ETV Bharat / state

अधिक कोविड इम्युनिटी भी घातक, बच्चों में MIS-C का रहता है खतरा, झारखंड में अलर्ट

झारखंड में पोस्ट कोविड बीमारी MIS-C ( post covid disease MIS-C) का खतरा मंडरा रहा है. इसके लिए स्वास्थ्य महकमे ने अलर्ट जारी किया है. इस बीमारी की प्रमुख वजह कोविड के प्रति अधिक इम्युनिटी का विकसित होना है. इस बीमारी को लेकर रांची के सिविल सर्जन और प्रख्यात शिशु रोग विशेषज्ञ ने ETV BHARAT से खास बातचीत की. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

vinod kumar
रांची के सिविल सर्जन डॉक्टर विनोद कुमार
author img

By

Published : Sep 5, 2021, 1:15 PM IST

Updated : Sep 5, 2021, 1:48 PM IST

रांचीः कोरोना का पोस्ट कोविड इफेक्ट ( post covid disease MIS-C) अब चिंता का सबब बनता जा रहा है. इसका सबसे खराब असर बच्चों पर पड़ता नजर आ रहा है. आसपास कोरोना हिस्ट्री वाले लोगों के कारण कई बच्चों में अधिक इम्युनिटी विकसित हो रही है, जिसके कारण शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है. नतीजतन पोस्ट कोविड बीमारी MIS-C हो रही है. पटना के AIIMS में एक 11 साल की बच्ची की मौत के बाद झारखंड में भी स्वास्थ्य महकमा अलर्ट हो गया है. स्वास्थ्य महकमे ने रांची सदर अस्पताल और रिम्स प्रबंधन को MIS-C यानी मल्टी ऑर्गन इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम के इलाज की पूरी तैयारी कर लेने की हिदायत दी है.

ये भी पढ़ें-कोरोना को किया परास्त, लेकिन अब परेशान कर रहा है डायबिटीज!


MIS-C क्यों है चर्चा में

कोरोना संक्रमण के घटते मामले के बीच पोस्ट कोविड बीमारी एमआईएस सी (MIS-C) यानि मल्टी ऑर्गन इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम हालात बिगाड़ने लगी है. बिहार के पटना एम्स में MIS-C से संदिग्ध एक बच्ची की मौत के बाद यह बीमारी चर्चा में आ गई है.

देखें पूरी खबर
क्या है MIS-C
MIS-C 18 साल तक के उन बच्चों में होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है जो या तो कोरोना संक्रामितों के साथ रहते हैं या फिर जिन्हें कोरोना का संक्रमण हो चुका होता है. रांची के सिविल सर्जन डॉ. विनोद कुमार के अनुसार ऐसे बच्चों के शरीर मे कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबाडी अधिक बनने लगती है, कई दफा यह एंटीबाडी इतनी ज्यादा हो जाती है कि यह अपने ही शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों को डैमेज करने लगती है.


कितनी खतरनाक है MIS-C

सिविल सर्जन डॉक्टर विनोद कुमार ने बताया कि MIS-C एक इम्यूनो रिएक्शन डिजीज है और जब शरीर में उत्पन्न एंटीबॉडी आउट ऑफ कंट्रोल हो जाती है तो अपने ही शरीर के अंगों को प्रभावित करने लगती है. यह बीमारी बच्चों के हार्ट, लीवर, किडनी, आंख और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित करती है जिसके चलते यह घातक हो जाती है.


ये भी पढ़ें-कोविड-19 महामारी के दौरान वजन बढ़ने से मधुमेह का खतरा बढ़ा : अध्ययन


क्या हैं MIS-C के लक्षण

सिविल सर्जन का कहना है कि MIS-C ज्यादातर उन बच्चों को होती है जो कोरोना संक्रमितों के आसपास जाने अनजाने रहते हैं. ऐसे बच्चों में कोरोना वायरस का संक्रमण तो होता है पर शरीर की मजबूत प्रतिरोधक क्षमता के चलते कोई खास लक्षण तब दिखाई नहीं देता है. कभी-कभी ऐसे बच्चों में एंटीबाडी इतनी ज्यादा बन जाती है कि 02 सप्ताह से 02 महीने बाद वह इनके ही शरीर के कई भागों को प्रभावित करने लगती है. इसके चलते बच्चों के शरीर का तापमान 101 डिग्री फॉरेनहाइट से ऊपर चला जाता है, जबकि आंखें लाल हो जाती है. शरीर पर दाने,पेट में दर्द, उल्टी, हाथ पैर में सूजन और डायरिया जैसे लक्षण भी उभरते हैं.


ऐसे में डॉक्टर से परामर्श जरूरी

MIS-C के लक्षण अन्य बीमारियों के लक्षण से मिलते हैं. ऐसे में अगर बच्चों में बुखार 3 दिन से ज्यादा दिनों तक रहे तो बच्चों के माता-पिता को डॉक्टर से MIS-C को लेकर बात करनी चाहिए और जांच करानी चाहिए. रांची के सिविल सर्जन डॉक्टर विनोद कुमार कहते हैं कि यह बीमारी काफी घातक है पर अगर सही समय पर बीमारी की पहचान हो जाए तो यह बीमारी पूरी तरह क्यूरेबल है.


इलाज महंगा पर आयुष्मान भारत योजना का ले सकते हैं लाभ

सिविल सर्जन डॉ. विनोद कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल और रिम्स में MIS-C के इलाज की बेहतर व्यवस्था है. इस बीमारी का इलाज महंगा है लेकिन राहत की बात यह है कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना या आयुष्मान के तहत आने वाले लोगों के लिए अस्पताल में फ्री इलाज की व्यवस्था है.

रांचीः कोरोना का पोस्ट कोविड इफेक्ट ( post covid disease MIS-C) अब चिंता का सबब बनता जा रहा है. इसका सबसे खराब असर बच्चों पर पड़ता नजर आ रहा है. आसपास कोरोना हिस्ट्री वाले लोगों के कारण कई बच्चों में अधिक इम्युनिटी विकसित हो रही है, जिसके कारण शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है. नतीजतन पोस्ट कोविड बीमारी MIS-C हो रही है. पटना के AIIMS में एक 11 साल की बच्ची की मौत के बाद झारखंड में भी स्वास्थ्य महकमा अलर्ट हो गया है. स्वास्थ्य महकमे ने रांची सदर अस्पताल और रिम्स प्रबंधन को MIS-C यानी मल्टी ऑर्गन इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम के इलाज की पूरी तैयारी कर लेने की हिदायत दी है.

ये भी पढ़ें-कोरोना को किया परास्त, लेकिन अब परेशान कर रहा है डायबिटीज!


MIS-C क्यों है चर्चा में

कोरोना संक्रमण के घटते मामले के बीच पोस्ट कोविड बीमारी एमआईएस सी (MIS-C) यानि मल्टी ऑर्गन इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम हालात बिगाड़ने लगी है. बिहार के पटना एम्स में MIS-C से संदिग्ध एक बच्ची की मौत के बाद यह बीमारी चर्चा में आ गई है.

देखें पूरी खबर
क्या है MIS-C
MIS-C 18 साल तक के उन बच्चों में होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है जो या तो कोरोना संक्रामितों के साथ रहते हैं या फिर जिन्हें कोरोना का संक्रमण हो चुका होता है. रांची के सिविल सर्जन डॉ. विनोद कुमार के अनुसार ऐसे बच्चों के शरीर मे कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबाडी अधिक बनने लगती है, कई दफा यह एंटीबाडी इतनी ज्यादा हो जाती है कि यह अपने ही शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों को डैमेज करने लगती है.


कितनी खतरनाक है MIS-C

सिविल सर्जन डॉक्टर विनोद कुमार ने बताया कि MIS-C एक इम्यूनो रिएक्शन डिजीज है और जब शरीर में उत्पन्न एंटीबॉडी आउट ऑफ कंट्रोल हो जाती है तो अपने ही शरीर के अंगों को प्रभावित करने लगती है. यह बीमारी बच्चों के हार्ट, लीवर, किडनी, आंख और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित करती है जिसके चलते यह घातक हो जाती है.


ये भी पढ़ें-कोविड-19 महामारी के दौरान वजन बढ़ने से मधुमेह का खतरा बढ़ा : अध्ययन


क्या हैं MIS-C के लक्षण

सिविल सर्जन का कहना है कि MIS-C ज्यादातर उन बच्चों को होती है जो कोरोना संक्रमितों के आसपास जाने अनजाने रहते हैं. ऐसे बच्चों में कोरोना वायरस का संक्रमण तो होता है पर शरीर की मजबूत प्रतिरोधक क्षमता के चलते कोई खास लक्षण तब दिखाई नहीं देता है. कभी-कभी ऐसे बच्चों में एंटीबाडी इतनी ज्यादा बन जाती है कि 02 सप्ताह से 02 महीने बाद वह इनके ही शरीर के कई भागों को प्रभावित करने लगती है. इसके चलते बच्चों के शरीर का तापमान 101 डिग्री फॉरेनहाइट से ऊपर चला जाता है, जबकि आंखें लाल हो जाती है. शरीर पर दाने,पेट में दर्द, उल्टी, हाथ पैर में सूजन और डायरिया जैसे लक्षण भी उभरते हैं.


ऐसे में डॉक्टर से परामर्श जरूरी

MIS-C के लक्षण अन्य बीमारियों के लक्षण से मिलते हैं. ऐसे में अगर बच्चों में बुखार 3 दिन से ज्यादा दिनों तक रहे तो बच्चों के माता-पिता को डॉक्टर से MIS-C को लेकर बात करनी चाहिए और जांच करानी चाहिए. रांची के सिविल सर्जन डॉक्टर विनोद कुमार कहते हैं कि यह बीमारी काफी घातक है पर अगर सही समय पर बीमारी की पहचान हो जाए तो यह बीमारी पूरी तरह क्यूरेबल है.


इलाज महंगा पर आयुष्मान भारत योजना का ले सकते हैं लाभ

सिविल सर्जन डॉ. विनोद कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल और रिम्स में MIS-C के इलाज की बेहतर व्यवस्था है. इस बीमारी का इलाज महंगा है लेकिन राहत की बात यह है कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना या आयुष्मान के तहत आने वाले लोगों के लिए अस्पताल में फ्री इलाज की व्यवस्था है.

Last Updated : Sep 5, 2021, 1:48 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.