रांची: प्रदेश में बनी महागठबंधन की सरकार में मंत्री चंपई सोरेन ने गुरुवार को कहा कि राज्य सरकार पुरानी बिल्डिंग बाइलॉज का अध्ययन करेगी. उसके बाद यह तय होगा कि पुरानी इमारतों के नक्शे के नियमितीकरण में किस तरह का कदम उठाया जाएं. दरअसल, बीजेपी के मनीष जायसवाल ने मौजूदा बजट सत्र में यह सवाल उठाया था कि रांची समेत अन्य जिलों में 5 लाख मकान कई तकनीकी कारणों से अपना नक्शा पास कराने की स्थिति में नहीं हैं. इसके साथ ही बड़ी संख्या में लोग वहां रह भी रहे हैं, ऐसी स्थिति में राज्य सरकार उनकी इमारतें के साथ क्या करेगी.
प्रश्नकाल में मनीष जायसवाल ने उठाया सवाल
बीजेपी के मनीष जायसवाल ने कहा कि राजधानी रांची अरगोड़ा से लेकर धुर्वा तक कई शोरूम है. इसके साथ ही आवासीय इलाके भी हैं ऐसे में व्यवहारिक रूप से यह कहना बहुत मुश्किल है कि इन मकानों का नक्शा पास हुआ होगा. उन्होंने कहा कि रांची नगर निगम को नक्शा नियमितीकरण के लिए 13 आवेदन अभी तक प्राप्त हुए हैं, जबकि अंतिम तारीख 28 मार्च 2020 तक है. ऐसे में उन्होंने कहा कि लाखों मकान बिना वैध नक्शे के बने हुए हैं. ऐसे में सरकार उन मकानों का क्या करेगी.
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मंत्री ने कहा बाईलॉज का अध्ययन कर लिया जाएगा निर्णय
इस पर मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि 2016 से पहले के बिल्डिंग बाइलॉज का अध्ययन किया जाएगा और विशेषज्ञों से इस बाबत राय ली जाएगी. हालांकि इस मामले में पूर्ववर्ती सरकार में नगर विकास मंत्री और मौजूदा विधायक सीपी सिंह ने कहा कि दरअसल पहले प्लानिंग के आधार पर मकान नहीं बनाए गए थे. जायसवाल ने कहा कि दरअसल ये स्कीम एक छलावा है और उनका खुद का मकान 1950 में बना है. वहीं चंपई सोरेन ने साफ तौर पर कहा कि सरकार इसका पूरा ध्यान रखेगी कि किसी का मकान नहीं टूटे.