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झारखंड में शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया शुरू, विज्ञापन पर उठ रहे सवाल, जानें वजह

झारखंड सरकार ने शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकलने के साथ ही इसका विरोध शुरू हो गया. दरअसल, सरकार शिक्षकों की बहाली कॉन्ट्रैक्ट पर कर रही है. 11 महीने के कॉन्ट्रैक्ट के बाद शिक्षक क्या करेंगे? इसी को लेकर सभी सरकार के इस कदम का विरोध कर रहे हैं.

Teachers vacancy in Jharkhand
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Published : Jan 21, 2023, 8:21 PM IST

रांची: नियोजन नीति रद्द होने के बाद राज्य सरकार डैमेज कंट्रोल करने में जुटी हुई है. इसके तहत राज्य भर में एक बार फिर नए सिरे से नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी की गई है. जानकारी के मुताबिक सरकार के द्वारा हाई कोर्ट से नियोजन नीति में संशोधन को लेकर दिए गए निर्देश के अनुरूप फैसला लेने की तैयारी की जा रही है. इन सबके बीच शिक्षा विभाग ने इन दिनों कॉन्ट्रैक्ट पर 11 महीने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति करने में जुटी है.

ये भी पढ़ें: Jharkhand Recruitment Policy Row: झारखंड में नियोजन नीति पर घमासान जारी, अधर में हजारों नियुक्तियां

टीजीटी और पीजीटी के विभिन्न विषयों के लिए हो रहे नियुक्ति जिला स्तर पर डीसी के नेतृत्व में बनी कमेटी के माध्यम से जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा किया जाना है. अब तक गुमला और सरायकेला खरसावां जिला से उत्कृष्ट विद्यालयों एवं प्रखंड स्तरीय आदर्श विद्यालयों के लिए संविदा आधारित शिक्षकों के चयन का विज्ञापन प्रकाशित हो चुका है.

स्थायी रूप से हो शिक्षकों की नियुक्ति-माध्यमिक संघ: जिला स्तर से जारी किए जा रहे विज्ञापन पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. झारखंड राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो को चिट्ठी लिखकर राज्य में संविदा के आधार पर हो रहे शिक्षकों की नियुक्ति को अनुचित बताते हुए स्थायी रूप से शिक्षकों की नियुक्ति करने की मांग की है. संघ के महामंत्री सुरेंद्र झा का मानना है कि एक तरफ राज्य सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर अन्य सुविधाओं को बहाल करने पर जोर दे रही है, वहीं दूसरी तरफ शिक्षकों की नियुक्ति संविदा पर कर रही है. संविदा आधारित नियुक्ति होने से पठन-पाठन में इसका असर पड़ेगा. पहले से ही राज्य में शिक्षकों की भारी कमी है, वहीं दूसरी तरफ प्रखंड स्तर और स्कूल ऑफ एक्सीलेंस और आदर्श विद्यालय खोले जाने के बाद सरकार के पास शिक्षक है ही नहीं. ऐसे में स्थायी रूप से शिक्षकों की नियुक्ति होने से स्कूलों में बेहतर शिक्षण व्यवस्था कायम हो सकेगी.

सरकार के कदम की आलोचना: इधर छात्र संघ ने भी सरकार के द्वारा उठाए गए इस कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि एक तरफ झारखंड में युवा युवाओं को नौकरी के लिए चक्कर लगाने पड़ते हैं. वहीं दूसरी तरफ संविदा के आधार पर नियोजन मिलने के बावजूद भी अनिश्चितता बनी रहेगी कि सरकार 11 महीने के बाद सेवा समाप्त कर देगी. ऐसे में इसमें कार्य होने वाले शिक्षक पढ़ाने के बजाय हर वक्त चिंतित रहेंगे की उनका कार्यकाल मात्र इतने ही दिन शेष बचे हैं. छात्र नेता एस अली ने सरकार के द्वारा संविदा पर किए जा रहे शिक्षकों की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्ध बताया है. उन्होंने कहा कि इस नियुक्ति प्रक्रिया में सबसे बड़ी खामी यह है कि आरक्षण रोस्टर का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया है, जिस वजह से कई जिलों में एससी,ओबीसी के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं है. ऐसे में कहीं ना कहीं यह मसला विवादों में आएगा और न्यायालय तक यह पहुंच जाएगा.

शिक्षा विभाग की राय: इधर शिक्षा विभाग का मानना है कि राज्य शिक्षा परियोजना के द्वारा दिए गए फैसले के अनुरूप जिलों को नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करनी है, जिसमें जिला स्तर पर सरकार के आरक्षण नीति को ध्यान में रखकर पदों को आरक्षित की गई है. नियुक्ति प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता रखने के लिए निर्देश दिए गए हैं, जिससे किसी तरह की गड़बड़ी की शिकायत ना आए. गौरतलब है कि झारखंड में अति उत्कृष्ट और 325 प्रखंड स्तरीय आदर्श विद्यालय खोले गए हैं. सरकार की योजना है कि वहां निजी स्कूलों के तर्ज पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाए, लेकिन स्कूल संचालित होने से पहले ही जिस तरह से शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर विवाद उठा है, उससे यही लगता है कि आदर्श विद्यालय का सपना धरा का धरा ना रह जाए.

रांची: नियोजन नीति रद्द होने के बाद राज्य सरकार डैमेज कंट्रोल करने में जुटी हुई है. इसके तहत राज्य भर में एक बार फिर नए सिरे से नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी की गई है. जानकारी के मुताबिक सरकार के द्वारा हाई कोर्ट से नियोजन नीति में संशोधन को लेकर दिए गए निर्देश के अनुरूप फैसला लेने की तैयारी की जा रही है. इन सबके बीच शिक्षा विभाग ने इन दिनों कॉन्ट्रैक्ट पर 11 महीने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति करने में जुटी है.

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टीजीटी और पीजीटी के विभिन्न विषयों के लिए हो रहे नियुक्ति जिला स्तर पर डीसी के नेतृत्व में बनी कमेटी के माध्यम से जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा किया जाना है. अब तक गुमला और सरायकेला खरसावां जिला से उत्कृष्ट विद्यालयों एवं प्रखंड स्तरीय आदर्श विद्यालयों के लिए संविदा आधारित शिक्षकों के चयन का विज्ञापन प्रकाशित हो चुका है.

स्थायी रूप से हो शिक्षकों की नियुक्ति-माध्यमिक संघ: जिला स्तर से जारी किए जा रहे विज्ञापन पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. झारखंड राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो को चिट्ठी लिखकर राज्य में संविदा के आधार पर हो रहे शिक्षकों की नियुक्ति को अनुचित बताते हुए स्थायी रूप से शिक्षकों की नियुक्ति करने की मांग की है. संघ के महामंत्री सुरेंद्र झा का मानना है कि एक तरफ राज्य सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर अन्य सुविधाओं को बहाल करने पर जोर दे रही है, वहीं दूसरी तरफ शिक्षकों की नियुक्ति संविदा पर कर रही है. संविदा आधारित नियुक्ति होने से पठन-पाठन में इसका असर पड़ेगा. पहले से ही राज्य में शिक्षकों की भारी कमी है, वहीं दूसरी तरफ प्रखंड स्तर और स्कूल ऑफ एक्सीलेंस और आदर्श विद्यालय खोले जाने के बाद सरकार के पास शिक्षक है ही नहीं. ऐसे में स्थायी रूप से शिक्षकों की नियुक्ति होने से स्कूलों में बेहतर शिक्षण व्यवस्था कायम हो सकेगी.

सरकार के कदम की आलोचना: इधर छात्र संघ ने भी सरकार के द्वारा उठाए गए इस कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि एक तरफ झारखंड में युवा युवाओं को नौकरी के लिए चक्कर लगाने पड़ते हैं. वहीं दूसरी तरफ संविदा के आधार पर नियोजन मिलने के बावजूद भी अनिश्चितता बनी रहेगी कि सरकार 11 महीने के बाद सेवा समाप्त कर देगी. ऐसे में इसमें कार्य होने वाले शिक्षक पढ़ाने के बजाय हर वक्त चिंतित रहेंगे की उनका कार्यकाल मात्र इतने ही दिन शेष बचे हैं. छात्र नेता एस अली ने सरकार के द्वारा संविदा पर किए जा रहे शिक्षकों की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्ध बताया है. उन्होंने कहा कि इस नियुक्ति प्रक्रिया में सबसे बड़ी खामी यह है कि आरक्षण रोस्टर का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया है, जिस वजह से कई जिलों में एससी,ओबीसी के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं है. ऐसे में कहीं ना कहीं यह मसला विवादों में आएगा और न्यायालय तक यह पहुंच जाएगा.

शिक्षा विभाग की राय: इधर शिक्षा विभाग का मानना है कि राज्य शिक्षा परियोजना के द्वारा दिए गए फैसले के अनुरूप जिलों को नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करनी है, जिसमें जिला स्तर पर सरकार के आरक्षण नीति को ध्यान में रखकर पदों को आरक्षित की गई है. नियुक्ति प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता रखने के लिए निर्देश दिए गए हैं, जिससे किसी तरह की गड़बड़ी की शिकायत ना आए. गौरतलब है कि झारखंड में अति उत्कृष्ट और 325 प्रखंड स्तरीय आदर्श विद्यालय खोले गए हैं. सरकार की योजना है कि वहां निजी स्कूलों के तर्ज पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाए, लेकिन स्कूल संचालित होने से पहले ही जिस तरह से शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर विवाद उठा है, उससे यही लगता है कि आदर्श विद्यालय का सपना धरा का धरा ना रह जाए.

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