रांची: राज्य में पंचायत चुनाव पहेली बनकर रह गया है. राज्य सरकार लगातार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव शीघ्र होने की बात कहती रही है, इसके बाबजूद दिसंबर 2020 से पंचायत चुनाव नहीं हो पाया है. एक बार फिर ग्रामीण विकास सह पंचायती राज मंत्री आलमगीर आलम ने राज्य में पंचायत चुनाव अतिशीघ्र कराने की बात कही है. ईटीवी भारत द्वारा जब मंत्री जी से यह पूछा गया कि झारखंड राज्य निर्वाचन आयोग ने अनुशंसा भी भेजी है, इसके बाबजूद क्यों देरी हो रही है. जवाब में मंत्री जी ने कहा कि इसपर विचार किया जा रहा है और जल्द ही इसकी घोषणा की जायेगी. इधर विपक्षी दल भाजपा ने सरकार के द्वारा पंचायत चुनाव अब तक नहीं कराये जाने पर सवाल खड़ा किया है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल नाथ शाहदेव ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार जानबूझकर चुनाव नहीं कराना चाह रही है.
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राज्य निर्वाचन आयोग ने भेजा है प्रस्ताव
राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने की तैयारी पूरी कर ली गई है. राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव कराने के लिए प्रस्ताव तैयार कर सरकार से मार्च-अप्रैल और मई में तिथियों का निर्धारण कर चुनाव कराने का प्रस्ताव दिया है. वहीं 5 जनवरी को चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदाता सूची का विखंडन का काम राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पूरा कर लिया गया है. संशोधित मतदाता सूची में 6,42,928 मतदाता राज्य में बढे हैं. पंचायत चुनाव में कुल 2,44,73,937 वोटर भाग लेंगे जिसमें 1,26,13,219 पुरुष और 1,18,60,442 महिला और 276 थर्ड जेंडर हैं. 3,95,798 युवा वोटर पंचायत चुनाव में भाग लेंगे.
दिसंबर 2020 दिसंबर में होना था पंचायत चुनाव
झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव दिसंबर 2020 में होना था. कोरोना और राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद खाली होने के कारण चुनाव लटकता रहा. सरकार पंचायत के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को अब तक दो बार एक्सटेंशन देकर किसी तरह काम चला रही है. राज्य में 2010 में पहली बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हुए थे, उसके बाद 2015 में एक बार फिर गांव की सरकार बनी जिसमें राज्यभर में 4402 मुखिया, 545 जिला परिषद सदस्य, 5423 पंचायत समिति सदस्य, 54330 ग्राम पंचायत सदस्यों का निर्वाचन हुआ था.
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वर्तमान में झारखंड में कुल 32660 गांव हैं, जिसमें निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल दिसंबर 2020 में ही समाप्त हो चुका है. ऐसे में पंचायत चुनाव को लेकर जहां सियासत जारी है. वहीं, सरकार कोरोना के बहाने अब तक पंचायत चुनाव को टालती रही है. इधर पंचायत चुनाव नहीं होने से राज्य सरकार को अगले वित्तीय वर्ष 2022-23 में 15 वें वित्त आयोग से मिलनेवाली भारी भरकम राशि से हाथ धोना पड़ सकता है.