रांचीः वर्ष 2016 के राज्यसभा चुनाव में हुए हॉर्स ट्रेडिंग का मामला अब गरमा गया है. हॉर्स ट्रेडिंग मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता और प्रेस सलाहकार अजय कुमार के खिलाफ पीसी एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है, तो दूसरी तरफ वोटरों को प्रभावित करने के मामले में रांची और पलामू पुलिस की भूमिका की भी जांच की जाएगी.
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कैसे सवालों के घेरे में पुलिस
मामले की जांच में लगी पुलिस की टीम ने पूर्व विधायक बिट्टू सिंह का बयान भी लिया है. बिट्टू सिंह ने पुलिस को बताया है कि चुनाव के ठीक पहले उनके खिलाफ 9 मार्च 2016 को पलामू के तरहसी थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. राज्यसभा चुनाव के 3 दिन पहले पलामू पुलिस ने उनके यहां छापेमारी भी की, जिससे बचने के लिए छुप गए और मोबाइल भी बंद कर दिया.
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इससे राज्यसभा चुनाव में अपना वोट नहीं डाल पाए. पूर्व विधायक बिट्टू सिंह के बयान के बाद सीआईडी एडीजी ने केस के अनुसंधान कर रहे अधिकारी को आदेश दिया है कि केस डायरी की गहनता से अध्ययन करें. यह भी जांच करने का निर्देश दिया है कि केस दर्ज करने के पीछे क्या वैध कारण थे और वैध कारणों से केस की जांच बंद कर दी गई. रांची पुलिस को आदेश दिया गया कि अनुसंधानकर्ता इस कांड में बरती गई त्रुटियों को चिन्हित करें, यह मामला चुनाव में विधायकों को प्रभावित करने से जुड़ा हो सकता है.
चमरा लिंडा मामले में रांची पुलिस करेगी जांच
दूसरी तरफ विधायक चमरा लिंडा भी वोट नहीं डाल पाए थे. उन्होंने भी जगन्नाथपुर थाने में दर्ज केस में गिरफ्तारी व अस्पताल में भर्ती होने की वजह से वोट न देने की बात बयान में कही थी. पुलिस यह जांच करेगी कि किस परिस्थितियों में चमरा लिंडा का वारंट लिया गया, क्या उस समय चमरा लिंडा के खिलाफ पुलिस के पास सभी सबूत मौजूद थे. वहीं, पुलिस यह भी जांच करेगी कि वर्तमान समय में उस केस की क्या स्थिति है, जिस मामले में चमरा लिंडा की गिरफ्तारी हुई थी.
एक भी विधायक वोट देता हो नहीं हारते बसंत
राज्यसभा चुनाव 2016 में कांग्रेस के डालटनगंज के तत्कालीन विधायक देवेंद्र सिंह उर्फ बिट्टू सिंह और विशुनपुर के झामुमो विधायक चमरा लिंडा ने राज्यसभा की वोटिंग प्रक्रिया में भाग नहीं लिया था. इससे यूपीए समर्थित झामुमो प्रत्याशी बसंत सोरेन चुनाव हार गए थे. इस चुनाव में भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी और महेश पोद्दार चुनाव जीत गए थे.