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विधायक बंधु तिर्की से ईटीवी भारत की खास बातचीत, सरना धर्म कोड पर कही ये बातें

आदिवासी के मुद्दों को लेकर लगातार मुखर रहने वाले विधायक बंधु तिर्की से ईटीवी भारत की टीम ने खास बातचीत की. इस दौरान जाना कि सरना आदिवासी धर्म कोड को लेकर जो प्रस्ताव केंद्र में भेजा गया है, उस पर किस तरह से सहमति बनी है.

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विधायक बंधु तिर्की से ईटीवी भारत की खास बातचीत
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Published : Nov 11, 2020, 7:29 PM IST

रांची: झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में बुधवार को सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव लाया गया. इसके बाद इसे केंद्र में भेजा गया है. आदिवासी के मुद्दों को लेकर लगातार मुखर रहने वाले विधायक बंधु तिर्की से ईटीवी भारत की टीम ने खास बातचीत की. इस दौरान जाना कि सरना आदिवासी धर्मकोड को लेकर जो प्रस्ताव केंद्र में भेजा गया है, उस पर किस तरह से सहमति बनी है.

विधायक बंधु तिर्की से ईटीवी भारत की खास बातचीत
आदिवासीयों के लिए ऐतिहासिक रहा बुधवार का दिन


ईटीवी भारत से बात करते हुए विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि राज्य की जनता के लिए बुधवार का दिन काफी ऐतिहासिक रहा. झारखंड के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि विशेष सत्र बुलाकर आदिवासियों की पहचान के मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष में चर्चा हुई है. बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी की ओर से दिए गए बयान पर कटाक्ष करते हुए करते हुए उन्होंने कहा कि जब कोई गंभीर मुद्दों को लेकर बात हो रही हो तो, विपक्ष के लोग कन्याकुमारी, कश्मीर और पंजाब की बातें करते हैं. उन्होंने कहा कि विपक्ष का मांग था कि आदिवासी सरना धर्म कोड लागू किया जाए, जिस पर विचार करने के बाद आदिवासी सरना धर्म कोड का प्रस्ताव लाया गया है. यह उनकी भी मांग थी और इस पर मुख्यमंत्री ने विचार करते हुए यह प्रस्ताव लाया है.

ये भी पढ़ें-दिवाली में दूसरों के घरों को रोशन करने वाले खुद अंधेरे में, कुम्हारों पर आर्थिक संकट

आदिवासियों की पहचान को लेकर प्रस्ताव भेजा गया केंद्र

विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि झारखंड पहला ऐसा राज्य है, जहां आदिवासियों की पहचान को लेकर प्रस्ताव को केंद्र में भेजने का काम किया गया है. इसी तरह से अन्य राज्यों में भी एक प्रस्ताव केंद्र को भेजेंगे, ताकि आदिवासियों को पहचान मिल सके. 2011 के जनगणना में 50 लाख आदिवासियों ने सरना धर्म लिख कर अपनी पहचान अंकित की थी. ऐसे में 2021 के जनगणना प्रपत्र में आदिवासियों के अधिकार को लेकर एक अलग से कोल्लम हो, इसे लेकर राज्य से प्रस्ताव पास कर भेजा गया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद कहा है कि इस को लेकर केंद्र सरकार से भी बातचीत की जाएगी.

रांची: झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में बुधवार को सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव लाया गया. इसके बाद इसे केंद्र में भेजा गया है. आदिवासी के मुद्दों को लेकर लगातार मुखर रहने वाले विधायक बंधु तिर्की से ईटीवी भारत की टीम ने खास बातचीत की. इस दौरान जाना कि सरना आदिवासी धर्मकोड को लेकर जो प्रस्ताव केंद्र में भेजा गया है, उस पर किस तरह से सहमति बनी है.

विधायक बंधु तिर्की से ईटीवी भारत की खास बातचीत
आदिवासीयों के लिए ऐतिहासिक रहा बुधवार का दिन


ईटीवी भारत से बात करते हुए विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि राज्य की जनता के लिए बुधवार का दिन काफी ऐतिहासिक रहा. झारखंड के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि विशेष सत्र बुलाकर आदिवासियों की पहचान के मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष में चर्चा हुई है. बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी की ओर से दिए गए बयान पर कटाक्ष करते हुए करते हुए उन्होंने कहा कि जब कोई गंभीर मुद्दों को लेकर बात हो रही हो तो, विपक्ष के लोग कन्याकुमारी, कश्मीर और पंजाब की बातें करते हैं. उन्होंने कहा कि विपक्ष का मांग था कि आदिवासी सरना धर्म कोड लागू किया जाए, जिस पर विचार करने के बाद आदिवासी सरना धर्म कोड का प्रस्ताव लाया गया है. यह उनकी भी मांग थी और इस पर मुख्यमंत्री ने विचार करते हुए यह प्रस्ताव लाया है.

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आदिवासियों की पहचान को लेकर प्रस्ताव भेजा गया केंद्र

विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि झारखंड पहला ऐसा राज्य है, जहां आदिवासियों की पहचान को लेकर प्रस्ताव को केंद्र में भेजने का काम किया गया है. इसी तरह से अन्य राज्यों में भी एक प्रस्ताव केंद्र को भेजेंगे, ताकि आदिवासियों को पहचान मिल सके. 2011 के जनगणना में 50 लाख आदिवासियों ने सरना धर्म लिख कर अपनी पहचान अंकित की थी. ऐसे में 2021 के जनगणना प्रपत्र में आदिवासियों के अधिकार को लेकर एक अलग से कोल्लम हो, इसे लेकर राज्य से प्रस्ताव पास कर भेजा गया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद कहा है कि इस को लेकर केंद्र सरकार से भी बातचीत की जाएगी.

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