रांची: झारखंड विधानसभा से 'झारखंड प्रतियोगी परीक्षा(भर्ती में अनुचित साधनों को रोकथाम और निवारण के उपाय) विधेयक-2023 पारित होने के बाद से सियासत काफी गर्म है. भाजपा और आजसू ने इस विधेयक को काला कानून करार दिया है. जिसके बाद झामुमो ने दोनों पार्टियों के खिलाफ हमलावर तेवर दिखाए हैं. झामुमो ने भाजपा और आजसू को चैलेंज करते हुए बीजेपी शासित राज्य में नकल कि विरुद्ध बने कानून का विरोध करने को कहा है.
बता दें कि गुरुवार 03 अगस्त को झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान हेमंत सोरेन की सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार रोकने के लिए 'झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों को रोकथाम और निवारण के उपाय) विधेयक-2023' को दो संशोधनों के साथ पारित करा लिया था. भारतीय जनता पार्टी और आजसू पार्टी इस कानून के कई उपबंधों का हवाला देकर इसे काला कानून बता रही.
04 अगस्त को भाजपा के शिष्टमंडल ने बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में राजभवन जाकर राज्यपाल से इस विधेयक पर अपनी सहमति नहीं देने का आग्रह कर चुकी है. शनिवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मीडिया के सामने भाजपा शासित उत्तराखंड और गुजरात के साथ-साथ राजस्थान में बनाये गए इसी तरह के कानून का हवाला देकर पूछा कि झारखंड भाजपा के नेता इसका विरोध क्यों नहीं करते.
झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्या ने मीडिया के माध्यम से बाबूलाल मरांडी, आजसू नेता सुदेश महतो और अन्य नेताओं को चैलेंज किया कि अगर उनमें नैतिकता बची है तो गुजरात, उत्तराखंड और राजस्थान में परीक्षा में कदाचार रोकने के लिए बनाए गए कानून का विरोध करें या फिर झारखंड की जनता से माफी मांगते हुए भ्रम फैलाना बंद कर दें.
'विधानसभा से पारित विधेयक को अपनी सहमति प्रदान करें राज्यपाल': झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता ने कहा कि प्रतियोगिता परीक्षाओं के कदाचार मुक्त होने से भाजपा के नेताओं को क्या परेशानी है, यह बात समझ से परे है. उन्होंने कहा कि विधानसभा से पारित विधेयक को राज्यपाल अपनी सहमति प्रदान ना करें, इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी के विधायकों और नेताओं की जल्दीबाजी हैरान करने वाली है. विधानसभा से पारित विधेयक की कॉपी राजभवन पहुंचने से पहले ही बाबूलाल मरांडी राजभवन पहुंच गए.
झामुमो नेता ने राज्यपाल से आग्रह किया कि जल्द ही राज्य में नियुक्तियों का दौर शुरू होने वाला है. राज्य में होनेवाली प्रतियोगिता परीक्षाएं पारदर्शी और कदाचारमुक्त हो, इसके लिए इस विधेयक का कानून का रूप लेना बेहद जरूरी है. इसलिए राज्यपाल जल्द कदाचार रोकने वाले विधेयक को अपनी सहमति प्रदान करें, ताकि राज्य के युवाओं को उनकी मेधा और मेहनत के अनुसार बिना भेदभाव के नौकरियां मिल सके.
'व्यापम घोटाले की जननी पार्टी के नेता किस मुंह से काला कानून बता रहे हैं': भाजपा शासित गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड में कई प्रतियोगी परीक्षा में पेपर लीक होने का जिक्र करते हुए सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि जिस पार्टी के शासनकाल में मध्य प्रदेश में 'व्यापम' जैसा पाप हुआ हो, उस पार्टी के नेता झारखंड में कदाचार रोकने के लिये बनाये गए कानून को ही काला कानून बता रहे हैं. सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि वास्तव में 'झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों को रोकथाम और निवारण के उपाय) विधेयक-2023' मील का पत्थर साबित होगा. शिक्षा और परीक्षा माफियाओं की कमर टूटेगी और प्रतिभाशाली युवाओं को उनकी मेधा के अनुसार मौका मिलेगा.