रांचीः झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का बीजेपी में कुछ दिन पहले विलय किया था और घर वापसी की थी. बीजेपी में आने के बाद उनको बड़ी जिम्मेदारी दी गयी, उनको बीजेपी विधायक दल का नेता बनाया गया लेकिन अब तक झारखंड विधानसभा में उनको नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिला है. इसको लेकर झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में सत्ता पक्ष और भाजपा में रोज टकराव देखने को मिल रहा है.
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बाबूलाल से पार्टी मजबूत हुई
पूरे मामले पर झारखंड से बीजेपी के राज्यसभा सांसद समीर उरांव ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि बाबूलाल मरांडी के बीजेपी में आने से बीजेपी झारखंड में और मजबूत हुई है और उनको विधायक दल का नेता बनाया गया है. लेकिन झारखंड सरकार बाबूलाल से घबरा गई है और स्पीकर को समझा पढ़ा दी है कि इनको नेता विपक्ष के तौर पर मान्यता नहीं दी जाए. समीर उरांव ने कहा कि बाबूलाल को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा मिल जाता तो बीजेपी मजबूती के साथ राज्य सरकार को हर मुद्दे पर घेरती और राज्य सरकार को सुझाव भी देती कि किस तरह झारखंड के विकास के लिए काम करना है. लेकिन झारखंड सरकार खुद ही राज्य का विकास नहीं चाहती और कुछ ना कुछ अड़ंगा लगाना चाहती है जिससे झारखंड का विकास बाधित हो. नेता प्रतिपक्ष के मुद्दा को गहराकर राज्य सरकार झारखंड के कल्याण को रोक रही है.
उन्होंने कहा कि आज तो केंद्रीय चुनाव आयोग ने भी झारखंड विकास मोर्चा के बीजेपी में विलय को मान्यता दे दी है. अब तो बाबू लाल को नेता विपक्ष का दर्जा देने में किसी भी तरह का तकनीकी पेंच नहीं है, न झारखंड सरकार को नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर कानूनी राय लेने की जरूरत है.