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झारखंड में हर्बल डेयरी उद्योग शुरू करने की तैयारी, कृषि वैज्ञानिकों से मांगे सुझाव

झारखंड में किसानों को रोजगार से जोड़ने की दिशा में अब हर्बल डेयरी उद्योग लगाने की तैयारी की जा रही है. इस संबंध में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से सुझाव भी मांगे जा रहे हैं.

झारखंड में हर्बल डेयरी उद्योग
झारखंड में हर्बल डेयरी उद्योग
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Published : May 22, 2020, 12:32 PM IST

रांची: झारखंड राज्य में हर्बल डेयरी उद्योग लगाने की तैयारी की जा रही है. देसी गाय के पालन और जैविक फार्मिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह पहल की जा रही है. इसके साथ ही किसानों को रोजगार से जोड़ने की भी तैयारी की जा रही है. राज्य भर में लगभग 30 हजार किसान दूध उत्पादन से जुड़े हुए हैं, जिसको लेकर विभाग ने इस दिशा में प्रस्ताव बनाना शुरू कर दिया है.

पहले चरण की शुरुआत के लिए ओरमांझी में जगह भी चयनित की गई है. विभाग की ओर से बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा इस पर सुझाव दिया जा रहा है.

कृषि पशुपालन विभाग के मंत्री ने बताया कि राज्य में जैविक फार्मिंग को लेकर काफी संभावनाएं हैं. इसी को ध्यान में रखकर हर्बल डेयरी शुरू करने की योजना बनाई जा रही है, जिससे लोगों को बिना किसी रसायन युक्त दूध उत्पाद मिल सके और देसी नस्ल की गाय से मिलने वाले दूध के फायदे भी मिल सके.

यह भी पढ़ेंः रांचीः अग्निशमन मुख्यालय में लगी आग, कॉन्फ्रेंस रूम को नुकसान, शॉर्ट सर्किट से लगी आग

देसी नस्ल की गाय में साहीवाल, गीर, थारपारकर के अलावा अन्य नस्ल की गाय शामिल हैं. हर्बल डेयरी में दुधारू पशुओं को सिर्फ जैविक चारा खिलाया जाएगा.

हर्बल डायरी के जो भी मापदंड है उसके अनुसार पशुओं को जैविक खेती से उत्पादित चारा देने की अनिवार्यता होगी. साथ ही जो दूध उत्पाद होगा उसे प्राकृतिक रूप से ही पैकिंग कर बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा इसमें किसी भी प्रकार की प्रिजरवेटिव का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.

रांची: झारखंड राज्य में हर्बल डेयरी उद्योग लगाने की तैयारी की जा रही है. देसी गाय के पालन और जैविक फार्मिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह पहल की जा रही है. इसके साथ ही किसानों को रोजगार से जोड़ने की भी तैयारी की जा रही है. राज्य भर में लगभग 30 हजार किसान दूध उत्पादन से जुड़े हुए हैं, जिसको लेकर विभाग ने इस दिशा में प्रस्ताव बनाना शुरू कर दिया है.

पहले चरण की शुरुआत के लिए ओरमांझी में जगह भी चयनित की गई है. विभाग की ओर से बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा इस पर सुझाव दिया जा रहा है.

कृषि पशुपालन विभाग के मंत्री ने बताया कि राज्य में जैविक फार्मिंग को लेकर काफी संभावनाएं हैं. इसी को ध्यान में रखकर हर्बल डेयरी शुरू करने की योजना बनाई जा रही है, जिससे लोगों को बिना किसी रसायन युक्त दूध उत्पाद मिल सके और देसी नस्ल की गाय से मिलने वाले दूध के फायदे भी मिल सके.

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देसी नस्ल की गाय में साहीवाल, गीर, थारपारकर के अलावा अन्य नस्ल की गाय शामिल हैं. हर्बल डेयरी में दुधारू पशुओं को सिर्फ जैविक चारा खिलाया जाएगा.

हर्बल डायरी के जो भी मापदंड है उसके अनुसार पशुओं को जैविक खेती से उत्पादित चारा देने की अनिवार्यता होगी. साथ ही जो दूध उत्पाद होगा उसे प्राकृतिक रूप से ही पैकिंग कर बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा इसमें किसी भी प्रकार की प्रिजरवेटिव का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.

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