पटना: गिरिडीह जिले में स्थित जैन समाज के सर्वोच्च तीर्थस्थल पारसनाथ पहाड़ी सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल के रूप में नोटिफाई किए जाने का बिहार में भी विरोध शुरू हो गया है(Protest in Bihar against notification of Sammed Shikhar). जैन संघ का कहना है कि झारखंड सरकार ने जैन धर्म के सबसे बड़े तीर्थ क्षेत्र सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाया है, जिसका पुरजोर विरोध किया जाएगा. बिहार जैन संघ के महामंत्री मुकेश जैन ने बताया कि सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनने से यहां मांस मदिरा का सेवन होगा, होटल खुलेगा, लोग जूते चप्पल पहनकर पहाड़ पर जायेंगे जो जैनियों की आस्था पर कुठाराघात होगा.
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बिहार में जैन संघ के महामंत्री मुकेश जैन ने कहा कि यह पहाड़ क्षेत्र जैन आस्था का केंद्र है. जैन धर्मावलम्बी 27 किलोमीटर में फैले इस पहाड़ी पर नंगे पांव चढ़ते हैं. पहाड़ी पर किसी तरह का खानपान नहीं करते हैं. पर्यटन स्थल घोषित होने के बाद पर्वत की स्वतंत्र पहचान और पवित्रता खंडित होगी. संघ के प्रदीप जैन ने कहा कि पूरे भारत एवं विश्व में झारखंड सरकार के इस फैसले का जैन समाज विरोध कर रहा है.
बिहार जैन संघ की बुधवार को पटना में हुई बैठक में कहा गया है कि अगर 10 दिनों के अंदर इस निर्णय को झारखंड सरकार वापस नहीं लेती है तो जैन संघ पूरे बिहार में जन आंदोलन छेड़ेगी. जैन संघ द्वारा प्रधानमंत्री सहित झारखंड और बिहार के मुख्यमंत्री को पत्र भी भेजा जा रहा है. बैठक में अध्यक्ष प्रदीप जैन ने कहा कि महावीर मंदिर न्यास के सचिव किशोर कुणाल ने भी इस मांग का समर्थन किया है.
बिहार प्रादेशिक मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष महेश जालान ने भी कहा कि सम्मेद शिखरजी जैन धर्मावलंबियों का अत्यंत महत्वपूर्ण और पावन तीर्थ स्थल है. इसकी शुचिता और गरिमा पर किसी भी प्रकार की आंच नहीं आनी चाहिए.
--आईएएनएस