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गव्य निदेशालय के सामने कर्मचारियों का धरना, 4 सूत्री मांगों को लेकर कर रहे हैं प्रदर्शन

BISLD कर्मचारीयों का प्रदर्शन जारी है. ये अपनी कमीशन बढ़ाने सहित अन्य मांगों को लेकर धरना पर हैं. इनका कहना है कि इन्हें इतनी कम राशि मिलती है कि उसमें गुजारा करना मुश्किल हो गया है.

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Published : Jul 11, 2019, 10:00 AM IST

धरना प्रर्दशन करते कर्मचारी

रांची: गव्य विकास निदेशालय के सामने बाएफ इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनेबल लाइवलीहुड एण्ड डेवलपमेंट (BISLD) कर्मचारी संघ का धरना प्रदर्शन जारी है. करीब 300 की संख्या में कर्मचारियों ने 4 सूत्री मांगों को लेकर निदेशालय निदेशक के खिलाफ और कृषि मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

देखें पूरी खबर

संघ के अध्यक्ष ने कहा कि गव्य विकास निदेशालय और उनके कार्यरत बाएफ संस्था की मिलीभगत से करोड़ों रुपए का घोटाला किया जा रहा है, उसकी जांच होनी चाहिए. जेके ट्रस्ट संस्था ₹30 में कृत्रिम गर्भाधान कराती थी, जबकि बाएफ डेढ़ सौ रुपया लेती है. उन्होंने कहा कि करीब 1010 कर्मचारी एक निर्धारित मानदेय पर पिछले 14 वर्षों से गव्य विकास द्वारा आयोजित बाएफ नामक संस्था में कृत्रिम गर्भधान का कार्य कराते आ रहे हैं.

सभी कर्मचारी प्रत्येक कृत्रिम गर्भाधान के लिए 150 रुपये किसानों से लेकर बाएफ देते थे. जिसकी एवज में संस्था वेतन देती थी. जबकि कृत्रिम गर्भाधान का यह काम निदेशालय के अंतर्गत कार्यरत संस्था जेके ट्रस्ट केवल ₹30 में ही करा रही है. ऐसे में गव्य विकास और बाएफ के बीच कृत्रिम गर्भाधान को लेकर एक घोटाला चालू है.

ये भी पढ़ें:- शराब के नशे में रहते हैं कमांडेंट, होमगार्ड्स से करते हैं गाली-गलौज, गिरफ्तारी के बाद हुआ खुलासा

साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले 14 माह से बाएफ संस्था प्रत्येक कृत्रिम गर्भाधान के लिए कर्मचारियों से ₹5 कमीशन पर काम कराना चाहती है. जो कि कर्मचारियों के साथ शोषण करना जैसा है. राज्य की भौतिक संरचना ऐसी है जिसमें 24 जिलों के कर्मचारियों का कृत्रिम गर्भाधान पर मेहनत एक जैसा नहीं हो सकता. इसलिए बाएफ के कमीशन बेसिस में जीविका उपार्जन करना कर्मचारियों के लिए संभव नहीं है. अगर जल्द ही हम कर्मचारियों की मांग पूरी नहीं की गई, तो 8 दिनों के बाद गव्य निदेशालय में ताला जड़ने का काम किया जाएगा

रांची: गव्य विकास निदेशालय के सामने बाएफ इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनेबल लाइवलीहुड एण्ड डेवलपमेंट (BISLD) कर्मचारी संघ का धरना प्रदर्शन जारी है. करीब 300 की संख्या में कर्मचारियों ने 4 सूत्री मांगों को लेकर निदेशालय निदेशक के खिलाफ और कृषि मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

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संघ के अध्यक्ष ने कहा कि गव्य विकास निदेशालय और उनके कार्यरत बाएफ संस्था की मिलीभगत से करोड़ों रुपए का घोटाला किया जा रहा है, उसकी जांच होनी चाहिए. जेके ट्रस्ट संस्था ₹30 में कृत्रिम गर्भाधान कराती थी, जबकि बाएफ डेढ़ सौ रुपया लेती है. उन्होंने कहा कि करीब 1010 कर्मचारी एक निर्धारित मानदेय पर पिछले 14 वर्षों से गव्य विकास द्वारा आयोजित बाएफ नामक संस्था में कृत्रिम गर्भधान का कार्य कराते आ रहे हैं.

सभी कर्मचारी प्रत्येक कृत्रिम गर्भाधान के लिए 150 रुपये किसानों से लेकर बाएफ देते थे. जिसकी एवज में संस्था वेतन देती थी. जबकि कृत्रिम गर्भाधान का यह काम निदेशालय के अंतर्गत कार्यरत संस्था जेके ट्रस्ट केवल ₹30 में ही करा रही है. ऐसे में गव्य विकास और बाएफ के बीच कृत्रिम गर्भाधान को लेकर एक घोटाला चालू है.

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साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले 14 माह से बाएफ संस्था प्रत्येक कृत्रिम गर्भाधान के लिए कर्मचारियों से ₹5 कमीशन पर काम कराना चाहती है. जो कि कर्मचारियों के साथ शोषण करना जैसा है. राज्य की भौतिक संरचना ऐसी है जिसमें 24 जिलों के कर्मचारियों का कृत्रिम गर्भाधान पर मेहनत एक जैसा नहीं हो सकता. इसलिए बाएफ के कमीशन बेसिस में जीविका उपार्जन करना कर्मचारियों के लिए संभव नहीं है. अगर जल्द ही हम कर्मचारियों की मांग पूरी नहीं की गई, तो 8 दिनों के बाद गव्य निदेशालय में ताला जड़ने का काम किया जाएगा

Intro:गव्य विकास निदेशालय के सामने बाएफ इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनेबल लाइवलीहुड एण्डडेवलपमेंट कर्मचारी संघ ने किया धरना प्रदर्शन ready to air रांची बाइट---- चंद्रशेखर यादव अध्यक्ष गव्य विकास निदेशालय के सामने बाएफ इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनेबल लाइवलीहुड एण्डडेवलपमेंट (BISLD)कर्मचारी संघ ने किया धरना प्रदर्शन आज दूसरा दिन रहा करीब 300 की संख्या में कर्मचारियों ने 4 सूत्री मांगों को लेकर निदेशालय निदेशक के खिलाफ और कृषि मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते नजर आएं संग नहीं गव्य विकास निदेशालय और वाइफ के बीच किए गए को लागू करने की मांग जोर-शोर से किया।


Body:सिंह ने कहा कि गव्य विकास निदेशालय और उनके कार्यरत बायफ संस्था की मिलीभगत से करोड़ों रुपए का घोटाला किया जा रहा है उसकी जांच होनी चाहिए। जेके ट्रस्ट संस्था ₹30 में कृत्रिम गर्भाधान कराती थी जबकि बाएफ डेढ़ सौ रुपया लेती है। संघ के अध्यक्ष चंद्रशेखर यादव ने कहा कि करीब 1010 कर्मचारी एक निर्धारित मानदेय पर पिछले 14 वर्षों से गव्य विकास द्वारा आयोजित बायफ नामक संस्था में कृत्रिम गर्भधान का कार्य कराते आ रहे हैं सभी कर्मचारी प्रत्येक कृत्रिम गर्भधान के लिए 150 रुपय किसानों से लेकर बाएफ देते थे जिसके एवज में संस्था वेतन देती थी जबकि कृत्रिम गर्भधान का यह काम निदेशालय के अंतर्गत कार्यरत संस्था जेजे ट्रस्ट केवल ₹30 में ही करा रही है ऐसे नहीं गव्य विकास और भारत के बीच कृत्रिम गर्भधान को लेकर एक घोटाला चालू है


Conclusion:साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले 14 माह से बायफ संस्था प्रत्येक कृत्रिम धान के लिए कर्मचारियों से ₹5 कमीशन पर काम कराना चाहती है जो कि कर्मचारियों के साथ शोषण करना जैसा है राज्य की भौतिक संरचना ऐसी है जिसमें 24 जिलों के कर्मचारी का कृत्रिम गर्भधान पर एक जैसा नहीं हो सकता इसलिए बाएफ के कमीशन बेसिस में जीविका उपार्जन करना कर्मचारियों के लिए संभव नहीं है अगर जल्द ही हम कर्मचारियों की मांगे पूरी नहीं की गई तो 8 दिनों के बाद गव्य निदेशालय ने ताला जड़ने का काम किया जाएगा
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