रांची: कैग की हालिया रिपोर्ट ने झारखंड की सियासत को गरमा दिया है. जिस तरह से सीएजी रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2017-18 से लेकर वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान डीबीटी से जुड़ी योजनाओं में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई है उसके बाद उसकी जांच की मांग उठने लगी है. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों इस मुद्दे पर सरकार से जांच की मांग कराने में जुटी है.
हालांकि विपक्ष का मानना है कि 2020-21 के दौरान वर्तमान हेमंत सोरेन सरकार के कार्यकाल में जिस तरह से गड़बड़ी सामने आई है उससे साफ जाहिर होता है कि झारखंड में किस तरह की सरकार चल रही है. पूर्व स्पीकर और भारतीय जनता पार्टी के रांची विधायक सीपी सिंह ने कैग रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि राज्य में जब से हेमंत सरकार आई है उस समय से प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा गई है. कोई भी काम वगैर रिश्वत के नहीं होते.
जब उनसे पूछा गया कि 2017-18 से लेकर 2020-21 के दरम्यान आपकी भी सरकार रही है उसमें भी गड़बड़ी सामने आई है तो उन्होंने कहा कि जिस किसी भी सरकार में इस तरह की बातें सामने आई हैं उसकी जांच होनी चाहिए और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. इधर सत्तारूढ़ कांग्रेस ने सीएजी रिपोर्ट के आधार पर जांच की मांग की है. कांग्रेस प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा है कि सरकार कैग की रिपोर्ट का अध्ययन कर इसकी जांच जरूर कराएगी और दोषी अधिकारियों पर कारवाई होगी.
सीएजी रिपोर्ट में गड़बड़ी का हुआ है खुलासा: झारखंड विधानसभा में कैग की रिपोर्ट पेश होने के बाद गुरुवार को महालेखाकार ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए डीबीटी से जुड़ी योजनाओं के ऑडिट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पाए जाने की बात की पुष्टि की थी. कैग ने अपनी रिपोर्ट में डीबीटी योजनाओं में सामाजिक अंकेक्षण और निगरानी का अभाव बताते हुए 60% छात्रवृत्ति फर्जी और अयोग्य छात्रों को मिलने की बात कही है.
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