रांची: राज्य में शराब बिक्री को लेकर झारखंड सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है जिसके बाद अब शराब की बिक्री में झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड का एकाधिकार नहीं होगा. कैबिनेट ने इस संबंध में एक नियमावली को मंजूरी दी है, जिसमें सूबे में अब 2010 के पहले जैसी व्यवस्था के तहत शराब बेची जाएगी. इसके साथ ही निजी कंपनियों और व्यवसायियों द्वारा शराब की ब्रिक्री का रास्ता भी साफ हो गया. झारखंड सरकार जल्द ही इस संबंध में अधिसूचना जारी करेगी.
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JSBCL के अस्तित्व पर संकट
2010 में जेएसबीसीएल का गठन किया गया था और उसे ही राज्य में थोक देसी और विदेशी शराब की बिक्री का विशेषाधिकार दिया गया था. सरकार के ताजा फैसले के बाद जेएसबीसीएल के अस्तित्व पर संकट छा गया है जिसका असर कांके रोड के उत्पाद भवन में स्थित जेएसबीसीएल दफ्तर में शनिवार को देखा गया.
इस फैसले के बाद JSBCL के कांट्रेक्ट कर्मी और आउटसोर्सिंग कर्मियों में मायूसी देखी गई. JSBCL में कांट्रेक्ट पर 62 और आउटसोर्सिंग पर 51 कर्मी राज्यभर में काम कर रहे हैं. इसके अलावा जेएसबीसीएल के मुख्य कार्यालय में प्रबंध निदेशक महाप्रबंधक के दो पद और इंस्पेक्टर के पद सृजित हैं.
क्या करता था JSBCL?
झारखंड में जेएसबीसीएल का मुख्य काम देसी और विदेशी शराब को थोक में लेकर खुदरा व्यवसायियों को बेचना है, जिस पर कमीशन के रूप में जेएसबीसीएल को ढाई फीसदी राजस्व प्राप्त होती थी. पिछले कुछ वर्षों में जेएसबीसीएल द्वारा संग्रहित राजस्व पर नजर दौड़ाएं तो इसके काम से सरकार को कितना फायदा हो रहा था पता चलता है.
2018-19 में 610.35 करोड़, 2019-20 में 1605.48 करोड़, 2020-21 में 1553.09 करोड़ और 2021-22 में अब तक 207.78 करोड़ का राजस्व संग्रह JSBCL ने किया है. लक्ष्य से अधिक राजस्व संग्रह होने के बावजूद राज्य सरकार ने जेएसबीसीएल के अधिकार क्षेत्र को खत्म करने का बड़ा फैसला लिया है.
इस फैसले से सरकार को उम्मीद है कि उत्पाद एवं मद्य निषेध में राजस्व की बढ़ोतरी होगी. इसके अलावा मंत्रिपरिषद ने विभिन्न प्रकार के शराब के लिए उत्पाद कर की दर में बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है. साथ ही मई 2020 में लगाए गए विशेष एक्साइज ड्यूटी को भी समाप्त कर दिया है.
सरकार के फैसले का क्या होगा असर?
जेएसबीसीएल के समाप्त होने के बाद राज्य में शराब की बिक्री निजी हाथों में होगी. इसके लिए टेंडर के माध्यम से हर जिले में थोक विक्रेता का चयन होगा जिससे सरकार को भारी भरकम राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है. खुदरा शराब व्यापारी उत्पाद विभाग से परमिट लेकर शराब थोक व्यापारी से खरीदेंगे.
वर्तमान में शराब की बोतल पर 75 फीसदी वैट है. इसके अलावा पेनल्टी होने पर व्यवसायियों को हर दिन 5% का जुर्माना देना पड़ता है. जिसकी गणना चक्रवृद्धि ब्याज के रूप में की जाती है. निजी हाथों में बिक्री जाने के बाद छोटे और बड़े व्यवसायी के बीच व्यवसायिक संबंधों पर पेनल्टी से मुक्ति मिल जायेगी.
इधर झारखंड खुदरा विक्रेता संघ ने कहा कि सरकार के इस फैसले से सभी पसोपेश में है. संघ अधिसूचना जारी होने का इंतजार कर रहा है. संघ के राज्य सचिव सुबोध जायसवाल ने आशंका जताई है कि कहीं इस फैसले से राज्य के बाहर के व्यवसायी ना हावी हो जाएं और यहां के छोटे व्यवसायी पीछे रह जाएं. वहीं शराब व्यवसायी वीरेन्द्र साहू की मानें तो निजी हाथों में देने से सरकार को भारी भरकम राजस्व तो जरूर मिलेगा मगर छोटे व्यवसायी को उतना लाभ नहीं होगा.
शराब की बिक्री निजी हाथों में देना उचित: बादल पत्रलेख
राजधानी रांची में 170 सरकारी शराब की दुकानें हैं जबकि राज्य भर में सरकारी शराब दुकानों की संख्या 1595 है. इन दुकानों से प्रतिदिन करीब 11 करोड़ की शराब बिक्री होती है. वित्तीय वर्ष 2020-21 की बात करें तो कोविड के बावजूद राज्य में देशी, विदेशी और कंपोजिट शराब की खपत बनी रही.
22 मार्च 2020 से 19 मई 2020 तक राज्य की सभी शराब दुकानें बंद थीं. इसके बावजूद 2300 करोड़ रुपये के सालाना लक्ष्य का पीछा करते हुए उत्पाद विभाग ने 31 मार्च तक भारी भरकम राशि पाने में सफल रहा है. कैबिनेट के फैसले को मंत्री बादल ने सही बताते हुए कहा है कि मजबूरी में कुछ ऐसे भी फैसले लिए जाते हैं जो राजस्व संग्रह की दृष्टि से उचित हों. अभी तो आपदा की घड़ी है जिसमें सरकार ने बहुत ही सोच समझकर यह फैसला लिया है.
बालू घाट की तरह शराब की भी लगने लगी बोली
दूसरी ओर व्यापारियों को चिंता सता रही है कि सरकार के फैसले के बाद निजी हाथों में शराब की बिक्री का हश्र बालू घाट जैसा ना हो जाए. झारखंड के बाहर की कंपनी ऊंची बोली लगाकर झारखंड के व्यवसायी के साथ नाइंसाफी ना कर दे. पैरवी और ऊंची पहुंच के बल पर हर जिले में शराब माफिया सक्रिय होने लगे हैं जिनका कनेक्शन दिल्ली, राजस्थान और मुम्बई से है. सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व शराब की बिक्री से ही प्राप्त होता है. ऐसे में सरकार ने राजस्व प्राप्ति के लिए न केवल शराब पर टैक्स बढ़ा रखा है बल्कि अब निजी हाथों में सौंपकर एक मुश्त पैसों का बंदोबस्त करने का फैसला लिया है.
सरकार के फैसले का बीजेपी ने किया विरोध
शराब पर सरकार के फैसले का बीजेपी ने विरोध किया है, नेता कुणाल षाडंगी ने सरकार पर शराब माफियाओं के दवाब में काम करने का आरोप लगाया, बीजेपी नेता ने कहा इससे कमीशन खोरी को बढ़ावा मिलेगा, कुणाल षाडंगी ने सरकार पर शराब माफिया पर ज्यादा भरोसा करने का आरोप लगाया और सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार की अपील की है.