रांची: दुमका में मयूराक्षी नदी पर बने पुल के नाम पर सियासत शुरू हो गई है. सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस पुल का उद्घाटन करते हुए इसका नाम दिशोम गुरु शिबू सोरेन सेतू रखे जाने की घोषणा की थी. इसके बाद इस पुल के नाम पर राजनीति शुरू हो गई है.
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प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने मयूराक्षी नदी पर बने राज्य के सबसे लंबे पुल का नाम स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम योद्धा में से एक बाबा तिलका मांझी के नाम पर रखने की मांग की है. भाजपा प्रदेश कार्यालय में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि बाबा तिलका मांझी के नाम पर इस पुल का नाम रखे जाने से उन्हें श्रद्धांजलि देने का काम किया जाएगा. बाबा तिलका मांझी ने 1784 में आजादी का झंडा बुलंद किया था और तत्कालीन ब्रिटिश कमिश्नर अगस्तस क्लेवलैंड की गुलेल और तीर से मारकर हत्या कर उलगुलान की शुरुआत की थी.
कब तक भाजपा सरकार के समय शुरू की गई योजना का मुख्यमंत्री लेते रहेंगे श्रेय-प्रतुलः मयुराक्षी नदी पर बने पुल के नामकरण के अलावे इसका श्रेय लेने की भी होड़ मच गई है. हेमंत सोरेन के द्वारा पुल का उद्घाटन किए जाने के बाद भाजपा ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि मयूराक्षी नदी पर बने पुल का टेंडर 1 सितंबर 2017 को हुआ था और संवेदक ने कार्य की शुरुआत 12 फरवरी 2018 को की थी. इतना ही नहीं पुल के पास के रोड का भी टेंडर 22 अक्टूबर 2019 को खोला गया था और कार्य आवंटित कर दी गई थी. ऐसे में कब तक मुख्यमंत्री भाजपा सरकार के द्वारा शुरू की गई योजनाओं का उद्घाटन कर श्रेय लेते रहेंगे. उन्होंने कहा कि यह पहली घटना नहीं है इससे पहले पलामू में पावर ग्रिड सहित कई विकास योजनाओं का उद्घाटन मुख्यमंत्री के द्वारा किया गया है, जिसकी शुरुआत पिछली भाजपा सरकार में हुई थी.