रांची: डीलिस्टिंग के मुद्दे पर 24 दिसंबर को आदिवासी समाज के लोग रैली निकालेंगे. वहीं रैली को लेकर राजनीति तेजी से हो गई है. एक पक्ष डीलिस्टिंग रैली के समर्थन में है तो वहीं झारखंड में सत्ताधारी पक्ष इसका विरोध करते नजर आ रहा है. डीलिस्टिंग रैली का समर्थन कर रहे आदिवासी सुरक्षा मंच का विरोध करने वाले कई संगठनों ने कहा कि जिस प्रकार से रैली में धर्म परिवर्तन कर चुके आदिवासी को अनुसूचित जनजाति की मिलने वाली सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है, यह जायज नहीं है.
डीलिस्टिंग से आदिवासियों के अधिकार का हनन होगा-प्रफुलः डिलिस्टिंग रैली का विरोध कर रहे वाम दल के नेता प्रफुल लिंडा बताते हैं कि डीलिस्टिंग से आदिवासियों के अधिकार का हनन हो रहा है. उन्होंने बताया कि धारा 366 और 342 के अनुसार धर्म परिवर्तन कर चुके आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति से डीलिस्टिंग करना कहीं से भी जायज नहीं है. ईसाई और इस्लाम धर्म को अपनाने वाले आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति की सूची से हटाना कहीं ना कहीं भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश है. डीलिस्टिंग को लेकर कई अन्य आदिवासी संगठनों ने कहा कि इस तरह की रैली 2024 की लोकसभा चुनाव को लेकर की जा रही है, ताकि लोगों को दिग्भ्रमित किया जा सके.
आदिवासियों को आपस में लड़ाने की हो रही राजनीति-वीना लिंडाः आदिवासी संगठन की नेता वीना लिंडा ने कहा कि जनजाति सुरक्षा मंच संघ से जुड़ा संगठन है. इसलिए भाजपा और संघ के इशारे पर आदिवासी सुरक्षा मंच 25 दिसंबर से पहले यह रैली निकाल कर लोगों को भ्रमित कर रहा है. वीना लिंडा ने कहा कि 24 दिसंबर को डीलिस्टिंग की रैली निकालकर आदिवासियों को आपस में लड़ाने की रणनीति है.
आदिवासियों को हिंदू धर्म से जोड़ने की साजिशः डीलिस्टिंग रैली का विरोध कर रहे लोकतंत्र बचाव अभियान संगठन के नेताओं ने कहा कि जनजाति सुरक्षा मंच डीलिस्टिंग के माध्यम से वैसे लोगों को आदिवासी सूची से हटाने की मांग कर रहा है जो इस्लाम और ईसाई धर्म को अपना लिए हैं, लेकिन जो आदिवासी हिंदू धर्म में परिवर्तित हुए हैं उन्हें डीलिस्टिंग के माध्यम से अनुसूचित जनजाति की सूची से नहीं हटाया जा रहा है. इससे यह प्रतीत हो रहा है कि आरएसएस को समर्थन करने वाली जनजाति सुरक्षा मंच भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करना चाह रही है और जबरन आदिवासियों को हिंदू धर्म से जोड़ने की साजिश है. वहीं डीलिस्टिंग रैली का विरोध कर रहे नेताओं ने कहा कि यदि आदिवासी समूह को अनुसूचित जनजाति की सूची से हटाया जाता है तो उनके जल, जंगल और जमीन को लुटना आसान हो जाएगा.
आदिवासियों के हक में निकाली जा रही रैली-भाजपाः वहीं डीलिस्टिंग रैली का समर्थन कर रहे भाजपा के प्रवक्ता अविनेश कुमार ने कहा कि रैली का विरोध करना दुर्भाग्यपूर्ण है. क्योंकि यह रैली आदिवासियों के हक में निकाली जा रही है. आज कई ऐसे आदिवासी हैं जो आदिवासी और सरना धर्म को छोड़ चुके हैं, लेकिन फिर भी आदिवासियों के आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं. जिससे मूल आदिवासियों के हक और अधिकार का हनन हो रहा है. वहीं 24 दिसंबर को निकाली जाने वाली इस रैली को लेकर भाजपा ने कहा कि तारीख से कोई राजनीति नहीं होती. यदि यह रैली किसी और दिन भी निकाली जाती तो विरोध करने वाले विरोध जरूर करते. क्योंकि उनकी मंशा आदिवासियों के हक और अधिकार को छीनने का है.
गौरतलब है कि डीलिस्टिंग रैली 24 दिसंबर को निकाली जाएगी. इसको लेकर कई तरह के विरोध के स्वर सुनने को मिल रहे हैं. अब देखने वाली बात होगी कि 24 दिसंबर को निकालने वाले इस रैली में आदिवासियों का कितना समर्थन मिलता है और विरोध करने वाले आदिवासी संगठन इस रैली के बाद क्या कदम उठाते हैं.
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