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मोहर्रम पर कोरोना का असर, राजधानी रांची में नहीं निकाले गए जुलूस - रांची में मोहर्रम पर कोरोना का असर

झारखंड में कोरोना का प्रकोप लगातार जारी है. इसे देखते हुए इस बार मोहर्रम के अवसर पर जुलूस नहीं निकाला गया. लोगों ने अपने-अपने घरों में ही फातिहा पढ़ी. इमामबाड़ा पर फातिहा पढ़कर रोशनी की गई, सभी ने अपने-अपने तरीके से गरीबों और जरूरतमंदों को खाना खिलाया.

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मोहर्रम पर कोरोना का असर
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Published : Aug 30, 2020, 4:36 PM IST

रांची: बुराई पर अच्छाई, इंसाफ और हक के लिए कर्बला की लड़ाई में शहीद हुए इमाम हसन हुसैन और 72 साथियों की याद में मनाया जाने वाला मोहर्रम का जुलूस इस बार राजधानी रांची में नहीं निकाला गया. कोरोना काल में सरकारी दिशा निर्देशों का अनुपालन करते हुए सभी कमिटी के खलीफा ने इस बार मोहर्रम का जुलूस नहीं निकालने का फैसला किया था. सभी ने मोहर्रम के अपने-अपने घरों में ही दुआ पढ़ी.

जानकारी देते इमाम

मोहर्रम के अवसर पर इमामबाड़ा पर फातिहा पढ़कर रोशनी की गई, सभी ने अपने-अपने तरीके से गरीबों और जरूरतमंदों को खाना खिलाया. इस खास दिन पर जुल्म के खिलाफ शहीद हुए हसन हुसैन और उनके साथियों के लिए दुआएं मांगी गई और आपसी भाईचारे के लिए कसमें खाई गई. सभी ने देश में चल रहे महामारी से निजात पाने के लिए भी दुआएं मांगी.

इसे भी पढे़ं:- कोरोना के मद्देनजर इस साल ताजिया के साथ नहीं निकलेगा जुलूस, दिए गए निर्देश

गौरतलब है कि मोहर्रम के दिन हर साल हजारों की संख्या में लोग जुलूस की शक्ल में सड़कों पर निकलते हैं और कर्बला की युद्ध में शहीदों के लिए श्रद्धांजलि देते हैं, इस बार कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के कारण जुलूस नहीं निकाला गया.

रांची: बुराई पर अच्छाई, इंसाफ और हक के लिए कर्बला की लड़ाई में शहीद हुए इमाम हसन हुसैन और 72 साथियों की याद में मनाया जाने वाला मोहर्रम का जुलूस इस बार राजधानी रांची में नहीं निकाला गया. कोरोना काल में सरकारी दिशा निर्देशों का अनुपालन करते हुए सभी कमिटी के खलीफा ने इस बार मोहर्रम का जुलूस नहीं निकालने का फैसला किया था. सभी ने मोहर्रम के अपने-अपने घरों में ही दुआ पढ़ी.

जानकारी देते इमाम

मोहर्रम के अवसर पर इमामबाड़ा पर फातिहा पढ़कर रोशनी की गई, सभी ने अपने-अपने तरीके से गरीबों और जरूरतमंदों को खाना खिलाया. इस खास दिन पर जुल्म के खिलाफ शहीद हुए हसन हुसैन और उनके साथियों के लिए दुआएं मांगी गई और आपसी भाईचारे के लिए कसमें खाई गई. सभी ने देश में चल रहे महामारी से निजात पाने के लिए भी दुआएं मांगी.

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गौरतलब है कि मोहर्रम के दिन हर साल हजारों की संख्या में लोग जुलूस की शक्ल में सड़कों पर निकलते हैं और कर्बला की युद्ध में शहीदों के लिए श्रद्धांजलि देते हैं, इस बार कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के कारण जुलूस नहीं निकाला गया.

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