रांची: झारखंड में नौकरी के लिए पढ़े-लिखे नौजवान मारे-मारे फिर रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि राज्य में बेरोजगारी का क्या हाल है. 15 नवंबर 2023 तक के डाटा के मुताबिक नियोजनालयों में 7.74 लाख युवक युवतियों ने रजिस्ट्रेशन करा रखा है. इनको रोजगार दिलाने के लिए राज्य सरकार ने झारखंड राज्य के निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन अधिनियम 2021 को विधानसभा से पारित कराया था. सरकार ने दावा किया था कि 40 हजार रुपए वेतनमान तक की 75 प्रतिशत सीटों पर स्थानीयों को नियोजन मिलेगा. इसके लिए नियमावली 2022 भी बनाई गयी. खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 17 मार्च 2023 को झारनियोजन पोर्टल का उद्घाटन भी किया था.
लेकिन निजी कंपनियों में नियोजन को लेकर आए आंकड़े चौंकाने वाले हैं. इस सवाल को कांग्रेस की विधायक दीपिका पांडेय सिंह और उमाशंकर अकेला ने उठाया था. श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग ने जो जानकारी दी है, उससे साफ लगता है कि राज्य में निजी कंपनियां ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर नौकरी दे रहीं हैं. अबतक सिर्फ 6,596 नियोजकों ने निबंधन कराया है. इन कंपनियों ने 10,627 पोस्ट की डिमांड दी है. इसकी तुलना में 11,030 युवक-युवतियों को ऑफर लेटर दिया गया है. लेकिन सिर्फ 6,047 बेरोजगारों ने ही नौकरी ज्वाइन की है.
निजी कंपनियों पर सख्ती का हाल: सरकार ने स्पष्ट कर रखा है कि 75 प्रतिशत आरक्षण वाले नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इसको लेकर विभाग की ओर से अब 2,420 नियोजकों को नोटिस जारी हुआ है. इनमें से 134 नियोजक नियम की अवहेलना करते पाए गये हैं. इनसे बतौर जुर्माना 10.50 लाख रुपए वसूले जा चुके हैं. खास बात है कि आज की तारीख तक निजी कंपनियों में सिर्फ 49 पद रिक्त पड़े हैं. इन्हें हासिल करने के लिए निबंधित बेरोजगार युवक-युवतियां आवेदन दे सकते हैं. इससे साफ है कि सरकार की यह प्लान उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहा है.
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