर इस महंगाई के जमाने में भी 32 रुपये लीटर दूध पीने का आरोप लगा है.
135 लीटर दूध का होता है उत्पादन: गौरतलब है कि राजभवन में जिसमें से 04 गायें और 01 भैंस अभी दूध दे रहे हैं. इसी तरह मुख्यमंत्री आवास में 04 पशु हैं जो दूध देते हैं. वहीं धुर्वा स्थिति गव्य निदेशालय की गौशाला में 27 गाय हैं, जिसमें से 14 दूध दे रही हैं. अगर तीनों गौशाला को मिलाकर दूध उत्पादन की बात करें तो करीब 120 से 135 लीटर दूध का हर दिन उत्पादन होता है.