रांची: 15 नवंबर 2000 को झारखंड गठन के बाद से हर साल 22 नवंबर को विधानसभा के स्थापना दिवस को मनाने की परंपरा चली आ रही है. इस दिन को खास बनाने के लिए विधानसभा भवन को दुल्हन की तरह सजाया जाता है. इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते रहे हैं. लेकिन साल 2020 में कोरोना संक्रमण के कारण सागदी के साथ कार्यक्रम आयोजित हुआ था.
पिछले साल शिकारीपाड़ा से झामुमो विधायक नलीन सोरेन को बिरसा मुंडा उत्कृष्ट विधायक सम्मान से नवाजा गया था. अब सवाल है कि क्या इस बार भव्य तरीके से विधानसभा का स्थापना दिवस समारोह मनाया जाएगा. ईटीवी भारत को मिली जानकारी के मुताबिक इस बार भी सादगी के साथ ही स्थापना दिवस मनाने की तैयारी की गई है. बाहर से कलाकार को आमंत्रित नहीं किया गया है. झारखंड के स्थानीय कलाकार ही सांस्कृतिक कार्यक्रम में समां बांधेंगे.
पहली बार बतौर राज्यपाल रमेश बैस विधानसभा के स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे. इस मौके पर उनका संबोधन होगा. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो और संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम के अलावा तमाम मंत्री, विधायक, पूर्व विधायक समेत गणमान्य शामिल होंगे. स्थापना दिवस समारोह के दौरान सबकी नजर हर साल चयनित होने वाले बिरसा मुंडा उत्कृष्ठ विधायक पर रहेगी.
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जानकारी के मुताबिक 22 नवंबर से पहले स्पीकर की अध्यक्षता में विधायी उत्कृष्टता पुरस्कार चयन समिति की बैठक में विधायक के नाम पर मुहर लगेगी. साथ ही उत्कृष्ट सेवा के लिए विधानसभा के पांच कर्मियों का भी चयन होगा. इन सभी को राज्यपाल के हाथों सम्मानित किया जाएगा. फिलहाल, झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष शिमला स्थित हिमाचल प्रदेश विधानसभा में अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के 82वें सम्मेलन में शिरकत करने गये हैं.
झारखंड के उत्कृष्ट विधायकों की सूची
राज्य बनने के बाद से अबतक 17 विधायकों को उत्कृष्ट विधायक सम्मान से नवाजा गया है. 2001 में इस सम्मान को पाने वाले पहले विधायक बने थे. 2002 में हेमलाल मुर्मू, 2003 में राजेंद्र प्रसाद सिंह, 2004 में लोकनाथ महतो, 2005 में अन्नपूर्णा देवी, 2006 में राधाकृष्ण किशोर, 2007 में पशुपति नाथ सिंह, 2008 में इंदर सिंह नामधारी, 2010 में जनार्दन पासवान, 2011 में माधव लाल सिंह, 2012 में रघुवर दास, 2013 में लोबिन हेंब्रम, 2015में प्रदीप यादव, 2016 में स्टीफन मरांडी, 2017 में विमला प्रधान, 2018 में मेनका सरदार और 2020 में नलीन सोरेन सम्मानित किए गये हैं.