रांचीः झारखंड में गांव की सरकार अधिकारियों के भरोसे चल रही है. लाख कोशिशों के बावजूद राज्य में पंचायत चुनाव फिलहाल होने की संभावना नहीं दिख रही है. त्रिस्तरीय पंचायतों के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद सरकार ने गांव को सरकारी अधिकारियों के भरोसे छोड़ा है.
वहीं काफी जद्दोजहद के बाद कई महीनों से खाली पड़े राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर पूर्व मुख्य सचिव डी के तिवारी की पोस्टिंग तो हो गई, लेकिन आयोग में अन्य पद आज भी खाली पड़े हैं. आयोग में सचिव से लेकर अन्य अधिकारी और कर्मियों की भारी कमी है. पद संभालने के बाद राज्य निर्वाचन आयुक्त डी के तिवारी ने पंचायत चुनाव की तैयारी तो शुरू कर दी, लेकिन कर्मियों की कमी और सरकार की हरी झंडी मिलने तक पंचायत चुनाव कराना संभव नहीं दिख रहा है.
इसे भी पढ़ें- पंचायत चुनाव की सुगबुगाहटः जमशेदपुर में मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने की तैयारियां की समीक्षा
अभी तक नहीं मिला है आयोग को नई वोटर लिस्ट
पंचायत चुनाव भारत निर्वाचन आयोग की ओर से इस वर्ष प्रकाशित वोटर लिस्ट के आधार पर होना है. राज्य निर्वाचन आयोग को अब तक नई वोटर लिस्ट नहीं मिली है. भारत निर्वाचन आयोग की नई वोटरलिस्ट के आधार पर वार्ड, पंचायत और जिला परिषद क्षेत्र के लिए मतदाता सूची तैयार की जाती है.
उसके बाद वार्डों का पुर्नगठन किया जाना है. राज्य निर्वाचन आयोग ने सरकार से पंचायत चुनाव को लेकर एक समीक्षा बैठक बुलाने का आग्रह किया है. राज्य निर्वाचन आयुक्त डी के तिवारी ने कहा कि प्रक्रिया पूरी होने में वक्त लगेगा इसलिए एक दो महीनों में निर्वाचन कार्य संभव नहीं है. राज्य निर्वाचन आयुक्त ने बरसात के बाद और फेस्टिवल महीने से पहले सभी तैयारी होने पर पंचायत चुनाव होने की संभावना जताई है. 2015 में राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हुए थे, जिसका कार्यकाल पूरा हो गया है.
2015 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव
2015 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के अनुसार राज्य में मुखिया के 4402, जिला परिषद सदस्य के 545, पंचायत समिति सदस्य के 5,423, ग्राम पंचायत सदस्य के 54,330 पदों के लिए चुनाव हुए थे. इन पदों के लिए फिर से निर्धारण किया जा रहा है, जिसमें इनकी संख्या में बदलाव होने की संभावना है. इसके अलावा संवैधानिक प्रावधानों के तहत इन पदों के लिए चक्रीय आरक्षण भी लागू होगा. ये सारी प्रक्रिया पूरी होने में कम से कम 4 से 5 महीने लगेगा.