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MGNREGA Scheme IN Jharkhand: मनरेगा में मजदूरों की संख्या में कमी! कांग्रेस ने केंद्र सरकार को बताया जिम्मेदार

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Published : Feb 12, 2023, 1:49 PM IST

100 दिनों की रोजगार की गारंटी देने वाली योजना मनरेगा का झारखंड में बुरा हाल है. लोगों को पहले के मुकाबले काम कम मिल रहा है. इसको लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. वहीं मजदूरों को कई माह से मजदूरी भी नहीं मिली है. इस कारण लोगों को परेशानी हो रही है.

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रांची: झारखंड में मनरेगा के तहत रोजगार पाने वाले लोगों की संख्या में पिछले चार माह में काफी कमी आयी है. एक समय में रिकॉर्ड आठ लाख लोग मनरेगा के तहत राज्य में रोजगार पा रहे थे. औसतन भी देखें तो झारखंड में पांच-साढ़े पांच लाख लोग रोजगार की गारंटी देने वाली योजना मनरेगा से जुड़े होते थे, लेकिन अब यह संख्या घटकर चार लाख से भी नीचे आ गई है.

ये भी पढे़ं-झारखंड में मनरेगा मजदूरों को नहीं मिल रहा काम, जॉब की तलाश में भटक रहे इधर-उधर

मनरेगा के तहत काम करने वालों की संख्या में कमी का असर जहां रोजगार पर पड़ा है, वहीं मनरेगा के तहत चलने वाली योजनाओं पर भी इसका असर पड़ रहा है. बड़ी संख्या में बेरोजगारी का दंश झेल रहे राज्य में मनरेगा की खस्ताहाल स्थिति को बेहतर बनाने की जगह सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच यह भी राजनीति करने का एक बड़ा और सर्वप्रिय मुद्दा बन कर रह गया है.

तीन माह से अधिक समय से मनरेगा मजदूरी का नहीं हुआ भुगतान: राजनीतिक दलों के आरोप-प्रत्यारोप के बीच एक सच्चाई यह है कि मनरेगा मजदूरों को उनके काम के बदले मिलने वाली मजदूरी भी महीनों पेंडिंग है. इस वजह से मजदूरों का आकर्षण मनरेगा को लेकर कम हो रहा है. ग्रामीण विकास विभाग इसके लिए भारत सरकार से पैसा नहीं मिलने की बात कहता है तो भाजपा के नेता इसे बेबुनियाद करार देते हैं. मनरेगा के इसी राजनीति के बीच पिस रहे मनरेगा मजदूर मनरेगा के तहत काम करने की जगह कोई और काम करना पसंद कर रहे हैं. नतीजा यह हुआ कि इस योजना में काम करनेवाले मजदूरों की संख्या कम होती गई.

कांग्रेस ने मनरेगा के खस्ताहाल स्थिति के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार बतायाः राज्य में मनरेगा के तहत काम करने वाले लोगों की संख्या में भारी कमी आयी है. उनके बकाया मजदूरी के सवाल ओर कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि केंद्र सरकार की वजह से यह हुआ है. केंद्र हमारा हक नहीं दे रहा और हम पर ही आरोप लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि दरअसल भाजपा राज्य में सरकार की बढ़ती लोकप्रियता से विचलित हो गई है. इसलिए जानबूझ कर ऐसा करती है कि राज्य सरकार की बदनामी हो.

मनरेगा में अनियमितता और घपले-घोटाले न हो इसलिए केंद्र कर रहा है कड़ाई: राज्य में मनरेगा के तहत काम करने वाले लोगों की संख्या में भारी गिरावट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य कमाल खान ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से राज्य में मनरेगा की योजनाओं में घपले-घोटाले हो रहे थे, उस पर नियंत्रण लगाने के लिए कड़ाई किया गया है. भाजपा नेता ने कहा कि पीएम मोदी का वाक्य है 'न खाएंगे, न खाने देंगे और जो खाएगा उसके पेट में से निकाल लेंगे'. कमाल खान ने कहा कि मनरेगा के तहत काम करनेवालों की संख्या नहीं घटी है, बल्कि गड़बड़ी रोकी गई है, जिसका यह असर है. उन्होंने कहा कि केंद्र मनरेगा के तहत पैसा भरपूर देगी, लेकिन गड़बड़ी नहीं होने देगी. इस दौरान उन्होंने निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल का भी जिक्र किया.

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रांची: झारखंड में मनरेगा के तहत रोजगार पाने वाले लोगों की संख्या में पिछले चार माह में काफी कमी आयी है. एक समय में रिकॉर्ड आठ लाख लोग मनरेगा के तहत राज्य में रोजगार पा रहे थे. औसतन भी देखें तो झारखंड में पांच-साढ़े पांच लाख लोग रोजगार की गारंटी देने वाली योजना मनरेगा से जुड़े होते थे, लेकिन अब यह संख्या घटकर चार लाख से भी नीचे आ गई है.

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मनरेगा के तहत काम करने वालों की संख्या में कमी का असर जहां रोजगार पर पड़ा है, वहीं मनरेगा के तहत चलने वाली योजनाओं पर भी इसका असर पड़ रहा है. बड़ी संख्या में बेरोजगारी का दंश झेल रहे राज्य में मनरेगा की खस्ताहाल स्थिति को बेहतर बनाने की जगह सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच यह भी राजनीति करने का एक बड़ा और सर्वप्रिय मुद्दा बन कर रह गया है.

तीन माह से अधिक समय से मनरेगा मजदूरी का नहीं हुआ भुगतान: राजनीतिक दलों के आरोप-प्रत्यारोप के बीच एक सच्चाई यह है कि मनरेगा मजदूरों को उनके काम के बदले मिलने वाली मजदूरी भी महीनों पेंडिंग है. इस वजह से मजदूरों का आकर्षण मनरेगा को लेकर कम हो रहा है. ग्रामीण विकास विभाग इसके लिए भारत सरकार से पैसा नहीं मिलने की बात कहता है तो भाजपा के नेता इसे बेबुनियाद करार देते हैं. मनरेगा के इसी राजनीति के बीच पिस रहे मनरेगा मजदूर मनरेगा के तहत काम करने की जगह कोई और काम करना पसंद कर रहे हैं. नतीजा यह हुआ कि इस योजना में काम करनेवाले मजदूरों की संख्या कम होती गई.

कांग्रेस ने मनरेगा के खस्ताहाल स्थिति के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार बतायाः राज्य में मनरेगा के तहत काम करने वाले लोगों की संख्या में भारी कमी आयी है. उनके बकाया मजदूरी के सवाल ओर कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि केंद्र सरकार की वजह से यह हुआ है. केंद्र हमारा हक नहीं दे रहा और हम पर ही आरोप लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि दरअसल भाजपा राज्य में सरकार की बढ़ती लोकप्रियता से विचलित हो गई है. इसलिए जानबूझ कर ऐसा करती है कि राज्य सरकार की बदनामी हो.

मनरेगा में अनियमितता और घपले-घोटाले न हो इसलिए केंद्र कर रहा है कड़ाई: राज्य में मनरेगा के तहत काम करने वाले लोगों की संख्या में भारी गिरावट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य कमाल खान ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से राज्य में मनरेगा की योजनाओं में घपले-घोटाले हो रहे थे, उस पर नियंत्रण लगाने के लिए कड़ाई किया गया है. भाजपा नेता ने कहा कि पीएम मोदी का वाक्य है 'न खाएंगे, न खाने देंगे और जो खाएगा उसके पेट में से निकाल लेंगे'. कमाल खान ने कहा कि मनरेगा के तहत काम करनेवालों की संख्या नहीं घटी है, बल्कि गड़बड़ी रोकी गई है, जिसका यह असर है. उन्होंने कहा कि केंद्र मनरेगा के तहत पैसा भरपूर देगी, लेकिन गड़बड़ी नहीं होने देगी. इस दौरान उन्होंने निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल का भी जिक्र किया.

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