रांची: पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के पांच मंत्रियों की संपत्ति की एसीबी से जांच के हेमंत सरकार के आदेश पर बहस छिड़ गई है. भाजपा का आरोप है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने ऊपर लगे गंभीर आरोपों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए भाजपा के पूर्व मंत्रियों को टारगेट किया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी अपनी संपत्ति की जांच करवानी चाहिए. तब लोगों को सही पिक्चर देखने को मिलता.
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दरअसल, साल 2020 में पंकज यादव नामक आरटीआई एक्टिविस्ट ने झारखंड हाई कोर्ट में पीआईएल दायर कर आरोप लगाया था कि पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, रणधीर सिंह, नीरा यादव, अमर बाउरी और लुईस मरांडी की संपत्ति में उनके कार्यकाल के दौरान एक हजार प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है. लिहाजा, इस मामले की जांच होनी चाहिए. हाई कोर्ट में दलील दी गई थी कि जब बंधु तिर्की की संपत्ति 126 अधिक मिलने पर एसीबी से जांच कराकर जेल भेजा गया था, फिर इन मंत्रियों ने तो बहुत ज्यादा संपत्ति अर्जित की है. इसी को आधार बनाकर राज्य सरकार ने पूरे मामले की एसीबी से जांच कराने का आदेश दिया है, जो बहस का मुद्दा बन गया है.
याचिका के मुताबिक पांचों पूर्व मंत्रियों ने 2014 और 2019 के चुनाव में संपत्ति का जो ब्यौरा दिया है, उसमें अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. अमर बाउरी की संपत्ति 7.33 लाख से बढ़कर 89.41 लाख हो गई. यानी 1120 प्रतिशत का इजाफा हुआ. रणधीर सिंह की संपत्ति 78.92 लाख से बढ़कर 5.06 करोड़ यानी 542 प्रतिशत बढ़ गई. नीरा यादव की संपत्ति 80.59 लाख से बढ़कर 3.65 करोड़ यानी 353 प्रतिशत बढ़ गई. लुइस मरांडी की संपत्ति 2.5 करोड़ से बढ़कर 3.65 करोड़ हो गई. उनकी संपत्ति में 303 प्रतिशत का इजाफा हुआ. वहीं नीलकंठ सिंह मुंडा की संपत्ति 1.46 करोड़ से 4.35 करोड़ यानी 199 प्रतिशत बढ़ गई.
अब सवाल है कि क्या सिर्फ पूर्वर्ती रघुवर सरकार के पांच मंत्रियों की ही संपत्ति में इजाफा हुआ है. झारखंड इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट पर नजर डालेंगे तो इसका जवाब मिल जाएगा. खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 2014 के चुनावी शपथ पत्र में अपनी संपत्ति 5 करोड़ बताई थी. लेकिन 2019 के चुनाव में उनकी संपत्ति 143 प्रतिशत के इजाफे के साथ 8 करोड़ की हो गई. झामुमो विधायक दशरथ गगराई की संपत्ति में 1,015 प्रतिशत का इजाफा हुआ. भाजपा विधायक नवीन जयसवाल की संपत्ति 106 प्रतिशत बढ़ गई. भाजपा विधायक राज सिन्हा की संपत्ति में 117 प्रतिशत का इजाफा हो गया. भाजपा विधायक जेपी पटेल की संपत्ति 112 प्रतिशत बढ़ गई. भाजपा विधायक ढुल्ली महतो की संपत्ति 1.43 करोड़ से बढ़कर 3.33 करोड़ हो गई. झामुमो विधायक निरल पूर्ति की संपत्ति 29 लाख से बढ़कर 1.75 करोड़ यानी 499 प्रतिशत बढ़ गई. कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी की संपत्ति में 100 फीसदी जबकि झामुमो विधायक जगरनाथ महतो की संपत्ति 227 प्रतिशत बढ़ गई.
संपत्ति में इजाफे का चौंकाने वाला प्रतिशत: सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि भाकपा माले विधायक रहे राजकुमार यादव ने 2014 में 22 लाख की संपत्ति का जिक्र किया था जो 2019 में 485 प्रतिशत इजाफे के साथ 1.33 करोड़ हो गया था. देवघर से भाजपा विधायक नारायण दास ने 2014 में 8 लाख की संपत्ति घोषित की थी, जो 2019 के चुनाव के वक्त 1,136 प्रतिशत हो गई. तमाड़ से झामुमो विधायक विकास मुंडा की संपत्ति 7 लाख से बढ़कर 51 लाख हो गई. उनकी संपत्ति में 631 प्रतिशत का इजाफा हुआ. जेवीएम की टिकट पर चक्रधरपुर से चुनाव लड़े शशीभूषण समद की संपत्ति में 744 प्रतिशत का इजाफा हुआ.
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सिर्फ चार विधायकों की संपत्ति हो गई कम: ऐसा नहीं है कि 2014 के बाद 2019 में चुनाव लड़ने वाले सभी माननीयों की संपत्ति दिन दुनी रात चौगुनी बढ़ी. कुछ की संपत्ति कम भी हुई. ऐसे सिर्फ चार माननीय थे. कोलेबिरा से कांग्रेस विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी की संपत्ति 40 प्रतिशत कम यानी 76 लाख से 46 लाख हो गई. बेरमा से भाजपा प्रत्य़ाशी योगेंद्र महतो की संपत्ति तीन करोड़ से एक करोड़, गढ़वा से भाजपा प्रत्याशी सत्येंद्र नाथ तिवारी की संपत्ति 5 करोड़ से 3 तीन करोड़ हो गई.