रांचीः सियासी संकट के बीच झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र 11 नवंबर (Jharkhand Assembly special session) को होगा. हेमंत सरकार द्वारा अचानक बुलाई गयी इस विशेष इस सत्र में 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति संबंधी विधेयक को पारित कराया जाएगा. इसको लेकर सियासत शुरू हो गई है. विशेष सत्र से ठीक एक दिन पहले 10 नवंबर को सत्तापक्ष और विपक्ष ने विधायक दल की बैठक बुलाई है, जिसमें रणनीति तय की जाएगी.
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झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में झारखंड में पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण वृद्धि संबंधी विधेयक को भी सदन में रखा जाएगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उपस्थिति में होने वाला यह विशेष सत्र हंगामेदार होने के आसार हैं. सदन में एक बार फिर सत्तापक्ष और विपक्ष आमने सामने होंगे. इधर विशेष सत्र को लेकर विधानसभा में तैयारी शुरू (special session of Jharkhand Legislative Assembly) हो गई हैं. विशेष सत्र को लेकर स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने कहा कि सदन की कार्यवाही तय समय पर शुरू होगी, जिसमें दोनों विधेयक पर सदन में चर्चा होगी.
विशेष सत्र से पहले सत्तापक्ष और विपक्ष की बैठकः 11 नवंबर को होने वाले इस विशेष सत्र के औचित्य पर अभी से सवाल उठने लगे हैं. विपक्षी दलों का मानना है कि सरकार को इतनी हड़बड़ी अचानक क्यों हो गई है, इसे पहले स्पष्ट करना चाहिए. इन सबके बीच विशेष सत्र के दौरान सदन में विपक्ष और सत्तापक्ष की अलग अलग बैठक 10 नवंबर को होंगे. बीजेपी प्रदेश कार्यालय में एनडीए विधायक दल की बैठक बुलाई गई है जबकि सीएम आवास पर यूपीए विधायक दल की बैठक होगी. विपक्ष के रुख से स्पष्ट है कि सदन में सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी. बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि 10 नवंबर की बैठक में पूरी रणनीति बनेगी. इधर आजसू ने 1932 खतियान आधारित स्थानीयता और ओबीसी आरक्षण पर सरकार द्वारा लिए गए निर्णय को मजबूरी में उठाया गया कदम बताते हुए सदन में इसका विरोध करने का निर्णय लिया है.