रांची: आदिवासी के नाम पर बिहार से अलग हुए झारखंड को 20 साल हो गए, लेकिन आज भी यह राज्य सरकारी सुविधाओं से वंचित है. अब जंगल में रहने वाली आदिवासी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का वीरा झालसा ने उठाया है. इन महिलाओं को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए झालसा ने एक कार्यक्रम चलाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की शुरुआत कर दी है.
मुख्यधारा से जोड़ने की तैयारी
झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (झालसा) के कार्यकारी अध्यक्ष व न्यायाधीश हरीश चंद्र मिश्रा के आदेश पर राज्य के सभी जिलों में आदिवासी महिलाएं, जो मुख्यधारा से अलग हैं, उन्हें इससे जोड़कर सरकार की ओर से चलाए जाने वाले सभी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए सभी जिले में एक टीम गठित की गई है. यह टीम जिला लीगल सर्विस अथॉरिटी के तहत बनाई गई है. पीएलबी के माध्यम से ऐसे महिलाओं को चिन्हित किया जाएगा.
ये भी पढ़ें-खतरे में पहाड़ी मंदिर का अस्तित्व, तिरंगा पोल के चलते दरक रही है पहाड़ी
झारखंड लीगल सर्विस अथॉरिटी के सदस्य सचिव मो. शाकिर ने बताया कि जंगलों और सुदूर इलाकों में रहने वाली आदिवासी महिलाओं को चिन्हित किया जाएगा. चिन्हित किए गए सभी आदिवासी महिलाओं को लघु उद्योग और स्थानीय रोजगार दिलाया जाएगा. इसके लिए उन महिलाओं को ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके उपरांत उसे रोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा, ताकि वह मुख्यधारा से जुड़ें और अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें.