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राज्यसभा चुनाव 2016: रिकॉर्डिंग मूल यंत्र मिलने के बाद होगा अभियुक्तिकरण पर फैसला

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Published : Jun 24, 2020, 7:09 PM IST

Updated : Jun 24, 2020, 7:40 PM IST

राज्यसभा चुनाव 2016 के मामले पर जगन्नाथपुर थाना में एफआईआर दर्ज किया गया है. ये मामला अब रिकॉर्डिंग के मूल यंत्र पर ही निर्भर कर रहा है. वहीं सिटी एसपी ने अपनी समीक्षा में यह पाया है कि मामले में मूल यंत्र मिलने के बाद ही अभियुक्तिकरण पर फैसला किया जा सकता है.

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राज्यसभा सभा चुनाव 2016

रांची: राज्यसभा चुनाव 2016 को प्रभावित करने के मामले में राज्य के जगन्नाथपुर थाना में दर्ज एफआईआर का अनुसंधान अब रिकॉर्डिंग के मूल यंत्र पर ही निर्भर करेगा. रिकॉर्डिंग का मूल यंत्र मिलने के बाद ही अब इस मामले में कौन-कौन अभियुक्त बनेगा इसका फैसला किया जाएगा.

सिटी एसपी ने की मामले की समीक्षा
रांची के सिटी एसपी सौरभ ने जगन्नाथपुर थाने में तत्कालीन एडीजी स्पेशल ब्रांच अनुराग गुप्ता और सीएम के तत्कालीन सलाहकार अजय कुमार पर दर्ज केस की समीक्षा की. समीक्षा के दौरान कांड के अनुसंधानक जगन्नाथपुर थाना प्रभारी अभय कुमार सिंह की मौजूदगी में सिटी एसपी ने समीक्षा करने के बाद केस का चौथा प्रगति प्रतिवेदन जारी किया है. सिटी एसपी ने अपनी समीक्षा में यह पाया है कि कांड में मूल यंत्र मिलने के बाद ही अभियुक्तिकरण पर फैसला लिया जा सकता है.

मूल यंत्र बेहद जरूरी
सिटी एसपी की समीक्षा रिपोर्ट में यह जिक्र है कि पुलिस ने जेल में बंद पूर्व मंत्री योगेंद्र साव से मूल यंत्र की मांग की थी. तब योगेंद्र साव ने पुलिस को बताया था कि वह एक सप्ताह में मूल यंत्र जमा करा देंगे. सिटी एसपी ने केस के अनुसंधानक को यह आदेश दिया है कि इस बात की जानकारी कोर्ट से जुटाए कि मूल यंत्र कोर्ट में जमा कराया गया है या नहीं. अगर मूल यंत्र उपलब्ध कराया गया है तो उसे कोर्ट से आदेश प्राप्त कर जांच के लिए एफएसएल भेजें. मामले में स्वतंत्र गवाहों के बयान दर्ज करने का आदेश भी केस के अनुसंधानकर्ता को दिया गया है.

इसे भी पढ़ें-रामेश्वर मुर्मू के मौत मामले पर बीजेपी ने सरकार पर साधा निशाना, कहा-अनुसूचित जनजातियों के साथ हो रहा अन्याय


विधानसभा से भी मांगी गई जानकारी
पूरे मामले में झारखंड विधानसभा के संयुक्त सचिव रामनिवास दास से रांची पुलिस ने पत्र लिखकर कई जानकारियां भी मांगी है. विधानसभा से राज्यसभा चुनाव 2016 के नोटिफिकेशन, पार्टी और विधायकों की लिस्ट जो 11 जून 2016 को वोटिंग के लिए योग्य थे. सत्ता और विपक्ष की तरफ से उतारे गए उम्मीदवारों की सूची और चुनाव के सत्यापित परिणाम की मांग की गई है. विधानसभा ने पुलिस को पार्टी के एमएलए ,उम्मीदवार और वोटरों की सूची उपलब्ध करवा दी है.

49 बिंदुओं पर जांच के आदेश
इस मामले में अनुसंधानकर्ता जग्गनाथपुर थाना प्रभारी अभय कुमार सिंह को निर्देश दिया गया है कि वे मूल यंत्र प्राप्त करने का प्रयास करें. साथ ही इस मामले में सीआईडी की तरफ से समीक्षा के बाद जो निर्देश दिए गए थे उनका पालन करें. सीआईडी की समीक्षा के बाद 49 बिंदुओं पर जांच के आदेश केस के अनुसंधानक को दिया गया था.

मामले में पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और निर्मला देवी का बयान हो चुका है दर्ज
यह पूरा मामला राज सभा चुनाव 2016 में गड़बड़ी से जुड़ा हुआ है. जगन्नाथपुर पुलिस ने पिछले हफ्ते ही बड़कागांव की पूर्व विधायक निर्मला देवी का बयान दर्ज किया था. वहीं जगन्नाथपुर थानेदार और केस के अनुसंधानक अभय कुमार सिंह ने रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार जाकर पूर्व मंत्री योगेंद्र साव का भी बयान दर्ज कराया था.

बयान में तत्कालीन एडीजी और सीएम के सलाहकार का लिया था नाम
बड़कागांव की पूर्व विधायक निर्मला देवी ने पुलिस को दिए बयान में बताया है कि 9 जून 2016 को उनके सलाहकार मंटू को तत्कालीन सीएम के सलाहकार अजय कुमार का फोन आया था. फोन पर निर्मला देवी से बातचीत के बाद उन्होंने तत्कालीन एडीजी स्पेशल ब्रांच अनुराग गुप्ता के यहां बुलाया गया था. निर्मला देवी के मुताबिक जब वह एडीजी के घर गई थी तब वहां पहले से उनके पति योगेंद्र साव, मुख्यमंत्री के सलाहकार अजय कुमार और एडीजी अनुराग गुप्ता मौजूद थे. वहां पर अजय कुमार ने निर्मला देवी से कहा कि अगर आप वोट देने नहीं जाएंगी तो आपके ऊपर के सारे केस को खत्म कर दिया जाएगा. साथ ही आपके सभी काम होंगे और आपको एक करोड़ रुपये भी मिलेंगे. निर्मला देवी ने बताया कि जवाब में उन्होंने कुछ भी नहीं कहा और आगे की सारी बात उनके पति योगेंद्र साव से की गई.

इसे भी पढ़ें-बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमंत को लिखा पत्र, बरहरवा में मारपीट को लेकर मंत्री आलमगीर आलम की गिरफ्तारी की मांग की

सीएम आए थे घर
निर्मला देवी के बयान के अनुसार 10 जून को तत्कालीन सीएम रघुवर दास उनके घर पर आए. तब निर्मला देवी ने अपने पति योगेंद्र साव को उनसे बातचीत के लिए भेजा. बातचीत के बाद जाते समय तत्कालीन सीएम ने वोट नहीं देने की बात कही और उनकी पार्टी ज्वाइन करने को कहा. साथ ही पांच करोड़ रुपये देने की भी बात कही गई. जाते-जाते तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने यह भी कहा कि बाकी सारी बातें तुम्हारे पति से हो गई है.

वर्तमान सीएम के सहायता से दिया वोट
निर्मला देवी ने अपने बयान में बताया है कि 11 जून 2016 को वोटिंग के दिन उनके सलाहकार और पति के फोन पर सीएम के सलाहकार और एडीजी ने कई बार कॉल किया, लेकिन वह किसी से भी उस दौरान बात नहीं की. उसी दिन वह हेमंत सोरेन के घर गई और प्रार्थना की कि किसी तरह उन्हें वोट देने की व्यवस्था की जाए. इसके बाद हेमंत सोरेन खुद अपनी गाड़ी से लेकर उन्हें विधानसभा ले गए. निर्मला देवी ने बताया कि वह दोपहर के बाद वोट करने गई थी. उन्हें कई राज्य सभा चुनाव ने कई अन्य लोगों की संलिप्तता को लेकर भी जांच करने की मांग अपने बयान में की है.

रांची: राज्यसभा चुनाव 2016 को प्रभावित करने के मामले में राज्य के जगन्नाथपुर थाना में दर्ज एफआईआर का अनुसंधान अब रिकॉर्डिंग के मूल यंत्र पर ही निर्भर करेगा. रिकॉर्डिंग का मूल यंत्र मिलने के बाद ही अब इस मामले में कौन-कौन अभियुक्त बनेगा इसका फैसला किया जाएगा.

सिटी एसपी ने की मामले की समीक्षा
रांची के सिटी एसपी सौरभ ने जगन्नाथपुर थाने में तत्कालीन एडीजी स्पेशल ब्रांच अनुराग गुप्ता और सीएम के तत्कालीन सलाहकार अजय कुमार पर दर्ज केस की समीक्षा की. समीक्षा के दौरान कांड के अनुसंधानक जगन्नाथपुर थाना प्रभारी अभय कुमार सिंह की मौजूदगी में सिटी एसपी ने समीक्षा करने के बाद केस का चौथा प्रगति प्रतिवेदन जारी किया है. सिटी एसपी ने अपनी समीक्षा में यह पाया है कि कांड में मूल यंत्र मिलने के बाद ही अभियुक्तिकरण पर फैसला लिया जा सकता है.

मूल यंत्र बेहद जरूरी
सिटी एसपी की समीक्षा रिपोर्ट में यह जिक्र है कि पुलिस ने जेल में बंद पूर्व मंत्री योगेंद्र साव से मूल यंत्र की मांग की थी. तब योगेंद्र साव ने पुलिस को बताया था कि वह एक सप्ताह में मूल यंत्र जमा करा देंगे. सिटी एसपी ने केस के अनुसंधानक को यह आदेश दिया है कि इस बात की जानकारी कोर्ट से जुटाए कि मूल यंत्र कोर्ट में जमा कराया गया है या नहीं. अगर मूल यंत्र उपलब्ध कराया गया है तो उसे कोर्ट से आदेश प्राप्त कर जांच के लिए एफएसएल भेजें. मामले में स्वतंत्र गवाहों के बयान दर्ज करने का आदेश भी केस के अनुसंधानकर्ता को दिया गया है.

इसे भी पढ़ें-रामेश्वर मुर्मू के मौत मामले पर बीजेपी ने सरकार पर साधा निशाना, कहा-अनुसूचित जनजातियों के साथ हो रहा अन्याय


विधानसभा से भी मांगी गई जानकारी
पूरे मामले में झारखंड विधानसभा के संयुक्त सचिव रामनिवास दास से रांची पुलिस ने पत्र लिखकर कई जानकारियां भी मांगी है. विधानसभा से राज्यसभा चुनाव 2016 के नोटिफिकेशन, पार्टी और विधायकों की लिस्ट जो 11 जून 2016 को वोटिंग के लिए योग्य थे. सत्ता और विपक्ष की तरफ से उतारे गए उम्मीदवारों की सूची और चुनाव के सत्यापित परिणाम की मांग की गई है. विधानसभा ने पुलिस को पार्टी के एमएलए ,उम्मीदवार और वोटरों की सूची उपलब्ध करवा दी है.

49 बिंदुओं पर जांच के आदेश
इस मामले में अनुसंधानकर्ता जग्गनाथपुर थाना प्रभारी अभय कुमार सिंह को निर्देश दिया गया है कि वे मूल यंत्र प्राप्त करने का प्रयास करें. साथ ही इस मामले में सीआईडी की तरफ से समीक्षा के बाद जो निर्देश दिए गए थे उनका पालन करें. सीआईडी की समीक्षा के बाद 49 बिंदुओं पर जांच के आदेश केस के अनुसंधानक को दिया गया था.

मामले में पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और निर्मला देवी का बयान हो चुका है दर्ज
यह पूरा मामला राज सभा चुनाव 2016 में गड़बड़ी से जुड़ा हुआ है. जगन्नाथपुर पुलिस ने पिछले हफ्ते ही बड़कागांव की पूर्व विधायक निर्मला देवी का बयान दर्ज किया था. वहीं जगन्नाथपुर थानेदार और केस के अनुसंधानक अभय कुमार सिंह ने रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार जाकर पूर्व मंत्री योगेंद्र साव का भी बयान दर्ज कराया था.

बयान में तत्कालीन एडीजी और सीएम के सलाहकार का लिया था नाम
बड़कागांव की पूर्व विधायक निर्मला देवी ने पुलिस को दिए बयान में बताया है कि 9 जून 2016 को उनके सलाहकार मंटू को तत्कालीन सीएम के सलाहकार अजय कुमार का फोन आया था. फोन पर निर्मला देवी से बातचीत के बाद उन्होंने तत्कालीन एडीजी स्पेशल ब्रांच अनुराग गुप्ता के यहां बुलाया गया था. निर्मला देवी के मुताबिक जब वह एडीजी के घर गई थी तब वहां पहले से उनके पति योगेंद्र साव, मुख्यमंत्री के सलाहकार अजय कुमार और एडीजी अनुराग गुप्ता मौजूद थे. वहां पर अजय कुमार ने निर्मला देवी से कहा कि अगर आप वोट देने नहीं जाएंगी तो आपके ऊपर के सारे केस को खत्म कर दिया जाएगा. साथ ही आपके सभी काम होंगे और आपको एक करोड़ रुपये भी मिलेंगे. निर्मला देवी ने बताया कि जवाब में उन्होंने कुछ भी नहीं कहा और आगे की सारी बात उनके पति योगेंद्र साव से की गई.

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सीएम आए थे घर
निर्मला देवी के बयान के अनुसार 10 जून को तत्कालीन सीएम रघुवर दास उनके घर पर आए. तब निर्मला देवी ने अपने पति योगेंद्र साव को उनसे बातचीत के लिए भेजा. बातचीत के बाद जाते समय तत्कालीन सीएम ने वोट नहीं देने की बात कही और उनकी पार्टी ज्वाइन करने को कहा. साथ ही पांच करोड़ रुपये देने की भी बात कही गई. जाते-जाते तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने यह भी कहा कि बाकी सारी बातें तुम्हारे पति से हो गई है.

वर्तमान सीएम के सहायता से दिया वोट
निर्मला देवी ने अपने बयान में बताया है कि 11 जून 2016 को वोटिंग के दिन उनके सलाहकार और पति के फोन पर सीएम के सलाहकार और एडीजी ने कई बार कॉल किया, लेकिन वह किसी से भी उस दौरान बात नहीं की. उसी दिन वह हेमंत सोरेन के घर गई और प्रार्थना की कि किसी तरह उन्हें वोट देने की व्यवस्था की जाए. इसके बाद हेमंत सोरेन खुद अपनी गाड़ी से लेकर उन्हें विधानसभा ले गए. निर्मला देवी ने बताया कि वह दोपहर के बाद वोट करने गई थी. उन्हें कई राज्य सभा चुनाव ने कई अन्य लोगों की संलिप्तता को लेकर भी जांच करने की मांग अपने बयान में की है.

Last Updated : Jun 24, 2020, 7:40 PM IST
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