रांचीः झारखंड में एक बार फिर स्थानीयता का जिन्न बाहर निकल आया है और इसको लेकर फिर से राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने पिछले दिनों स्थानीयता के लिए 1932 के खतियान को आधार बनाने और पूर्व की रघुवर सरकार में स्थानीयता के लिए 1985 की नियमावली को आधारहीन बताते हुए जल्दबाजी में लिया गया गलत फैसला करार दिया है.
इसके बाद राज्य में स्थानीयता को लेकर सियासी पारा चढ़ गया है. हालांकि गठबंधन में शामिल कांग्रेस पार्टी कोटे से वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने स्थानीयता के मुद्दे को लेकर कहा है कि कैबिनेट में इस को लेकर चर्चा होगी, जिसमें अनावश्यक ढंग से जो झारखंड में रह रहे हैं उन्हें दिक्कत नहीं हो इस पर निर्णय लिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि स्थानीयता को लेकर विवाद जारी है जिससे गठबंधन के सभी धर्म वाकिफ हैं इसको लेकर के बात हुई है और सही निर्णय सरकार की ओर से लिए जाएंगे.
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कांग्रेस पार्टी की ओर से प्रदेश कांग्रेस के वर्किंग प्रेसिडेंट राजेश ठाकुर ने कहा है कि मंत्री ने दिल से अपनी बात रखी हैं. हालांकि सभी दल के लोगों की राय है कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जो निर्णय लिया था, उसमें कई विसंगतियां हैं.
कई लोग चाहते हैं कि स्थानीयता 1932 के आधार पर या जो अंतिम सर्वे हुआ है. उस आधार पर हो. कई तरह के मत हैं. सभी मतों को एक जगह इकट्ठा करके सरकार उचित निर्णय लेगी.
ऐसे में एक बार फिर झारखंड में स्थानीयता के मुद्दे को लेकर बहस छिड़ गई है. हालांकि जिस तरह से जनता ने गठबंधन को चुना है. उस लिहाज से उम्मीद है कि जनता को समस्या न हो. इस ओर सरकार स्थानीयता को लेकर निर्णय लेगी.